देश के इतिहास का पहला मसौदा उपनिवेशवादियों के विकृत दृष्टिकोण के माध्यम से आया: धनखड़

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नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि यह हास्यास्पद बात है कि अज्ञानी अपने संकीर्ण दृष्टिकोण से हमें समावेशिता के बारे में जागरूक करने की कोशिश करते रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि देश के इतिहास का पहला मसौदा उपनिवेशवादियों के विकृत दृष्टिकोण के माध्यम से आया था।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हजारों लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया लेकिन कुछ को ही बढ़ावा दिया गया और आजादी के बाद भी इसे जड़ें जमाने दिया गया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि इससे हमारी ज्ञान प्रणाली का जैविक विकास बाधित हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुद को औपनिवेशिक विरासत और मानसिकता से मुक्त करना होगा।’’

धनखड़ ने जोर देकर कहा कि वेदांत, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और अन्य के दार्शनिक संस्थानों ने हमेशा संवाद और सह-अस्तित्व को प्रोत्साहित किया है और यही वे सिद्धांत हैं जो आज की ध्रुवीकृत दुनिया में अत्यधिक मूल्य रखते हैं।

युवाओं से भारत के गणितीय योगदान पर गर्व करने का आग्रह करते हुए धनखड़ ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत की विरासत फले-फूले और आगे बढ़े।

यहां भारतीय विद्या भवन में नंदलाल नुवाल सेंटर ऑफ इंडोलॉजी की आधारशिला रखने के बाद उन्होंने कहा कि अगर हम ‘इंडोलॉजी’ को ध्यान में रखते हैं तो आज हम जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनमें से अधिकांश को त्वरित गति से हल किया जा सकता है।

इंडोलॉजी शब्द का तात्पर्य भारत, उसके लोगों, संस्कृति, भाषाओं और साहित्य के अकादमिक अध्ययन से है।

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