मुंबई, 17 जनवरी (भाषा) घरेलू मांग में तेजी लौटने से देश की आर्थिक वृद्धि में मजबूती आने की उम्मीद है। हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी होने से स्थिति पर सावधानीपूर्वक नजर रखने की जरूरत है। शुक्रवार को जारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बुलेटिन में यह कहा गया।
जनवरी के बुलेटिन में ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर प्रकाशित लेख में कहा गया है कि 2025 के लिए आर्थिक परिदृश्य अलग-अलग देशों में भिन्न-भिन्न हैं। इनमें अमेरिका में गति में कुछ कमी, यूरोप और जापान में कमजोर से लेकर मध्यम सुधार, विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में उभरते और विकासशील देशों में अधिक मध्यम वृद्धि तथा मुद्रास्फीति में धीरे-धीरे कमी की स्थिति शामिल है।
इसमें कहा गया, “महत्वपूर्ण आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि भारत में वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी की उम्मीद है। यह एनएसओ के पहले अग्रिम अनुमानों में इस अवधि के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि के आंकड़े से भी पता चलता है।’’
इसमें कहा गया है कि लगातार दूसरे महीने दिसंबर में सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति में कमी आई है। हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी रहने के कारण स्थिति पर सावधानीपूर्वक नजर रखने की आवश्यकता है।
यह लेख माइकल पात्रा की अगुआई वाली टीम ने लिखा है। उनका विस्तारित कार्यकाल इस महीने समाप्त हो गया।
लेख में कहा गया है, “घरेलू मांग में मजबूती आने के साथ ही भारत की आर्थिक वृद्धि में मजबूती आने की उम्मीद है। ग्रामीण मांग में तेजी जारी है, जो खपत में मजबूती को बताता है। इसे बेहतर कृषि संभावनाओं से समर्थन मिल रहा है।”
बुनियादी ढांचे पर सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में सुधार से प्रमुख क्षेत्रों में वृद्धि को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
इसमें यह भी कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ती लागत के दबाव, मौसम संबंधी आपात स्थितियां और वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियां इस परिदृश्य के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं।
केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया है कि बुलेटिन में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और वे भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।