निर्वाचन आयोग अधिकारियों के खिलाफ निराधार आरोपों को रोकने के लिए सख्त उपायों की जरूरत: दिल्ली सीईओ

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नयी दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार दिल्ली की मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आर एलिस वाज ने लोगों को निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ “निराधार” आरोप लगाने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाये जाने का आह्वान किया है।

वाज ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में इस बात पर जोर दिया कि चुनावी कानूनों के तहत मौजूदा प्रावधान रक्षा उपाय प्रदान करते हैं, लेकिन उभरते राजनीतिक परिदृश्य में चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बनाए रखने के लिए सख्त नियमों की आवश्यकता हो सकती है।

वाज ने कहा, ‘‘चुनाव प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों के खिलाफ आरोपों के मामले में सख्त कदम उठाये जाने की जरूरत है। जनप्रतिनिधित्व कानून और अन्य कानूनी प्रावधान पर्याप्त रक्षा उपाय प्रदान करते हैं, लेकिन बदलते राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए, अच्छा होगा कि कुछ और सख्त कदम भी उठाए जाएं।’’

उनकी यह टिप्पणी दिल्ली में हुए कड़े चुनावी मुकाबले के बाद आई है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आम आदमी पार्टी (आप) को करारा झटका देते हुए उसे दिल्ली की सत्ता से बाहर कर दिया, जहां वह एक दशक से अधिक समय से सत्तारूढ़ थी।

भाजपा ने 70 में से 48 सीट जीतीं, जबकि आप 22 सीट पर सिमट गई। सीईओ के तौर पर वाज ने निर्वाचन आयोग की ओर से दिल्ली में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभायी।

इसमें चुनाव की तैयारियों की देखरेख, चुनावी दिशा-निर्देशों को लागू करना और राजनीतिक दलों तथा जनता की शिकायतों का समाधान करना शामिल था। उन्होंने पारदर्शिता और आदर्श आचार संहिता का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास एक अच्छी तरह से परिभाषित शिकायत निगरानी प्रणाली है। प्रक्रिया की शुरुआत में, हमने सभी राजनीतिक दलों को शिकायत दर्ज करने के लिए उपलब्ध तंत्रों के बारे में सूचित किया।’’

उन्होंने कहा, “उठाए गए हर मुद्दे – चाहे ऑनलाइन, आवेदन, ईमेल या यहां तक ​​कि भौतिक रूप से प्रस्तुत शिकायतों के माध्यम से – भारत के निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार पूरी तरह से जांच की गई।”

प्रचार अभियान के दौरान, विशेष रूप से आम आदमी पार्टी (आप) मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय की आलोचना में मुखर थी। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने निर्वाचन अधिकारियों पर मतदाता सूचियों में हेराफेरी करने और भाजपा उम्मीदवारों द्वारा कथित उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। इन आरोपों का जवाब देते हुए वाज ने इसकी पुष्टि की कि निर्वाचन आयोग ने निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रोटोकॉल का पालन किया।

उन्होंने बताया, “हमने निर्वाचन आयोग के सभी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया, हर शिकायत की ठीक से जांच की और जरूरी कार्रवाई की। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखी गई और राजनीतिक दलों को मतदाता सूची सत्यापन से लेकर ईवीएम जांच और आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) प्रवर्तन तक हर चरण में शामिल किया गया।’’

इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक राजनीतिक दलों द्वारा एआई-जनरेटेड कंटेंट का भारी इस्तेमाल था, जो अक्सर गलत सूचना के जरिए विरोधियों को निशाना बनाते थे। इस मुद्दे पर वाज ने कहा, ‘‘गलत सूचना और डीपफेक का मुकाबला करने के लिए, हमने सोशल मीडिया निगरानी के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया। चुनावी नियमों से संबंधित किसी भी उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई की गई।’’

गलत सूचना से निपटने के लिए, सीईओ कार्यालय ने चुनावी प्रक्रियाओं के बारे में झूठे विमर्श को उजागर करने के लिए ‘मिथक बनाम तथ्य’ नामक एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘मतदाताओं को सटीक जानकारी मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए हमने इस मंच को स्पष्टीकरण के साथ सक्रिय रूप से अद्यतन किया। हर दिन, हमने जनता को शिक्षित करने के लिए सत्यापित तथ्यों के साथ दो से तीन मिथक साझा किए।’’

उन्होंने बताया कि चुनाव के चरम काल में लगभग 250 प्रतिक्रियाएं जारी की गईं, जिनमें मतदाता सेवाओं और शिकायतों से लेकर पारदर्शिता उपायों तक के विभिन्न विषय शामिल थे।

उन्होंने कहा, ‘‘कई शिकायतों का निपटारा पुलिस ने भी किया, जिससे चुनावी नियमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना सुनिश्चित हुआ।’’

सीईओ की भूमिका के बारे में वाज ने कहा कि भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की ओर से अधिकारी समग्र चुनाव तैयारियों और इसके क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार है। सीईओ सुचारू मतदान और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डीईओ और सहायक रिटर्निंग अधिकारियों (एआरओ) के साथ समन्वय करता है।

उन्होंने बताया, “एआरओ के परामर्श से, सीईओ ईसीआई की ओर से कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव संबंधी सभी प्रक्रियाएं निष्पक्ष रूप से संचालित हों। राजनीतिक दलों और आम जनता को प्रक्रिया के हर चरण के बारे में सूचित रखा जाता है।’’

वाज ने चुनाव प्रक्रिया को एक संतोषजनक और अच्छी तरह से समन्वित प्रयास बताया। उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव कराना हमेशा सीखने वाला अनुभव होता है। हमारी टीम ने अच्छी तरह से काम किया, जिससे निर्बाध निष्पादन सुनिश्चित हुआ। यह एक ऐसी याद है जिसे मैं हमेशा संजो कर रखूंगी।”

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में किसी तरह की खामी देखी है, तो वाज ने कहा कि निर्वाचन आयोग उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए नियमों को लगातार परिष्कृत और स्पष्ट करता रहता है।

उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग नियमित रूप से विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करता है, प्रक्रियाओं को सरल बनाता है ताकि सुचारू निष्पादन सुनिश्चित हो सके। हालांकि हमेशा चुनौतियां होती हैं, लेकिन हमें समय पर स्पष्टीकरण मिलते हैं, जिससे चुनाव प्रबंधन अधिक कुशल हो जाता है।’’

 

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