बजट महंगाई बढ़ाने वाला नहीं, एक साथ मिलकर काम करें मौद्रिक-राजकोषीय नीतियां : वित्त सचिव
Focus News 4 February 2025 0नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए कदम उठाते हुए ऐसा बजट पेश किया है, जो महंगाई बढ़ाने वाला नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति वृद्धि का समर्थन करने के लिए राजकोषीय नीति के साथ मिलकर काम करेगी।
उन्होंने साथ ही कहा कि यद्यपि रुपये में गिरावट से आयातित कच्चा माल महंगा होता है, लेकिन इससे निर्यात प्रतिस्पर्धा भी बढ़ती है।
पांडेय ने कहा कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के साथ-साथ अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भी अपने राजकोषीय घाटे के अनुमानों को बेहतर किया है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो बजट में निर्धारित 4.9 प्रतिशत के लक्ष्य से कम है। वहीं अगले वित्त वर्ष (2025-26) में राजकोषीय घाटा 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो समेकन रूपरेखा में दिए गए अनुमान से कम है।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह स्पष्ट करना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें (सरकार को) एक निश्चित राजकोषीय व्यवस्था के भीतर रहना है। हमने, इस सीमा तक मौद्रिक अधिकारियों को यह कहने में सहायता की है कि यदि उन्हें (आरबीआई को) वह करना है जो वे करना चाहते हैं तो हम समर्थन करेंगे। राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति को एक साथ काम करने की आवश्यकता है, न कि विपरीत उद्देश्यों के लिए…’’
सचिव ने कहा कि मौद्रिक सहजता तथा मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने से अर्थव्यवस्था को बहुत अधिक लाभ मिलेगा।
पांडेय ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के साथ बजट के बाद आयोजित परिचर्चा में कहा, ‘‘ मुद्रास्फीति नीतियां वास्तव में वृद्धि को बढ़ावा देने के मामले में केवल अल्पावधि में ही काम कर सकती हैं। अगर हमें सतत वृद्धि दर्ज करनी है, तो हमें मुद्रास्फीति पर अच्छी पकड़ रखनी होगी। यही वह संतुलन है जिसकी हमें जरूरत है…’’
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक पांच फरवरी से शुरू होगी। एमपीसी सात फरवरी को अपने नीतिगत निर्णयों की घोषणा करेगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दरों में कटौती का फैसला करेगी, पांडेय ने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि यह फैसला एमपीसी करेगी। वे स्थिति से वाकिफ हैं। वे फैसला लेंगे।’’
रुपये में गिरावट से मुद्रास्फीति को लेकर बढ़ने वाली चिंता के बारे में पूछे जाने पर सचिव ने कहा कि गिरावट का असर आयात से बढ़ने वाली महंगाई पर होता है, लेकिन इससे निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़ती है।
यह पूछे जाने पर कि क्या रुपये में गिरावट से मुद्रास्फीति के मोर्चे पर चिंता उत्पन्न हो सकती है उन्होंने कहा, ‘‘ आरबीआई को अन्य कारकों पर भी विचार करने की जरूरत है। बेशक, रुपये में गिरावट से कुछ हद तक आयातित वस्तुएं महंगी हो सकती है, लेकिन इससे उत्पादों की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़ती है।’’
रुपया सोमवार को 49 पैसे की गिरावट के साथ 87.11 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ था। हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मेक्सिको और कनाडा पर शुल्क बढ़ोतरी को लागू करने की प्रक्रिया को एक महीने टालने के बाद अमेरिकी डॉलर सूचकांक अपने उच्चस्तर से नीचे आया है जिससे स्थानीय मुद्रा पर दबाव कम हुआ। इसके बाद रुपया मंगलवार को तीन पैसे मजबूत होकर 87.08 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
पांडेय ने कहा, ‘‘ रुपया बाजार पर आधारित होता है और बाह्य कारक अपना असर दिखा रहे हैं। आरबीआई इसपर नजर बनाए है और हमारी भी इसपर नजर है।’’
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर घटकर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आने के अनुमता के बाद नीतिगत दरों में कटौती की मांग बढ़ रही है।
खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर 5.22 प्रतिशत पर आ गई, जो नवंबर में 5.48 प्रतिशत थी। यह आरबीआई के चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के लक्ष्य के भीतर है।
आरबीआई ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए फरवरी, 2023 से नीतिगत दरों को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा हुआ है।