कब्ज वह रोग है जिस में रोगी को ठीक से शौच नहीं आती। उसे घंटे भर तक शौचालय में बैठे रहना पड़ता है। पेट दुखता है, जोर लगाना पड़ता है, तब लेट्रिन आती है मगर दिन भर पेट भारी भारी रहता है।
हमारे यहां मध्यमवर्गीय या निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के अधिकांश सदस्य इस रोग से पीडि़त होते हैं। इन में से अधिकांश दवाइयों का सहारा लेते हैं मगर दवाइयां बंद करते ही यह रोग वापस अपनी जड़ पकड़ लेता है।
वैसे भी दवाई इस रोग का स्थाई उपचार नहीं है। इस से शरीर को नुकसान ही होता है। तब बिना दवाई खाए शौच आना बंद हो जाता है इसलिए कब्ज के उपचार के लिए शारीरिक सक्रियता लाना ही स्थाई इलाज होता है। तभी शरीर अपने उपद्रव्यों को तुरंत शरीर से बाहर फेंकने की क्रियाशीलता ग्रहण कर पाता है।
इस के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं। तभी कब्ज से स्थाई रूप से छुटकारा मिल सकता है।
सुबह जल्दी उठ कर सैर करने जाएं। पहले पहल एक किलोमीटर घूमने जाएं। फिर आ कर शौच करें। तब आप पाएंगे कि आप को निवृत्त होने में कल से आज कम समय खर्च करना पड़ा है।
हो सकता है दूसरे दिन आप को उठते ही शौच आ जाए। आप इस से निवृत्त हो लें, तब सैर को जाएं मगर इस दिन 2 किलोमीटर की दूरी तय करें, वह भी जल्दी-जल्दी चल कर।
जब आप सैर से आएं तो हो सकता है कि आप को दोबारा शौच जाना पड़े। तब बिना हिचक दोबारा शौच जाएं।
इस बार आप का पेट बिलकुल साफ सुथरा और हल्का हो सकता है।
किसी-किसी व्यक्ति को दूसरे दिन भी शौच साफ न आए तो घबराएं नहीं। सैर करने से उन्हें कुछ न कुछ राहत अवश्य मिलेगी।
ऐसे व्यक्ति तीसरे दिन उठते ही दांत मंजन के बाद या तो केवल एक कप चाय पिएं या फिर एक गिलास पानी पी कर निवृत्त हो जाएं अथवा सीधे सैर को निकल जाएं।
हो सकता है सैर के दौरान उन्हें शौच की शिकायत होने लगे। तब वहीं से वापस लौट आएं।
दो चार दिन इसी तरह से प्रयास करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है मगर यह ध्यान रखें कि सैर का नियम न बदलें। समय भी निश्चित रखें।
इस के साथ-साथ निम्न उपाय भी साथ-साथ चलने दें।
रोटी नियमित समय पर चबा-चबा कर पूरा स्वाद ले कर खाएं
सब्जी का भरपूर प्रयोग करें। चाहे सब्जी सस्ती हो मगर हरी-पीली हो, ताजा और साफ हो और उसे छिलके सहित बनाया गया हो।
रोटी चोकर सहित बनवाएं। अपनी पत्नी को कहें कि रोटी का आटा छलनी से नहीं छानें।
कुछ भी चीज खाएं तो रोटी के समय खाएं। दिन भर कुछ न कुछ खाने की आदत छोड़ दें।
बेसन जैसी कब्ज वाली चीजों का कम से कम इस्तेमाल करें।
खाना दो या तीन समय ही खाएं। इस के साथ प्याज, टमाटर आदि कच्चे खा सकंे तो ज्यादा बेहतर रहेगा। महिलाएं निम्न उपाय कर सकती हैं।
वे खड़े खड़े, चलते फिरते रोटी सब्जी बनाएं। कपडे़ धोने या झाडू लगाने का कार्य स्वयं करें। इस के लिए मशीन आदि का प्रयोग न करें।
सब्जी लेने पैदल जाएं। समय बिताने के लिए चलते फिरते खेल-खेल कर समय बिताएं।
खाली समय में कालोनी की सैर करें। उस को साफ सुथरा और स्वच्छ बनाने के लिए उपाय करें या इस संबंध में लोगों को जागरूक बनाएं।
कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसा कार्य करें जिस में शारीरिक मेहनत ज्यादा करनी पड़े। मशीन से कम से कम काम लें ताकि शरीर की मांसपेशियां ज्यादा सक्रिय हो सकंे। तब ही कब्ज से स्थाई रूप से छुटकारा मिल सकता है।
ऐसा कर के आप अपने सौंदर्य में भी वृद्धि कर सकते हैं क्योंकि सक्रियता और शारीरिक मेहनत से मांसपेशियां सुगठित होती हैं। इस से उन में एक विशेष कांति या चमक आती है जो शरीर को सौंदर्य प्रदान करती है।
इसलिए बेहतर है कि आप सैर और सक्रियता को अपना कर कब्ज को दूर करें और अपना सौंदर्य भी निखारें। क्यों न एक पंथ दो काज वाली तरकीब आज से ही अपनाई जाए।
हमारे यहां मध्यमवर्गीय या निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के अधिकांश सदस्य इस रोग से पीडि़त होते हैं। इन में से अधिकांश दवाइयों का सहारा लेते हैं मगर दवाइयां बंद करते ही यह रोग वापस अपनी जड़ पकड़ लेता है।
वैसे भी दवाई इस रोग का स्थाई उपचार नहीं है। इस से शरीर को नुकसान ही होता है। तब बिना दवाई खाए शौच आना बंद हो जाता है इसलिए कब्ज के उपचार के लिए शारीरिक सक्रियता लाना ही स्थाई इलाज होता है। तभी शरीर अपने उपद्रव्यों को तुरंत शरीर से बाहर फेंकने की क्रियाशीलता ग्रहण कर पाता है।
इस के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं। तभी कब्ज से स्थाई रूप से छुटकारा मिल सकता है।
सुबह जल्दी उठ कर सैर करने जाएं। पहले पहल एक किलोमीटर घूमने जाएं। फिर आ कर शौच करें। तब आप पाएंगे कि आप को निवृत्त होने में कल से आज कम समय खर्च करना पड़ा है।
हो सकता है दूसरे दिन आप को उठते ही शौच आ जाए। आप इस से निवृत्त हो लें, तब सैर को जाएं मगर इस दिन 2 किलोमीटर की दूरी तय करें, वह भी जल्दी-जल्दी चल कर।
जब आप सैर से आएं तो हो सकता है कि आप को दोबारा शौच जाना पड़े। तब बिना हिचक दोबारा शौच जाएं।
इस बार आप का पेट बिलकुल साफ सुथरा और हल्का हो सकता है।
किसी-किसी व्यक्ति को दूसरे दिन भी शौच साफ न आए तो घबराएं नहीं। सैर करने से उन्हें कुछ न कुछ राहत अवश्य मिलेगी।
ऐसे व्यक्ति तीसरे दिन उठते ही दांत मंजन के बाद या तो केवल एक कप चाय पिएं या फिर एक गिलास पानी पी कर निवृत्त हो जाएं अथवा सीधे सैर को निकल जाएं।
हो सकता है सैर के दौरान उन्हें शौच की शिकायत होने लगे। तब वहीं से वापस लौट आएं।
दो चार दिन इसी तरह से प्रयास करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है मगर यह ध्यान रखें कि सैर का नियम न बदलें। समय भी निश्चित रखें।
इस के साथ-साथ निम्न उपाय भी साथ-साथ चलने दें।
रोटी नियमित समय पर चबा-चबा कर पूरा स्वाद ले कर खाएं
सब्जी का भरपूर प्रयोग करें। चाहे सब्जी सस्ती हो मगर हरी-पीली हो, ताजा और साफ हो और उसे छिलके सहित बनाया गया हो।
रोटी चोकर सहित बनवाएं। अपनी पत्नी को कहें कि रोटी का आटा छलनी से नहीं छानें।
कुछ भी चीज खाएं तो रोटी के समय खाएं। दिन भर कुछ न कुछ खाने की आदत छोड़ दें।
बेसन जैसी कब्ज वाली चीजों का कम से कम इस्तेमाल करें।
खाना दो या तीन समय ही खाएं। इस के साथ प्याज, टमाटर आदि कच्चे खा सकंे तो ज्यादा बेहतर रहेगा। महिलाएं निम्न उपाय कर सकती हैं।
वे खड़े खड़े, चलते फिरते रोटी सब्जी बनाएं। कपडे़ धोने या झाडू लगाने का कार्य स्वयं करें। इस के लिए मशीन आदि का प्रयोग न करें।
सब्जी लेने पैदल जाएं। समय बिताने के लिए चलते फिरते खेल-खेल कर समय बिताएं।
खाली समय में कालोनी की सैर करें। उस को साफ सुथरा और स्वच्छ बनाने के लिए उपाय करें या इस संबंध में लोगों को जागरूक बनाएं।
कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसा कार्य करें जिस में शारीरिक मेहनत ज्यादा करनी पड़े। मशीन से कम से कम काम लें ताकि शरीर की मांसपेशियां ज्यादा सक्रिय हो सकंे। तब ही कब्ज से स्थाई रूप से छुटकारा मिल सकता है।
ऐसा कर के आप अपने सौंदर्य में भी वृद्धि कर सकते हैं क्योंकि सक्रियता और शारीरिक मेहनत से मांसपेशियां सुगठित होती हैं। इस से उन में एक विशेष कांति या चमक आती है जो शरीर को सौंदर्य प्रदान करती है।
इसलिए बेहतर है कि आप सैर और सक्रियता को अपना कर कब्ज को दूर करें और अपना सौंदर्य भी निखारें। क्यों न एक पंथ दो काज वाली तरकीब आज से ही अपनाई जाए।