तीन रातों में सब कुछ बदल गया ! और जो ट्रम्प भारत की आतंक के विरुद्ध पैरवी करता था, वो अचानक भारत का विरोधी क्यों हो गया ?
Focus News 18 August 2025
राकेश शर्मा
समझिये …..
8 मई की रात को जब भारत में 2 बज रहे थे,
तब अमेरिका में दिन के समय राष्ट्रपति कार्यालय सामान्य दिनों की तरह कार्य कर रहा था।
पिछली रात को भारत ने पाकिस्तान स्थित 9 आतंकी अड्डों को जड़ से उखाड़ दिया था और आज की रात पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन हमलों को भारत ने जमीन दिखा दी थी।
ठीक उसी समय अमेरिका के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने कहा था कि ये भारत पाकिस्तान के बीच का मामला है और भारत को आतंक के विरुद्ध लड़ने का पूर्ण अधिकार है।
लेकिन अचानक 9-10 मई की दरमियानी रात को सब कुछ बदल गया।
अचानक अमेरिका की विदेश नीति ने sharp U-turn ले लिया।
समस्त विश्व भौंचक्का रह गया।
हम भारतीय कुछ समझ नहीं सके कि अमेरिका को यह क्या हो गया !
11 मई को दिन भर वैश्विक राजनीति में भारी असमंजस बना रहा और दोपहर में ही ट्रंप ने ट्वीट कर दिया कि भारत पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया है।
शाम होते होते भारत ने भी पुष्टि कर दी थी।
ये सब क्या हुआ, कैसे हुआ समझ नहीं आया किसी को भी….!
लेकिन भारत के मीडिया ने 11 मई को सुबह से ही एक बहुत विस्फोटक खुलासा किया, 10-11 की दरमियानी रात के बारे में।
भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरफोर्स स्टेशन पूरी तरह नष्ट कर दिए,
उसके चीन अमेरिका के बने डिफेंस राडार जमींदोज हो गए, अमेरिकी थाड और F-16 हों या चीनी HQ-19, JF-17 या मिसाइलें और आवाक्स हों, भारत ने सब कुछ मिट्टी में मिला दिए।
और
सरगोधा एयरफील्ड के पास स्थित किराना हिल्स पर ब्रह्मोस का हमला हुआ…..
किराना हिल्स…. !!
ये क्या था,
वहां क्या था,
वो नाम जंगल में आग की तरह पूरे संसार में फैलकर कुछ मिनटों में ही बहस का हिस्सा बन गया।
फिर दोपहर तक एक बड़ी खबर सामने आई
कि
वो तो पाकिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे सुरक्षित न्यूक्लीयर बेस था।
वो अमेरिकी कंपनी ने बनाया था,
वहां F-16 बनाने वाली अमेरिकी कंपनी, लाकहीड मार्टिन के राडार और सुरक्षा यंत्र लगे हैं,
……..?????
अमेरिकी कंपनी ?
पाकिस्तान का न्यूक्लियर बेस ?
ये सब क्या है?
सब कुछ तिलस्मी कहानी की तरह!
भारत के सैन्य अधिकारी ने ऐसे किसी भी हमले से साफ इंकार कर दिया।
लेकिन सीजफायर तो हुआ था….,
एक दम अचानक हुआ था….,
भारतीय जनमानस के अनुकूल नहीं हुआ था….,
लेकिन क्या किसी पर दया करने के लिए,
किसी के दबाव में….
अथवा किसी को सेफ पैसेज विंडो देने के लिए….
या
किसी बहुत बड़ी परमाणु विभिषिका को टालने के लिए हुआ था…. !
कारण शाम तक स्पष्ट नहीं हो सके थे।
लेकिन अब ज़माना बहुत बदल गया है ।
अब सूचनाएं विद्युत गति से चलती हैं।
कुछ पुष्ट कुछ अपुष्ट खबरें आने लगीं थीं।
युद्ध विराम के सभी कारण स्पष्ट दिखाई देने लगे…. ।
रात तक ख़बर यह आई कि किराना हिल्स की गहरी गुफाओं में अमेरिकी अथवा अमेरिकी संरक्षण में चल रहा एक परमाणु अड्डा है, जिसकी सुरक्षा व संचालन भी अमेरिका के ही पास थी,
वहां न्यूक्लीयर रैडिएशन की आशंका जताई जा रही है……..!
इससे पता चला कि भारत ने एक साथ दो दो सांपों की दुम पर पैर रख दिया था।
तो यह समझने में देर लगनी ही नहीं थी कि युद्ध विराम की याचक विंडो किसने मांगी थी।
एक देश तो पूरा खत्म होने के कगार पर पहुंच ही गया लेकिन उसकी “मर्सी पिटिशन” पर सुनवाई होने की संभावना तो आज भी अविश्वसनीय लगती है।
लेकिन बड़े थानेदार जी की बात अलग थी।
उनसे भारत की लड़ाई भी नहीं थी,
कोई score भी settle नहीं करना था,
लेकिन वे रंगे हाथों पकड़े गए थे….
जैसा कहते हैं “Caught in the action!”
तो उनकी झेंप और झल्लाहट पूरी तरह न्यायोचित भी थी !
इसलिए भारत ने उनकी बात तत्काल मान ली होगी ऐसा हम अनुमान से कह सकते हैं,
इस बात का कोई प्रमाण पब्लिक को दिया जाएगा इसकी संभावना नहीं है।
लेकिन झेंप, खीज और सदमे का दूरगामी असर हुआ और ट्रंप की भाषा अगले ही दिन बदल गई…. ।
सदमे में बैठा पैंटागन कई घंटों तक ख़ुद ही नहीं समझ पाया कि इतनी सटीक और घातक तकनीक जो उनके पास भी नहीं है, वो किसी third world country के पास कैसे हो सकती है…. ??
किसी देश ने कुछ दिन और घंटे नहीं,
कुछ मिनटों में चीन और अमेरिका दोनों की सारी हेकड़ी धूल में जो मिला दी थी।
उसके बाद जो कुछ भी हो रहा है उसके सभी कारण आपको आसानी से समझ आ रहे होंगे।
अमेरिका का यह गुस्सा कुछ दिन रहने ही वाला है। उसने सौ साल एकछत्र राज किया है संसार पर,
पहली बार असली चुनौती दस्तक दे रही है जिसने ट्रंप को नहीं, अमेरिकी “इंस्टीट्यूशन” को झकझोर दिया हैऐसे में जरूरी तो नहीं हर कोई चीन की तरह या भारत की तरह धीर-गंभीर और प्रशांत बना रहे…तो कुछ दिनों तक ये सब तो चलेगा ही….!
‘फेल्ड’ मार्शल को लंच…. ,
वो अचानक पाकिस्तान की तारीफों के पुल बांधना..वो IMF और World Bank से मुंहमांगी रकम दिलाना..वो हथियारों की आपूर्ति की कसमें…. ,वो तेल निकालने के सपने…. ,
वो टैरिफ में 10% की कटौती….
और
भारत से अचानक इतनी तल्खी,
हर रोज़ एक नए टैरिफ की धमकी,
हर रोज़ प्रतिबंध की धमकी,
भारत की अर्थव्यवस्था का उपहास……
आप सोच रहे थे आपकी इस अगली पीढ़ी की “टैक सुपीरियरिटी” और अप्रत्याशित ताक़त देख कर सौ साल से दुनियां पर एकक्षत्र राज करने वाला अमेरिका खुश होगा….?
शाबाशी देगा…. ?
नहीं….
लेकिन वो शायद भूल रहा है कि इस बार भारत का नेतृत्व ऐसे हाथों में है…. जो भट्टी में तप कर निकले हैं। फिर भी देश को ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता होगी…. !
क्योंकि उन्होंने अब हमारे अंदर के गद्दारों को भाड़े पर रख लिया है, यानी 0.5 फ्रंट का बटन दबा चुके हैं, और हमारे देश में ही पल रहे सपोले खुलकर सड़कों पर उत्पात मचाने के लिए उतर चुके हैं।
जिसकी बानगी लोगों ने कल देखी होगी…. और आने वाले दिनों में उनका और विषैला रूप भी देखने को मिलेगा….
तनिक सतर्क रहिएगा।
समझिये …..

8 मई की रात को जब भारत में 2 बज रहे थे,
तब अमेरिका में दिन के समय राष्ट्रपति कार्यालय सामान्य दिनों की तरह कार्य कर रहा था।
पिछली रात को भारत ने पाकिस्तान स्थित 9 आतंकी अड्डों को जड़ से उखाड़ दिया था और आज की रात पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन हमलों को भारत ने जमीन दिखा दी थी।
ठीक उसी समय अमेरिका के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने कहा था कि ये भारत पाकिस्तान के बीच का मामला है और भारत को आतंक के विरुद्ध लड़ने का पूर्ण अधिकार है।
लेकिन अचानक 9-10 मई की दरमियानी रात को सब कुछ बदल गया।
अचानक अमेरिका की विदेश नीति ने sharp U-turn ले लिया।
समस्त विश्व भौंचक्का रह गया।
हम भारतीय कुछ समझ नहीं सके कि अमेरिका को यह क्या हो गया !
11 मई को दिन भर वैश्विक राजनीति में भारी असमंजस बना रहा और दोपहर में ही ट्रंप ने ट्वीट कर दिया कि भारत पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया है।
शाम होते होते भारत ने भी पुष्टि कर दी थी।
ये सब क्या हुआ, कैसे हुआ समझ नहीं आया किसी को भी….!
लेकिन भारत के मीडिया ने 11 मई को सुबह से ही एक बहुत विस्फोटक खुलासा किया, 10-11 की दरमियानी रात के बारे में।
भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरफोर्स स्टेशन पूरी तरह नष्ट कर दिए,
उसके चीन अमेरिका के बने डिफेंस राडार जमींदोज हो गए, अमेरिकी थाड और F-16 हों या चीनी HQ-19, JF-17 या मिसाइलें और आवाक्स हों, भारत ने सब कुछ मिट्टी में मिला दिए।
और
सरगोधा एयरफील्ड के पास स्थित किराना हिल्स पर ब्रह्मोस का हमला हुआ…..
किराना हिल्स…. !!
ये क्या था,
वहां क्या था,
वो नाम जंगल में आग की तरह पूरे संसार में फैलकर कुछ मिनटों में ही बहस का हिस्सा बन गया।
फिर दोपहर तक एक बड़ी खबर सामने आई
कि
वो तो पाकिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे सुरक्षित न्यूक्लीयर बेस था।
वो अमेरिकी कंपनी ने बनाया था,
वहां F-16 बनाने वाली अमेरिकी कंपनी, लाकहीड मार्टिन के राडार और सुरक्षा यंत्र लगे हैं,
……..?????
अमेरिकी कंपनी ?
पाकिस्तान का न्यूक्लियर बेस ?
ये सब क्या है?
सब कुछ तिलस्मी कहानी की तरह!
भारत के सैन्य अधिकारी ने ऐसे किसी भी हमले से साफ इंकार कर दिया।
लेकिन सीजफायर तो हुआ था….,
एक दम अचानक हुआ था….,
भारतीय जनमानस के अनुकूल नहीं हुआ था….,
लेकिन क्या किसी पर दया करने के लिए,
किसी के दबाव में….
अथवा किसी को सेफ पैसेज विंडो देने के लिए….
या
किसी बहुत बड़ी परमाणु विभिषिका को टालने के लिए हुआ था…. !
कारण शाम तक स्पष्ट नहीं हो सके थे।
लेकिन अब ज़माना बहुत बदल गया है ।
अब सूचनाएं विद्युत गति से चलती हैं।
कुछ पुष्ट कुछ अपुष्ट खबरें आने लगीं थीं।
युद्ध विराम के सभी कारण स्पष्ट दिखाई देने लगे…. ।
रात तक ख़बर यह आई कि किराना हिल्स की गहरी गुफाओं में अमेरिकी अथवा अमेरिकी संरक्षण में चल रहा एक परमाणु अड्डा है, जिसकी सुरक्षा व संचालन भी अमेरिका के ही पास थी,
वहां न्यूक्लीयर रैडिएशन की आशंका जताई जा रही है……..!
इससे पता चला कि भारत ने एक साथ दो दो सांपों की दुम पर पैर रख दिया था।
तो यह समझने में देर लगनी ही नहीं थी कि युद्ध विराम की याचक विंडो किसने मांगी थी।
एक देश तो पूरा खत्म होने के कगार पर पहुंच ही गया लेकिन उसकी “मर्सी पिटिशन” पर सुनवाई होने की संभावना तो आज भी अविश्वसनीय लगती है।
लेकिन बड़े थानेदार जी की बात अलग थी।
उनसे भारत की लड़ाई भी नहीं थी,
कोई score भी settle नहीं करना था,
लेकिन वे रंगे हाथों पकड़े गए थे….
जैसा कहते हैं “Caught in the action!”
तो उनकी झेंप और झल्लाहट पूरी तरह न्यायोचित भी थी !
इसलिए भारत ने उनकी बात तत्काल मान ली होगी ऐसा हम अनुमान से कह सकते हैं,
इस बात का कोई प्रमाण पब्लिक को दिया जाएगा इसकी संभावना नहीं है।
लेकिन झेंप, खीज और सदमे का दूरगामी असर हुआ और ट्रंप की भाषा अगले ही दिन बदल गई…. ।
सदमे में बैठा पैंटागन कई घंटों तक ख़ुद ही नहीं समझ पाया कि इतनी सटीक और घातक तकनीक जो उनके पास भी नहीं है, वो किसी third world country के पास कैसे हो सकती है…. ??
किसी देश ने कुछ दिन और घंटे नहीं,
कुछ मिनटों में चीन और अमेरिका दोनों की सारी हेकड़ी धूल में जो मिला दी थी।
उसके बाद जो कुछ भी हो रहा है उसके सभी कारण आपको आसानी से समझ आ रहे होंगे।
अमेरिका का यह गुस्सा कुछ दिन रहने ही वाला है। उसने सौ साल एकछत्र राज किया है संसार पर,
पहली बार असली चुनौती दस्तक दे रही है जिसने ट्रंप को नहीं, अमेरिकी “इंस्टीट्यूशन” को झकझोर दिया हैऐसे में जरूरी तो नहीं हर कोई चीन की तरह या भारत की तरह धीर-गंभीर और प्रशांत बना रहे…तो कुछ दिनों तक ये सब तो चलेगा ही….!
‘फेल्ड’ मार्शल को लंच…. ,
वो अचानक पाकिस्तान की तारीफों के पुल बांधना..वो IMF और World Bank से मुंहमांगी रकम दिलाना..वो हथियारों की आपूर्ति की कसमें…. ,वो तेल निकालने के सपने…. ,
वो टैरिफ में 10% की कटौती….
और
भारत से अचानक इतनी तल्खी,
हर रोज़ एक नए टैरिफ की धमकी,
हर रोज़ प्रतिबंध की धमकी,
भारत की अर्थव्यवस्था का उपहास……
आप सोच रहे थे आपकी इस अगली पीढ़ी की “टैक सुपीरियरिटी” और अप्रत्याशित ताक़त देख कर सौ साल से दुनियां पर एकक्षत्र राज करने वाला अमेरिका खुश होगा….?
शाबाशी देगा…. ?
नहीं….
लेकिन वो शायद भूल रहा है कि इस बार भारत का नेतृत्व ऐसे हाथों में है…. जो भट्टी में तप कर निकले हैं। फिर भी देश को ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता होगी…. !
क्योंकि उन्होंने अब हमारे अंदर के गद्दारों को भाड़े पर रख लिया है, यानी 0.5 फ्रंट का बटन दबा चुके हैं, और हमारे देश में ही पल रहे सपोले खुलकर सड़कों पर उत्पात मचाने के लिए उतर चुके हैं।
जिसकी बानगी लोगों ने कल देखी होगी…. और आने वाले दिनों में उनका और विषैला रूप भी देखने को मिलेगा….
तनिक सतर्क रहिएगा।