कैसे ग्लोबल इंडेक्स में भारतीय बांड्स को शामिल करने से भारत के वित्तीय बाज़ार की क्षमता उजागर हो सकती है

जेपी मॉर्गन चेज़ एंड कंपनी ने घोषणा की है कि वह उभरते मार्केट बांड इंडेक्स में भारतीय सरकारी बांड को शामिल करेगी. ग्लोबल बांड इंडेक्स में भारतीय सरकारी बांडों को शामिल करने से निवेशक आधार

(विविधीकरण (Diversification) को सपोर्ट करेगा.

 

सरकार ने 2013 में ही अपने बांडों को ग्लोबल बांड इंडेक्स में शामिल करने की संभावनाओं पर चर्चा शुरू कर दी थी, लेकिन मात्रात्मक सीमाओं (Quantitative Limits) सहित सरकारी बांडों में विदेशी निवेश पर जटिल प्रतिबंधों ने इसे शामिल करने में बाधा उत्पन्न की. इसके अलावा, लेन-देन (Transaction) के सेटलमेंट पर असहमति और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिए कर लाभ (Tax Benefit) की कमी ने सरकारी बांडों को शामिल करने में देरी की.

हालांकि ये बाधाएं अभी भी बनी हुई हैं, रूस के बहिष्कार के बाद सूचकांक में विविधता लाने की आवश्यकता ने भारत को शामिल करने को प्रेरित किया. ऋण में विदेशी भागीदारी पर प्रतिबंधों में ढील देने के हालिया उपायों से भी भारतीय बांडों का आकर्षण बढ़ा है.

 

ऋण बाजार में विदेशी निवेश पर नियंत्रण का उदारीकरण

हाल के दिनों में, आरबीआई सरकारी और कॉर्पोरेट बॉन्ड में विदेशी निवेश को नियंत्रित करने वाले नियमों को उदार बना रहा है.

इसमें एक प्रमुख मील का पत्थर मार्च 2020 में फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर) की घोषणा थी, जिसने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियों के चुनिंदा सेट तक असीमित ऐक्सेस प्रदान किया.

 

एफएआर (FAR) के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश पर लगी सीमा को हटाने से वैश्विक बांड सूचकांकों में सरकारी बांडों को शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हुआ. जेपी मॉर्गन ने घोषणा की कि एफएआर के तहत जारी बांड को इंडेक्स में शामिल किया जाएगा. वर्तमान में, इस रूट के ज़रिए जारी किए गए 23 बांड, जिनका कुल मूल्य लगभग 330 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, को इंडेक्स में शामिल किया जाएगा.