नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों को चंदा देने से जुड़ी चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए मंगलवार को 31 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की इस दलील का संज्ञान लिया कि 2024 के आम चुनाव के लिए चुनावी बॉन्ड योजना शुरू होने से पहले इस मामले पर फैसला लिए जाने की जरूरत है।
गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की तरफ से पेश भूषण ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दिए जाने वाले गुमनाम चंदे से भ्रष्टाचार बढ़ता है और भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र पाने के नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन होता है।
उन्होंने कहा, “यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है, क्योंकि चंदे का स्रोत गुमनाम है। यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है और मामले में ‘निर्णय न लेने’ से समस्या और बढ़ सकती है।”
इस पर पीठ ने कहा, “हम यहां हैं और अब इसकी सुनवाई कर रहे हैं।”
चुनावी बॉन्ड योजना से जुड़ी कुछ प्रारंभिक याचिकाओं पर सुनवाई के बाद पीठ ने चार याचिकाएं 31 अक्टूबर को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कीं। उसने कहा कि यदि कार्यवाही आगे बढ़ती है, तो वह एक नवंबर को इन याचिकाओं पर सुनवाई जारी रख सकती है।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस बात पर विचार कर सकती है कि क्या पार्टियों की राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ‘आधिकारिक फैसले’ के लिए संवैधानिक पीठ के पास भेजा जा सकता है।