नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि देश में राज्यों के पास किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिए धन नहीं है तथा लोगों के पास पीने का स्वच्छ पानी नहीं है, ऐसी स्थिति में साइकिल ट्रैक के बारे में कल्पना करना ठीक नहीं है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने देश में अलग साइकिल ट्रैक बनाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा कि उन्हें अपनी प्राथमिकताएं सही रखनी होंगी तथा अन्य अधिक जरूरी मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘‘झुग्गी-झोपड़ियों में जाइए, पता लगाइए कि लोग किस हालत में रह रहे हैं। राज्यों के पास किफायती आवास मुहैया कराने के लिए पैसे नहीं हैं और हम दिन में सपने देख रहे हैं। लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, ऐसे में आप दिन में सपना देख रहे हैं कि साइकिल ट्रैक होना चाहिए। ’’
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकताएं गलत हो रही हैं। हमें अपनी प्राथमिकताएं सही रखनी होंगी। हमें संविधान के अनुच्छेद-21 के बारे में अधिक चिंतित होना चाहिए। लोगों के पास पीने के लिए साफ पानी नहीं है। सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं और आप साइकिल ट्रैक चाहते हैं?’’
साइकिल चलाने को प्रोत्साहन देने वाले दविंदर सिंह नागी की ओर से दायर जनहित याचिका में देश भर में साइकिल ट्रैक बनाने की अपील की गई थी। उनके वकील ने तर्क दिया कि कई राज्यों में साइकिल ट्रैक हैं।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक गेट के बाहर भी साइकिल ट्रैक है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन योजना का उल्लेख किया, जो चयनित शहरों और कस्बों में बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित है।