नयी दिल्ली, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि ग्रेटर नोएडा में 980 पेड़ों की अवैध कटाई को उत्तर प्रदेश के प्राधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। अधिकरण ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को 13 मई को उसके समक्ष डिजिटल माध्यम से पेश होकर की गई कार्रवाई से अवगत कराने को कहा है।
हरित अधिकरण ग्रेटर नोएडा की डीसीएम (देवू मोटर्स) कंपनी परिसर में बड़ी संख्या में पेड़ों की अनधिकृत कटाई का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। यह कंपनी पिछले 22 वर्षों से बंद है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं। उन्होंने कहा कि वन अधिकारियों द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद पाया गया कि 980 पेड़ काटे गए हैं और अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की लकड़ियां ले जा रहे केवल दो वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद भी थे।
पीठ ने कहा, ‘‘ऐसी लकड़ियां अधिकतम आठ से 10 अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की हो सकती हैं। इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि वन विभाग ने 900 से अधिक अन्य पेड़ों से काटी गई लकड़ियों का पता लगाने के लिए क्या कार्रवाई की, न ही इस बात का पता चल पाया है कि अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की कटाई के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान के लिए क्या कदम उठाये गए हैं।’’
अधिकरण ने संबंधित अधिकारियों के जवाबों पर गौर किया और कहा कि 980 पेड़ों की अवैध कटाई के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाने या लकड़ी को वापस लेने के लिए “पर्याप्त कार्रवाई” नहीं की गई है।
पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले में अधिकारियों की ओर से चूक प्रतीत होती है। राज्य (उत्तर प्रदेश) के वकील जिस तरह से अधिकरण के प्रश्नों का जवाब दे रहे हैं उससे हमें ऐसा लगता है कि 980 पेड़ों की कटाई से संबंधित मुद्दे को, जो बड़ी संख्या है, राज्य के अधिकारियों द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया है।’’
अधिकरण ने कहा कि गौतमबुद्ध नगर के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) ने एक अलग जवाब दाखिल किया था लेकिन पेड़ों को काटने के लिए दोषी व्यक्तियों का पता लगाने के प्रयासों के बारे में तथ्यों का खुलासा करने के बजाय उन्होंने कहा कि सील किए गए गेट की सुरक्षा में तैनात दो निजी सुरक्षा गार्ड की ओर से चूक हुई थी।
अधिकरण ने कहा कि उसके समक्ष जो भी रिपोर्ट हैं उससे पता चलता है कि मामले में संतोषजनक प्रयास नहीं किए गए।
उसने कहा, ‘‘इसलिए, हम चाहते हैं कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्यक्तिगत रूप से मामले को देखें और अगली सुनवाई (13 मई) को अधिकरण के समक्ष डिजिटल तरीके से पेश होकर हमें पेड़ों की कटाई की कानूनी स्थिति और की गई कार्रवाई के बारे में अवगत कराएं।’’