विवादों में घिरे धनंजय मुंडे ने कहा-मैं अर्जुन हूं, अभिमन्यु नहीं

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शिरडी, 19 जनवरी (भाषा) विवादों में घिरे महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे ने रविवार को महाभारत का हवाला देते हुए दावा किया कि उन्हें ‘अभिमन्यु’ की तरह नहीं घेरा जा सकता, क्योंकि वह महान धनुर्धर ‘अर्जुन’ हैं।

पिछले साल नौ दिसंबर को बीड में मसाजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख के अपहरण और हत्या के मामले में मुंडे विपक्ष के साथ-साथ सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के नेताओं के भी निशाने पर हैं।

पुलिस ने देशमुख हत्याकांड से जुड़े जबरन वसूली के मामले में मुंडे के करीबी वाल्मिक कराड को गिरफ्तार किया है, जिसके बाद कई नेताओं ने उन्हें देवेंद्र फडणवीस सरकार से बर्खास्त करने की मांग की है।

पारली से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) विधायक मुंडे को शनिवार रात राज्य सरकार की ओर से घोषित प्रभारी मंत्रियों की सूची में शामिल नहीं किया गया। उनकी जगह उपमुख्यमंत्री और राकांपा प्रमुख अजित पवार को उनके गृह जिले पुणे के अलावा बीड जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

अहिल्यानगर के शिरडी में राकांपा के अधिवेशन में मुंडे ने सरपंच हत्याकांड और उससे जुड़े जबरन वसूली के मामले में उन्हें निशाना बनाने के लिए कुछ नेताओं की आलोचना की। उन्होंने कहा कि उन्हें दुख है कि इन नेताओं में सत्तारूढ़ महायुति के लोग भी शामिल हैं। महायुति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल हैं।

मुंडे ने कहा, “चाहे कुछ भी हो, मुझे अभिमन्यु की तरह घेरने से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि मैं अभिमन्यु नहीं, अर्जुन हूं। पार्टी (राकांपा) के कुछ नेता भी अजित दादा को गलत जानकारी दे रहे हैं, जो इस कठिन समय में मेरे साथ खड़े हैं।”

महाभारत में कौरव अभिमन्यु को “चक्रव्यूह” में फंसाकर मारने में सफल रहे थे।

अधिवेशन में बोलते हुए मुंडे ने कहा कि देशमुख की हत्या बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और वह तभी से मांग कर रहे हैं कि दोषियों को फांसी दी जाए।

उन्होंने आरोप लगाया, ”अपराध जाति या धर्म देखकर नहीं किया जाता, लेकिन इस घटना के कारण एक समुदाय को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।”

राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बंटोर रहे देशमुख हत्याकांड को लेकर पूरे महाराष्ट्र में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। कुछ तबके इसे जातीय टकराव से भी जोड़ रहे हैं, क्योंकि ज्यादातर आरोपियों के अलावा मुंडे भी वंजारी समुदाय से हैं, जबकि देशमुख एक मराठा थे। आरक्षण की मांग को लेकर दोनों समुदाय, खासकर महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में, काफी समय से आमने-सामने हैं।

मुंडे ने मुश्किल समय में साथ देने के लिए पवार का आभार जताया और कहा कि इसके चलते उन्हें खलनायक करार दिया जा रहा है।

राकांपा विधायक ने कहा कि उन्होंने 2014 और 2019 के बीच (देवेंद्र फडणवीस नीत) तत्कालीन भाजपा-शिवसेना (अविभाजित) सरकार के खिलाफ कई अभियान चलाए थे।

उन्होंने दावा किया, “नवंबर 2019 में शपथ ग्रहण से पहले मैंने अजित दादा को फडवणीस सरकार में उप मुख्यमंत्री के रूप में शामिल नहीं होने के लिए कहा था। वह आगे बढ़े, लेकिन मुझे सजा भुगतनी पड़ी।”

नवंबर 2019 में अजित पवार ने सबको चौंकाते हुए सरकार गठन में भाजपा की मदद के लिए फडणवीस से हाथ मिलाया था।

हालांकि, यह सरकार सिर्फ 80 घंटों तक टिक सकी थी। बाद में अजित पवार राकांपा में लौट आए, जिसने कांग्रेस और शिवसेना (अविभाजित) के साथ मिलकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार बनाई।

मुंडे ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उनसे कहा गया था कि वह राकांपा उम्मीदवार सुनेत्रा पवार के लिए प्रचार करने बारामती न जाएं, क्योंकि यह अजित पवार के लिए सिरदर्द होगा।

अजित की पत्नी सुनेत्रा लोकसभा चुनाव में राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेता और अजित की चचेरी बहन सुप्रिया सुले से भारी मतों के अंतर से हार गई थीं।

मुंडे ने राकांपा (एपी) नेता जितेंद्र आह्वाड के स्पष्ट संदर्भ में कहा, “मैं फिर भी (बारामती में) प्रचार करने गया। मैंने ठाणे में पार्टी उम्मीदवार के लिए प्रचार किया और यही कारण है कि ठाणे के नेता मुझे निशाना बनाने के लिए बीड आ रहे हैं।”

मुंडे ने दावा किया कि नौ दिसंबर को सरपंच देशमुख की हत्या के बाद मीडिया के एक वर्ग में उन पर उंगली उठाने वाली खबरों के प्रकाशन के साथ-साथ सोशल मीडिया पर उन्हें ‘ट्रोल’ किए जाने के कारण बीड में सामाजिक माहौल संवेदनशील हो गया है।

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