नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना संघीय ढांचे के खिलाफ नहीं है और ऐसा करने से शासन बेहतर होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ का विरोध करने वाले लोग राजनीतिक कारणों से ऐसा कर रहे हैं।
मेघवाल ने ‘पीटीआई-वीडियो’ को दिये साक्षात्कार में कहा कि 1952 से लोकसभा और विधानसभाओं के कुछ चुनाव एक साथ हुए थे।
उन्होंने कहा कि अगर वह संघीय ढांचे के खिलाफ नहीं था, तो अब यह (संघवाद के लिए) कैसे सही नहीं रहेगा।
मेघवाल ने कहा कि एक साथ चुनाव संबंधी विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी चाहते हैं कि सदन की एक समिति मसौदा कानूनों की पड़ताल करे।
संयुक्त समिति की पहली बैठक में विधायी विभाग के सचिव राजीव मणि ने सदस्यों को एक साथ चुनाव के विभिन्न पहलुओं और इन चुनावों के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया।
कानून मंत्री ने कहा, ‘‘अब सबसे बड़ा आरोप जो वे (एक देश, एक चुनाव का विरोध करने वाले) लगा रहे हैं, वह यह है कि ऐसा करना संघीय ढांचे के खिलाफ होगा। मैं यह कहना चाहता हूं कि 1952 में चुनाव हुए थे, सभी विधानसभाओं के चुनाव भी एक साथ हुए थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘1957 में चुनाव हुए थे, 1962 में चुनाव भी एक साथ हुए थे। 1967 के चुनाव भी एक साथ हुए थे…अब यह (संघीय ढांचे के लिए) नुकसानदेह कैसे होगा?’’
मेघवाल ने कहा कि एक साथ चुनाव होने से सुशासन और तेजी से विकास होगा।
उन्होंने कहा कि आदर्श आचार संहिता के कारण समय-समय पर जो कठिनाइयां आती हैं, उनका समाधान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में विपक्षी सदस्यों को एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने कहा, ‘‘लोकसभा के गठन की तिथि के बारे में भी उन्हें बताया गया है, वे सब कुछ समझ गए हैं।’’
कानून मंत्री ने दावा किया, ‘‘…अगर कोई इसका विरोध कर रहा है, तो वे राजनीतिक कारणों से ऐसा कर रहे हैं।’’
वक्फ संशोधन विधेयक पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति मसौदा कानूनों की पड़ताल कर रही है और परामर्श कर रही है।
मेघवाल ने सवाल किया, ‘‘लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी गांव की संपत्ति के बारे में आप वहां जाकर कहें कि यह वक्फ की संपत्ति है और यह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी?’’
उन्होंने कहा कि अतिक्रमण के मामले में एक प्रणाली होनी चाहिए।
समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद, इसे चर्चा और पारित करने के लिए संसद में लाया जाएगा।
उपासना स्थल अधिनियम के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब मामला उच्चतम न्यायालय में है, तो इस मुद्दे पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से दूर रहना चाहिए।