नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को पारंपरिक भारतीय खेलों को दुनिया भर में ले जाने की सरकार की इच्छा व्यक्त की और कहा कि खोखो को एशियाई खेलों और 2036 ओलंपिक में शामिल करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होगी।
भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है और उसने अपनी महत्वाकांक्षी योजना की दिशा में पहला ठोस कदम उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के भविष्य मेजबान आयोग को अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए एक ‘आशय पत्र’ प्रस्तुत किया है।
अगर भारत को मेजबानी का अधिकार मिलता है तो खोखो उन छह खेलों में से एक होगा जिन्हें मंत्रालय की मिशन ओलंपिक इकाई (एमओसी) ट्वेंटी-20 क्रिकेट, कबड्डी, शतरंज और स्क्वाश के साथ 2036 ओलंपिक में शामिल करने की सिफारिश करने की योजना बना रही है।
विश्व कप जीतने वाली भारतीय खोखो टीमों को सम्मानित करते हुए मांडविया ने कहा, ‘‘हमने खोखो विश्व कप का आयोजन करके शानदार काम किया है और हमें यह प्रयास करना चाहिए कि इन खिलाड़ियों को एशियाई खेलों में खेलने का मौका मिले। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का प्रयास खोखो को 2036 के ओलंपिक में ले जाना भी है। इसके लिए खिलाड़ियों और कोचों को अच्छा प्रदर्शन करते रहना होगा, महासंघ को अच्छा प्रबंधन करते रहना होगा और खेल मंत्रालय खिलाड़ियों के प्रदर्शन के स्तर को बढ़ाने में सहायता और सहयोग करता रहेगा। ’’
सम्मान समारोह में पुरुष और महिला टीमों के साथ टीम के कोच और भारतीय खोखो महासंघ के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल सहित अन्य लोग शामिल हुए।
भारतीय पुरुष और महिला टीमों ने 19 जनवरी को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में पहले खोखो विश्व कप का खिताब जीता। दोनों भारतीय टीमों ने फाइनल में नेपाल को हराया।
देश में पारंपरिक खेलों के पुनरुत्थान के बारे में बात करते हुए मांडविया ने कहा, ‘‘पारंपरिक खेल सामुदायिक भावना और सहनशीलता को दर्शाते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये हमारे पारंपरिक खेल मूल्यों को बनाए रखते हैं। दुनिया इन पारंपरिक खेलों की समृद्धि से बहुत कुछ सीख सकती है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न राष्ट्रीय मंचों पर जिक्र किया है कि हमें पारंपरिक खेलों को सर्वश्रेष्ठ ‘एक्सपोजर’ देना होगा। अब हमारी टीम को सर्वश्रेष्ठ ‘एक्सपोजर’ ही नहीं मिल रहा बल्कि टीम शानदार प्रदर्शन भी कर रही हैं। ’’
भारतीय महिला खोखो टीम के मुख्य कोच सुमित भाटिया ने टीम की सफलता का श्रेय यहां कराये गये एक महीने के शिविर को दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘10 दिसंबर को हमने 60 खिलाड़ियों के साथ शिविर शुरू किया। उनमें से हमने पुरुष और महिला टीमों के लिए प्रत्येक में सर्वश्रेष्ठ 15 खिलाड़ी चुने। टीमों में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के खिलाड़ी शामिल थे और शिविर ने उन्हें एकजुट होने में मदद की। ’’