ग्रीन हाईड्रोजन ईंधन के रूप में भारत बनेगा वैकल्पिक ईंधन हब
Focus News 10 October 2023भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण करने से पहले से ही मोदी शायद जानते थे कि प्राकृतिक तेल और गैस की बेहद जरूरतों के चलते भारत तेल उत्पादक देशों के बेहद दबाव में है। इस दबाव के चलते भारत की स्वतंत्र आंतरिक और विदेश नीति बेहद प्रभावित हो रही है। इसलिए उन्होंने अपने कार्यारम्भ के पहले ही दिन से वैकल्पिक ईंधन की खोज और उसके वाणिज्यिक उत्पादन की व्यवस्थाओं को विकल्प के रूप में अपना सबल समर्थन दिया। फलस्वरूप देश में सौर उर्जा, मिथाइल अल्कोहल की मिलावट के साथ अन्य प्राकृतिक संसाधनों से ईंधन बनाने के विकल्पों के विनिर्माण और औद्योगिक उत्पादन की दिशा में कल्पनातीत अभिवृद्धि सामने आयी। जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन भी एक सशक्त विकल्प बन कर उभरा।
हाइड्रोजन विश्व में प्राकृतिक तौर पर पाया जाने वाला प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्व है जो अन्य तत्वों के साथ संयोजन में मौजूद है। यह प्राकृतिक तौर पर पाए जाने वाले यौगिकों जैसे पानी ( जो दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु के संयोजन से बनता है) से निकाला जा सकता है। हाइड्रोजन अणु के इस उत्पादन की प्रक्रिया ऊर्जा लेती है। इसे बनाने की यह प्रक्रिया इलक्ट्रोलिसिस कहलाती है। साधारणतया विद्युत, हवा, पानी या सौर ऊर्जा का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विखंडित करके जिस हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है। उसे ही ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।
अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में मोदी ने नवंबर 2020 में तीसरे आरई-निवेश सम्मेलन को संबोधित करते हुए एक व्यापक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन शुरू करने की योजना की बात की थी। ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रधानमंत्री ने देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा भी की थी।
एनटीपीसी-आरईएल ने लेह में ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूलिंग स्टेशन लगाने के लिये और एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड (एनवीवीएन) ने फ्यूल सेल बसों की खरीद के लिये टेंडर जारी किये गये थे। इसी क्रम में एनटीपीसी-आरईएल लेह में 1.25 मेगावॉट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगा रहा है, जिससे हाइड्रोजन फ्यूलिंग स्टेशन को बिजली मिलेगी। दिसंबर 2021 में एनटीपीसी ने विशाखापत्तनम के पास एनटीपीसी गेस्ट हाउस में इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग करके हाइड्रोजन उत्पादन के साथ ही ‘एकल ईंधन-सेल आधारित माइक्रो-ग्रिड’ परियोजना की शुरुआत की थी। यह भारत की पहली हरित हाइड्रोजन आधारित ऊर्जा भंडारण परियोजना है।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की ओर एक अहम कदम के रूप में फरवरी 2022 में विद्युत मंत्रालय ने ग्रीन हाइड्रोजन/ ग्रीन अमोनिया नीति अधिसूचित की थी।
अप्रैल 2022 में ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) ने असम में अपने जोरहाट पंप स्टेशन पर 10 किलोग्राम प्रति दिन की स्थापित क्षमता के साथ भारत के पहले 99.999% शुद्ध ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्लांट की शुरुआत की थी। ग्रीन हाइड्रोजन एक कार्बनमुक्त चलायमान ऊर्जा स्रोत है, जो विद्युतीकरण का परिपूरक बन सकता है। ग्रीन हाइड्रोजन पानी के अणुओं को इलेक्ट्रोलाइज करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करता है, जिससे इस प्रक्रिया में कोई उत्सर्जन पैदा नहीं होता है।
हाइड्रोजन के अनेक उपयोग हैं। ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग उद्योगों में किया जा सकता है और घरेलू उपकरणों को बिजली देने के लिए मौजूदा गैस पाइपलाइनों में सम्भरित किया जा सकता है। बिजली का उपयोग करने वाली किसी भी चीज को बिजली देने के लिए हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के साथ भी किया जा सकता है, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण। बैटरी के विपरीत, हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं को रिचार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है और जब तक उनके पास हाइड्रोजन ईंधन होता है, तब तक वे नीचे नहीं जाते हैं।
देश में पिछले कुछ समय में ऑटो, पेट्रोलियम रिफाइनिंग और स्टील जैसे क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन का लाभ उठाने का ठोस प्रयास किया जा रहा है। अप्रैल 2022 में, राज्य के स्वामित्व वाली ऑयल इंडिया लिमिटेड ने जोरहाट, असम में भारत का पहला 99.99 प्रतिशत शुद्ध हरित हाइड्रोजन संयंत्र चालू भी कर दिया था।
प्राइवेट क्षेत्र में टाटा मोटर लिमिटेड के सहयोग से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अनुसंधान एवं विकास केंद्र ने हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसों का परीक्षण और उत्पादन किया गया है। रिलायंस इण्डस्ट्रीज, अडानी इंटरप्राइजेज, जेएसडब्लू इनर्जी और एकमे सोलर जैसी कंपनियां भी ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल करने की योजनायें लेकर मैदान में उतर पड़ी हैं। अमेरिका स्थित ओहमियम इंटरनेशनल ने कर्नाटक में भारत की पहली ग्रीन-हाइड्रोजन फैक्ट्री शुरू की है।
देश में कचरे से हाइड्रोजन बनाने का पहला संयंत्र महाराष्ट्र के पुणे में लगाया जा रहा है। इस पर कुल 430 करोड रुपए की लागत आएगी। सरकार ने 2030 तक 5 मिलियन मेट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन के वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य रखा है। पुणे में कचरे से हाइड्रोजन बनाने के लिए पर्यावरण अनुकूल समाधान उपलब्ध कराने वाली कंपनी टीजीबीएल हाइड्रोजन बनाने का प्लांट लगा रही है। कंपनी ने इस संबंध में पुणे नगर निगम के साथ 30 साल का लॉन्ग टर्म करार किया है। अगले साल तक 350 टन ठोस कचरे का प्रतिदिन निपटान किया जाएगा। 350 से टन कचरे से 10 टन हाइड्रोजन प्रतिदिन उत्पादित किया जाएगा।
पिछले कुछ दिनों पहले इंडियन ऑयल कार्पोरेशन ने देश की पहली ग्रीन हाइड्रोजन संचालित बस को सड़क पर उतारा है। यह अभूतपूर्व पहला प्रयास पर्यावरण अनुकूल परिवहन विकल्पों को बढ़ावा देते हुए, प्राकृतिक ईंधन पर देश की निर्भरता को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आईओसी नवीनीकरणीय स्रोतों से बिजली के प्रयोग से पानी के कणों को अलग कर 75 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन करके हाइड्रोजन का प्रायोगिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चलने वाली दो बसों में इस्तेमाल कर रही है। हरित हाइड्रोजनके 30 किलोग्राम क्षमता वाले चार सिलेंडर की ईंधन क्षमता वाली बस 350 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। इन सिलेंडरों को भरने में दस मिनट मात्र समय लगता है।
ईंधन के तौर पर हाइड्रोजन के इस्तेमाल में खासियत यह है कि इससे केवल पानी की वाष्प ही उत्सर्जित होती है। हानिकारक उत्सर्जन तत्वों के नहीं होने और ऊर्जा संगणता तिगुनी होने से ग्रीन हाइड्रोजन एक स्वच्छ एवं अधिक कारगर विकल्प के रूप में उभरा है। यह जलाए जाने पर हाइड्रोजन उप उत्पाद के रूप में केवल जलवाष्प को उत्सर्जित करता है। जो हवा की आद्रता बनाये रखने में सहायता करता है। जिससे यह एक स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल विकल्प बन जाता है। इसके अलावा यह पारंपरिक ईंधन की तुलना में तीन गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है। भारत का व्यापक बुनियादी ढांचा जो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का प्रबंध करने में सक्षम है वह देश को हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात में वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करने में सक्षम है।
भारत ने 2070 तक कार्बन निरपेक्ष होने संकल्प लिया है और यह स्वीकार कर लिया है कि कोयला संचालित नए ताप बिजलीघर की योजना नहीं बनाएगा। भारत को हरित हाइड्रोजन का वैश्विक हब बनाने के उद्देश्य से केंद्र ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को लागू किया है। राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के लिए 19500 करोड रुपए की प्रारम्भिक पूंजी की स्वीकृति दी गयी है। इस मिशन का उद्देश्य देश में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ाना और हरित हाइड्रोजन बनाने में उपयोग होने वाले प्रमुख घटकों के निर्माण को बढ़ावा देना है।
जिस तेजी से भारत में नये नये अनुसंधानों के माध्यम से इस दिशा में दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति की जा रही है, उससे लगता है कि बहुत जल्दी ही भारत वैकल्पिक ईंधन के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का हब बनेगा और प्रमुख निर्यातकर्ता के रूप में भी उभर कर सामने आयेगा।