आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू

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मुंबई, पांच फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो महीने पर होने वाली बैठक बुधवार को शुरू हुई। उम्मीद है कि इस बार एमपीसी शुक्रवार को पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकती है।

रिजर्व बैंक ने इससे पहले मई, 2020 में रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया था। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि अर्थव्यवस्था को कोविड महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के संकट से निपटने में मदद मिल सके।

आरबीआई ने मई, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर नीतिगत दर में वृद्धि का सिलसिला शुरू किया था और मई, 2023 में वृद्धि पर रोक लगी। अभी रेपो दर 6.5 प्रतिशत है।

रिजर्व बैंक के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​बुधवार से शुरू होने वाली अपनी पहली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। छह सदस्यीय समिति के फैसले की घोषणा सात फरवरी शुक्रवार को की जाएगी।

विशेषज्ञों की राय है कि मौजूदा स्थिति नीतिगत दर में कटौती के लिए अनुकूल है क्योंकि यह खपत आधारित मांग वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बजट में घोषित उपायों के पूरक के रूप में काम करेगा।

एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति चौथी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत और चालू वित्त वर्ष में औसतन 4.8 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। इसमें यह भी कहा गया है कि जनवरी के मुद्रास्फीति आंकड़े 4.5 प्रतिशत के आसपास बने हुए हैं।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक विभाग की शोध रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हमें फरवरी, 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद है। फरवरी और अप्रैल में दो बार कटौती के साथ नीतिगत दर में कुल 0.75 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है। उसके बाद यथास्थिति रखने के बाद नीतिगत दर में कटौती का दूसरा दौर अक्टूबर, 2025 से शुरू हो सकता है।’’

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता कि केंद्रीय बजट में किए गए राजकोषीय प्रोत्साहन का मुद्रास्फीति पर महत्वपूर्ण असर होगा। अत: हमें लगता है कि स्थिति फरवरी, 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में दर में कटौती के पक्ष में है।’’

नायर ने कहा कि हालांकि, अगर वैश्विक कारक इस सप्ताह के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में और अधिक कमजोरी का कारण बनते हैं, तो नीतिगत दर में कटौती अप्रैल, 2025 तक टल सकती है।

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