नयी दिल्ली, नीति आयोग ने कहा है कि 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए साहसिक सुधार, टिकाऊ ऊर्जा रणनीति और वैश्विक व्यापार में नेतृत्वकारी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
आयोग ने कहा है कि भारत की वैश्विक व्यापार स्थिति को बढ़ाने के संभावित तरीकों के रूप में व्यापार उदारीकरण, शुल्क दर में कटौती और प्रौद्योगिकी सहयोग को संभावित उपायों के रूप में चिन्हित किया गया है।
नीति आयोग के बृहस्पतिवार को दिल्ली में आयोजित एक सम्मेलन में विशेषज्ञों ने यह बात कही। सम्मेलन का विषय ‘विकसित भारत एट 2047: अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक भागीदारी और कानून को मजबूत बनाना’ था।
सम्मेलन में शामिल विशेषज्ञों ने अनुसंधान और विकास, राजकोषीय मजबूती और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण को लेकर निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि की आवश्यकता बतायी।
इसमें कहा गया, ‘‘इस बात पर सहमति थी कि साहसिक सुधार, टिकाऊ ऊर्जा रणनीतियां और वैश्विक व्यापार में नेतृत्वकारी भूमिका 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।’’
आयोग के अनुसार, सरकारी साख, ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण कच्चे माल तक पहुंच को दीर्घकालिक आर्थिक मजबूती के लिए आवश्यक माना गया। जबकि शिक्षा, कौशल विकास और बुनियादी ढांचे में निवेश भारत के जनसंख्या संबंधी लाभ का फायदा उठाने के लिए महत्वपूर्ण माना गया।
नीति आयोग ने कहा कि विशेषज्ञों ने नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की अगुवाई का जिक्र किया और महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया।
सत्र में बहुपक्षीय और द्विपक्षीय साझेदारी को बढ़ावा देने में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की भूमिका पर भी जोर दिया गया, जबकि निवेश को आकर्षित करने और कारोबार सुगमता में सुधार के लिए कानूनी सुधारों को महत्वपूर्ण माना गया।