भारत, अमेरिका के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मिलकर काम करना महत्वपूर्ण: एनएसएफ निदेशक

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Photo Archive/2014/02-February/AZ-SolarSummitIV Sethuraman Panchanathan, Senior Vice President for Knowledge Enterprise Development speaks at the Arizona Solar Summit IV at Skysong.

वाशिंगटन, (भाषा) अमेरिका के एक शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा है कि भारत और उनके देश में एक स्वाभाविक सामंजस्य क्षमता और समान आकांक्षाएं हैं और उनके लिए विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मिलकर काम करना न केवल उनकी जनता के लिए बल्कि वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए भी महत्वपूर्ण है। नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) के निदेशक डॉ सेतुरमन पंचनाथन ने कहा, ‘‘हम वैश्विक साझेदारियों के माध्यम से वैश्विक समाधान विकसित कर सकते हैं, जो स्थानीय समाधानों के लिए भी उपयुक्त होंगे।’’ भारत और अमेरिका के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साझेदारी में पिछले कुछ महीने में मजबूती आई है और यहां एनएसएफ मुख्यालय में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की पंचनाथन से मुलाकात से यह बात जाहिर होती है। भारतीय अमेरिकी पंचनाथन ने यहां और भारत में दोनों जगह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह से भी मुलाकात की थी। उन्होंने कुछ महीने पहले भारत में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी मुलाकात की। सीतारमण से उनकी मुलाकात में खेती तथा कोविड-19 के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसे साझेदारी वाले मौजूदा और भविष्य के कुछ अहम क्षेत्रों पर चर्चा हुई। पंचनाथन ने कहा, ‘‘दोनों बड़े लोकतंत्र चाहते हैं कि उनके नागरिक समृद्ध हों, तो हमें मिलकर काम क्यों नहीं करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच एक स्वाभाविक सामंजस्य क्षमता है और उनकी समान आकांक्षाएं हैं।

पंचनाथन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को हाल में दिये एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह वैश्विक साझेदारियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण क्षण है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि यह समान विचार वाले साझेदारों के लिए मिलकर काम करने तथा दोनों देशों के लिए कुछ शानदार काम करने के साथ ही वैश्विक समस्याओं के हल निकालने का भी समय है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका समान मूल्य, समान आकांक्षाएं साझा करते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राष्ट्रपति जो बाइडन की मिलकर काम करने की भी इच्छा है और इस कारण से और बेहतर तथा तेजी से काम करने की दरकार है। पंचनाथन ने कहा, ‘‘मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि जब मैं आईआईटी दिल्ली में था तो हमने एक साल के भीतर 35 नयी परियोजनाएं शुरू कीं। हम अपने अमेरिकी अनुसंधानकर्ताओं को और भारत में भारतीय सांख्यिकी संस्थान, आईआईटी बंबई, दिल्ली, चेन्नई और जोधपुर में छह डिजिटल प्रौद्योगिकी केंद्रों को धन दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी उद्यमिता संस्कृति बनाने की जरूरत है जो न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर आधारित हो बल्कि नवोन्मेषी समाधानों से भी संबंध रखती हो। पंचनाथन चेन्नई में जन्मे और पले-बढ़े हैं। उनकी पत्नी सारदा सौम्या पंचनाथन बाल रोग विशेषज्ञ तथा चिकित्सा शिक्षक हैं। उनकी दो संतान हैं।

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