मजबूत अमेरिकी डॉलर से रुपये में गिरावट, भारतीय रुपया-युआन दर पर नजर रखनी चाहिए:विरमानी

0
navbharat-times (17)

नयी दिल्ली,  नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने कहा कि रुपये में हालिया गिरावट अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के कारण आई है। उन्होंने साथ ही वैश्विक अनिश्चितता के इस दौर में भारत को रुपया-युआन विनिमय दर पर भी गौर करने का सुझाव दिया।

विरमानी ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की घोषित नीति यह है कि वह किसी विशिष्ट विनिमय दर को लक्ष्य नहीं बनाती बल्कि ‘‘अत्यधिक’’ अस्थिरता को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब हम रुपया-डॉलर दर के बारे में बात करते हैं, तो इसमें दो कारक शामिल होते हैं…पहला अमेरिकी डॉलर में अधिक तेजी… जो कुछ आप देख रहे हैं… वह अमेरिकी (डॉलर) में तेजी के कारण है।’’

नीति आयोग के सदस्य ने कहा, ‘‘ इसलिए यह वास्तव में हमारे नियंत्रण में नहीं है और ऐसा कुछ नहीं है जिसके बारे में हमारे नीति निर्माताओं को चिंता करने की आवश्यकता है।’’

रुपये में हाल के सप्ताहों में काफी गिरावट आई है और सोमवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले यह 87.29 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था।

विरमानी ने कहा कि दूसरा कारक सूचकांक के संबंध में मूल्यह्रास है और इसे मापने का एक तरीका अन्य देशों के साथ इसकी तुलना करना है, क्योंकि रुपये की सामान्य वृद्धि सभी को प्रभावित करती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ जैसा कि हाल में किसी ने सुझाव दिया था, हमें रुपया-युआन दर पर करीबी नजर रखनी चाहिए, यह एक अच्छा सुझाव है। बेशक, हमें अनिश्चितता के इस दौर में अपने प्रतिस्पर्धियों पर भी व्यापक रूप से नजर रखनी होगी।’’

‘युआन’, चीन की मुद्रा है।

भारतीय रुपया पिछले कुछ महीनों में दबाव में रहा है, लेकिन एशियाई तथा वैश्विक समकक्षों के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसमें सबसे कम अस्थिरता आई है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के लगभग दैनिक आधार पर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के कारणों में व्यापार घाटे में वृद्धि से लेकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में ब्याज दरों में कम कटौती के संकेत के बाद डॉलर सूचकांक में उछाल शामिल है।

आरबीआई की ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश पर विरमानी ने कहा, ‘‘ यदि हम अपना और दूसरों का इतिहास देखें तो झटकों के दौर में राजकोषीय और मौद्रिक नीति दोनों को एक साथ कड़ा करना आमतौर पर एक बुरा विचार है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए हमें और अधिक लक्ष्यबद्ध होना होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि हम केवल राजकोषीय या केवल मौद्रिक उपाय करें, बल्कि समन्वय सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।’’

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *