भारत को गैस की कीमतों को मुक्त तथा गैस विपणन व परिवहन कारोबार को अलग करना चाहिए:आईईए

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नयी दिल्ली,  अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने बुधवार को भारत से प्राकृतिक गैस के मूल्य निर्धारण को मुक्त करने तथा विपणन एवं परिवहन कारोबार को अलग-अलग करने को सुझाव दिया ताकि अर्थव्यवस्था में ईंधन का उपयोग बढ़ाने में मदद मिल सके।

आईईए ने भारत गैस बाजार रिपोर्ट: 2030 परिदृश्य में अनुमान लगाया कि दशक के अंत तक देश की गैस खपत 60 प्रतिशत बढ़कर 103 अरब घनमीटर (बीसीएम) प्रतिवर्ष हो जाएगी।

भारत ने अपनी ऊर्जा खपत में अपेक्षाकृत स्वच्छ प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को वर्तमान के छह प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने इसके अधिक उपयोग के लिए नीतिगत सुधारों की एक श्रृंखला प्रस्तावित की है।

बिजली उत्पन्न करने, खाद बनाने तथा संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) में बदलकर परिवहन तथा खाना पकाने के लिए घरों तक पाइप के माध्यम से पहुंचाने वाली गैस की कीमतें बहुत अधिक हैं। ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पुराने क्षेत्रों से गैस की कीमत वर्तमान में 65 लाख प्रति डॉलर ब्रिटिश थर्मल यूनिट है, जबकि गहरे समुद्र जैसे कठिन और उच्च लागत वाले क्षेत्रों से ईंधन पर भी सीमाएं लगाई गई हैं।

भारत में गेल के पास गैस संचारित करने वाली अधिकतर पाइपलाइन हैं। यह गैस का सबसे बड़ा विक्रेता भी है। इससे विवाद उत्पन्न हो सकता है। कंपनी अपनी गैस की बिक्री को प्राथमिकता देना चाहेगी और वह तीसरे पक्ष को अपनी गैस बेचने के लिए अपने पाइपलाइन नेटवर्क तक पहुंचने की अनुमति नहीं देना चाहेगी।

सभी क्षेत्रों के लिए गैस मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता में परिवर्तन का आह्वान करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 में किरीट पारेख समिति द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार धीरे-धीरे सभी क्षेत्रों में गैस मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता का विस्तार करने से ‘अपस्ट्रीम’ क्षेत्र में अधिक निवेश को बढ़ावा मिल सकता है और भारत के उपभोक्ताओं के लिए गैस की दीर्घकालिक उपलब्धता में सुधार हो सकता है।

पेरिस स्थित एजेंसी ने साथ ही कहा, ‘‘ भारत की अनूठी चुनौतियों और यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका के परिपक्व प्राकृतिक गैस बाजारों में अविनियमन तथा अलग-अलग स्तर पर काम होने को ध्यान में रखते हुए, विस्तारित समय-सीमा में भारत के मुख्य पारेषण पाइपलाइन परिचालकों को अलग-अलग करने की योजना बनाना उचित है।’’

इसमें कहा गया, ‘‘ हालांकि, दीर्घावधि में, एक ओर परिवहन और विपणन व बिक्री कार्यों का कानूनी पृथक्करण बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकता है, लेकिन दूसरी ओर यह लचीलापन बढ़ा सकता है तथा बुनियादी ढांचे के उपयोग में सुधार ला सकता है, जिससे अंततः भारत के ऊर्जा मिश्रण में गैस की भूमिका और अधिक बढ़ जाएगी।’’

 

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