भारत को 6.4 प्रतिशत आर्थिक वृद्घि के लिए राजकोषीय, मौद्रिक नीति में बदलाव की जरूरत: मूडीज

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) मूडीज एनालिटिक्स ने बुधवार को कहा कि रुपये में गिरावट, घटते विदेशी निवेश और अस्थिर मुद्रास्फीति के बीच भारत को वर्ष 2025 में 6.4 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि हासिल करने के लिए अपनी राजकोषीय एवं मौद्रिक नीति में बदलाव करने होंगे।

विश्लेषक फर्म मूडीज एनालिटिक्स ने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2025-26 का एक फरवरी को आने वाला बजट घरेलू मांग खासकर निवेश का समर्थन करेगा जबकि राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 प्रतिशत से कम रखने का लक्ष्य रखा जाएगा।

वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.6 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर 4.9 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है।

मूडीज एनालिटिक्स में सह-अर्थशास्त्री अदिति रमण ने कहा, “भारत 2025 में मुश्किल हालात का सामना कर रहा है। रुपये में आ रही कमजोरी, घटता विदेशी निवेश और अस्थिर मुद्रास्फीति सबसे बड़े आर्थिक जोखिम वाले क्षेत्र हैं। अगर भारत को 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करनी है, तो राजकोषीय और मौद्रिक नीति में बदलाव की जरूरत है, जो साल की पहली छमाही में हो सकते हैं।”

रेटिंग एजेंसी मूडीज की सहयोगी इकाई ने कहा कि 2024 में भारत एशिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक था लेकिन पहली तीन तिमाहियों में इसकी जीडीपी वृद्धि कम हुई है। दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि में तेजी आने से कैलेंडर वर्ष 2024 में कुल मिलाकर 6.8 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है।

इसके मुताबिक, इसकी तुलना 2023 की 7.8 प्रतिशत वृद्धि से की जाए तो अर्थव्यवस्था की नरमी वर्ष 2025 के लिए सतर्क रुख अपनाने का संकेत दे रही है। ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची रहने से घरेलू मांग कम होगी। इसके अलावा अमेरिका में भारतीय आयातों पर शुल्क बढ़ने से निर्यात परिवेश चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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