नयी दिल्ली, कांग्रेस ने सरकार पर केंद्रीय बजट को तैयार करने की प्रक्रिया में राज्यों को शामिल नहीं करने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा कि इस बजट में किसानों की अनदेखी की गई है।
लोकसभा में वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सदस्य धरमवीर गांधी ने कहा कि हमारा देश राज्यों का संघ है, ऐसे में राज्यों से परामर्श कर बजट तैयार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश के संसाधन राज्यों से प्राप्त होते हैं, उसकी ‘जीडीपी’ राज्यों से आती है, लेकिन बजट बनाने की प्रक्रिया में उनकी अनदेखी कर दी जाती है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘बजट बनाने में संघीय ढांचे की अवधारणा को मिटाया जा रहा है। यह एकपक्षीय प्रकृति का बजट है, संघीय बजट नहीं है। कमरों में बैठकर बजट बनाया जाता है।’’
उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि मौजूदा वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सबसे अधिक योगदान विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का है और कृषि का योगदान 25 प्रतिशत ही है, लेकिन कृषि बहुत महत्वपूर्ण है और बड़ी संख्या में लोग इस पर आश्रित हैं।
गांधी ने आरोप लगाया कि पिछले पांच साल से और इस बजट में भी किसानों की अनदेखी की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों के प्रति वर्तमान सरकार की सोच संकीर्ण है। सरकार किसानों पर ध्यान नहीं देती और बड़े कॉर्पोरेट घरानों की मदद की जाती है।’’
गांधी ने कहा कि सरकार ने इस बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, कृषि रिण माफी, कृषि उपकरणों से जीएसटी हटाने और मजबूत फसल बीमा योजना पेश करने जैसी किसानों की मांगों को शामिल नहीं किया है और इन सब कारणों से देश के किसानों में अशांति है।
कांग्रेस सदस्य ने देश में बेरोजगारी के सर्वकालिक उच्च स्तर पर होने का दावा करते हुए अमेरिका से पिछले दिनों निर्वासित किए गए अवैध भारतीय प्रवासियों का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों के बच्चे देश में रोजगार नहीं होने की स्थिति में अमेरिका जाते हैं और उन्हें वहां से अपमानित कर वापस भेज दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा करने वाली मोदी सरकार बेरोजगारी को कम करने की दिशा में कुछ नहीं कर पाई और देश के युवा पूरी तरह नाउम्मीद हो गए हैं।
गांधी ने देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र की लगातार अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया और कहा कि बड़े कॉर्पोरेट घरानों की कीमत पर लघु उद्यमों को नुकसान पहुंच रहा है।
गांधी ने कहा कि देश में कुकुरमुत्तों की तरह खुलते निजी संस्थानों की महंगी शिक्षा न केवल गरीबों और वंचितों बल्कि मध्यम वर्ग के बच्चों के लिए भी पहुंच से बाहर होती जा रही है।