नयी दिल्ली, केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस लगभग तैयार हो चुका है और सहकारी समितियों के बारे में जानकारी एक क्लिक पर ही उपलब्ध है।
शाह ने मंगलवार को सहकारिता मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की पहली बैठक में यह जानकारी दी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए एक विधेयक जल्द ही संसद में पारित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि सहकारी क्षेत्र को कॉरपोरेट क्षेत्र के समान अवसर मिलें।
शाह ने कहा, ‘‘देश में सहकारिता के विकास में व्याप्त क्षेत्रीय असमानता को देखते हुए सरकार सभी राज्यों में समान संतुलित विकास लाने के लिए विशेष कदम उठा रही है।’’
सहकारिता क्षेत्र में प्रशिक्षित श्रमशक्ति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए शाह ने कहा कि उनके मंत्रालय ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए एक विधेयक पेश किया है और ‘‘इसे जल्द ही संसद में पारित किया जाएगा।’’
इस विश्वविद्यालय की स्थापना से सहकारी क्षेत्र में प्रवेश करने वाले पेशेवरों को तकनीकी शिक्षा, लेखा, प्रशासनिक ज्ञान और प्रशिक्षण मिलेगा। इससे सहकारी क्षेत्र में प्रशिक्षित श्रमशक्ति की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, शाह ने संसदीय समिति को बताया कि कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (कृभको), भारतीय कृषक उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और अन्य संघों के सहयोग से सहकारिता से जुड़े राष्ट्रीय महासंघों के तेजी से विकास के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई है।
उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने रिजर्व बैंक और आयकर विभाग के साथ मिलकर ‘‘कॉरपोरेट और सहकारी क्षेत्रों के लिए एक कर ढांचा’’ बनाने के लिए कदम उठाए हैं।
सहकारी क्षेत्र में निर्यात, जैविक उत्पादों और उन्नत बीजों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल), राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (एनसीओएल) और भारतीय बीज सहकारी समृद्धि लिमिटेड (बीबीएसएसएल) जैसे राष्ट्रीय स्तर के सहकारी संगठन स्थापित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि इन पहलों से आने वाले वर्षों में सहकारी क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे।
शाह ने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को ‘लाभप्रद’ बनाने के लिए बनाए गए आदर्श उपनियमों को देश के लगभग सभी राज्यों ने अपनाया है। पैक्स समितियों को 20 से अधिक गतिविधियों से जोड़ा गया है और अब उन्होंने जन सेवा केंद्र, जन-औषधि केंद्र और अन्य सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार का मानना है कि सहकारिता के जरिए रोजगार सृजन और ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि दोनों संभव है।’’
उन्होंने भरोसा जताया कि देश के सहकारी क्षेत्र से जुड़े उद्यम कॉरपोरेट जगत के साथ प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के सपने को पूरा करेंगे।
समिति ने सहकारिता मंत्रालय द्वारा अपनी स्थापना के बाद से की गई पहलों और सहकारी समितियों को सशक्त बनाने के लिए किए जा रहे वर्तमान प्रयासों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
बैठक में सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल और सहकारिता सचिव मुरलीधर मोहोल एवं मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।