नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन के तहत एक समिति गठित की जाएगी जो कारोबार की लागत में कटौती, भविष्य के लिए तैयार कार्यबल तैयार करने तथा ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी की उपलब्धता जैसे मुद्दों पर विस्तृत जानकारी जुटाएगी।
समिति में केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं।
यह समिति उन प्रमुख ध्यान वाले क्षेत्रों की पहचान करेगी, जो भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और जहां घरेलू और विदेशी, दोनों बाजारों में मांग है। समिति भविष्य की रूपरेखा को लेकर भी सिफारिशें पेश करेगी।
गोयल ने पीटीआई-भाषा से कहा, “मिशन के तहत एक समिति गठित की जाएगी जो विस्तार से सभी मुद्दों की जांच करेगी, जैसे कि केंद्र और राज्यों की भूमिका। इसमें विभिन्न मंत्रालय, निजी क्षेत्र से लोग भी शामिल होंगे और वे उन क्षेत्रों के बारे में जानकारी देंगे जिनके पास भारत में बहुत अधिक प्रतिस्पर्धी लाभ हैं और जिनमें निर्यात की संभावना है।”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों के लिए नीतिगत समर्थन, कार्यान्वयन खाका, शासन और निगरानी ढांचा प्रदान करके ‘मेक इन इंडिया’ को आगे बढ़ाने के लिए छोटे, मझोले और बड़े उद्योगों को शामिल करने वाले मिशन की घोषणा की है।
मिशन के तहत पांच मुख्य ध्यान वाले क्षेत्र आएंगे। इनमें कारोबारी सुगमता और लागत; मांग वाली नौकरियों के क्षेत्र में भविष्य के लिए तैयार कार्यबल; एक जीवंत और गतिशील एमएसएमई क्षेत्र; प्रौद्योगिकी की उपलब्धता; और गुणवत्ता वाले उत्पाद।
गोयल ने कहा, “हम इसके शीघ्र कार्यान्वयन के लिए काम करेंगे।”
उन्होंने कहा कि स्टार्टअप के लिए घोषित कदमों से ‘डीप टेक’ और छोटे शहरों में स्टार्टअप इकाइयों के उद्यमियों को मदद मिलेगी।
गोयल ने कहा, “हम इन स्टार्टअप पर अपना ध्यान बढ़ाएंगे।”
देश के विनिर्माण क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 16-17 प्रतिशत योगदान है और सरकार इस हिस्सेदारी को बढ़ाने पर विचार कर रही है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, त्योहारी मांग बढ़ने और विनिर्माण क्षेत्र में तेजी के कारण नवंबर, 2024 में भारत के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर सालाना आधार पर छह महीने के उच्चस्तर 5.2 प्रतिशत पर पहुंच गई।