आज की जिंदगी में सिवाय भाग दौड़ के है ही क्या? जिंदगी की इस भागदौड़ में इंसान के लिए सुख यौवन और स्वास्थ्य कल्पना ही बन कर रह जाती है। इस बेढंगी जिंदगी को जिंदादिल जिंदगी बनाने का एक ही सहज उपाय है, हंसना-हंसाना, मौज मनाना। अगर चेहरे पर हंसी, दिल में खुशी, हो तो स्वास्थ्य पर भागदौड़ का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। हंसने-हंसाने का यह मतलब नहीं कि दिन रात इंसान हंसता और हंसाता ही रहे। इंसान अगर दिन में तीन चार बार खुश होकर जोर से खिलखिला कर हंस ले तो उसके सारे कष्ट, परेशानियां व रोग दूर हो जाते हैं। खिलखिला कर हंसने से फेफड़ों पर एक के बाद एक तीन-चार झटके लगते हैं। प्रत्येक झटके के साथ रक्त वाहिनी नलिकाओं का रक्त हृदय तक पहुंचता है तथा रक्त का संचार बढ़ता ही जाता है जिससे फेफड़ों में स्वच्छ वायु पहुंचती है और दूषित वायु दूर होती है। साथ ही साथ भोजन पचता भी है, जिससे लोगों को पेट संबंधी कोई रोग नहीं हो पाता। एक निराश व्यक्ति जो कभी हंसता ही नहीं है, अगर उसे देखा जाये तो पता चलता है कि उसे किसी भयंकर रोग ने घेर लिया है या उसकी आयु सीमित है। जिस तरह जिंदगी जीने के लिए अच्छी वायु और अच्छा वातावरण का होना जरूरी है ठीक उसी तरह जिंदगी के सच्चे मजे के लिए हंसना जरूरी है। आज कल तो डॉक्टर रोगी को हंसा-हंसा कर ठीक कर देते हैं। निराश व्यक्ति हंसता नहीं है जिससे उसके अन्दर का विकार दूर हो नहीं रहता, मन प्रसन्न होता और हदय का रक्तचाप बढ़ जाता हैं। इसकी तुलना में हंसने वाला व्यक्ति स्वस्थ और रोगहीन रहता है। डॉक्टरों का कहना है कि हंसना एक उत्तम व्यायाम है जिससे मस्तिष्क में प्रचुर मात्रा से रक्त संचार होता है, स्मरण शक्ति बढ़ती है और छोटे बड़े रोग छू मंतर हो जाते हैं। इसलिए यौवन को तरोताजा बनाये रखने के लिए जिंदगी का सच्चा लेने के लिए स्वास्थ्य उत्तम रखने के लिए और पतझड़ सी जिंदगी में हरियाली लाने के लिए हंसना बहुत जरूरी है। तो आइये हम आज से ही भागदौड़ की जिंदगी की रफ्तार बढ़ायें क्योंकि अर्थयुग में इसका काफी महत्त्व है पर एक मंत्रा याद कर लें कर कि हंसना हंसाना ही जिंदगी है। इसे जानने से नहीं, अपनाने से होगा। अतः खूब हंसिए और जिंदगी को जिंदा दिल बनाए रखिए।