पर्यावरण प्रदूषण ने लगाया मानव अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह

0
etat-des-lieux-la-realite-de-la-pollution-et-de-la-degradation-environnementale.png

जिन वस्तुओं, रचनाओं और शक्तियों से हम घिरे हैं वही हमारा पर्यावरण निर्धारित करते हैं। जल, स्थल और वायु मंडल में उपलब्ध समस्त समूह वस्तुएं शक्तियां भौगोलिक रचना एवं मानवीय रचनाएं संपूर्ण वनस्पति एवं जीव जगत, जल, स्थल, वर्षा मौसम, परिवहन, हवा, सूर्य, चंद्रमा, प्रकाश आदि के द्वारा हमारा पर्यावरण निर्धारित होता है।
पृथ्वी के चारों ओर जो भी जीवित तथा निर्जीव घटक हैं, ये सब आपस में मिलकर पर्यावरण संतुलन का ताना बाना बुनते हैं तथा जीवन की क्रियाओं को चलाने में मदद करते हैं परंतु विगत कुछ दशकों में हमारी बढ़ती आबादी,अनियमित औद्योगीकरण एवं नगरीकरण, फैलती सघनकृषि, वनों का अंधाधुंध कटान तथा विकास योजना के क्रियान्वयन में पर्यावरण पहलुओं को विशेष ध्यान न देने के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ना शुरू हो गया है।
वैसे संतुलन बनाये रखने का प्रयास प्रकृति द्वारा स्वयं किया जाता है परंतु मानवीय दखलअंदाजी के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है और प्रदूषण बढ़ता है। गांधी जी ने कहा था प्रकृति व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती हैं लेकिन वह प्रत्येक के लालच की पूर्ति नहीं कर सकती है।
पर्यावरण तीन प्रकार के हैं- प्राकृतिक पर्यावरण, मानव निर्मित पर्यावरण, सामाजिक पर्यावरण।
1. प्राकृतिक पर्यावरण – इसमें हवा, पानी, भूमि, वृक्ष, नदियां, वनस्पतियां एवं जीव जंतु आदि आते है।
2. मानव निर्मित पर्यावरण – इसमें शहर, विभिन्न औद्योगिक एवं अन्य मानव निर्मित प्रतिष्ठान भवन, सड़कें, बांध, नहरें, यातायात उद्योग आदि आते हैं।
3. सामाजिक पर्यावरण – आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व्यवस्था एवं उनका मानव पर प्रभाव जैसे जनसंख्या वृद्धि, रोजगार वाणिज्य संस्कृति आदि।
पर्यावरण संरक्षण में जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी व आकाश का संतुलित अस्तित्व बनाए रखना अति आवश्यक हैं। जैन, साधु संत पानी के अल्पतम उपयोग की भावना से स्नान के स्थान पर टावेल बाथ, फ्लश टॉयलेट के स्थान पर जंगल में मलमूत्रा त्याग, भोजन के उपयोग हेतु काम में लिए गए बरतनों को धोकर पानी को पीने, नंगे पाव विहार करने, साउण्ड सिस्टम का उपयोग नहीं करने, सूर्यास्त के बाद अपने पास कोई भोज्य सामग्री नहीं रखने जैसे नियमों का पालन करते हैं। जैन धर्म में पानी की एक बूंद में अनगिनत सूक्ष्म जीव माने गये जिन्हें विज्ञान की भाषा में बैक्टीरिया कहा जाता है।
पर्यावरण के विभिन्न अवयवों को विभिन्न मानवीय क्रियाओं द्वारा बहुत नुकसान पहुंच चुका है। इसी कारण आज के दौर में पर्यावरण को साफ सुथरा और हरा भरा रखने की कोशिशें राज्य एवं राज्य सरकारों द्वारा की जा रही हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *