मुंबई, 10 जनवरी (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी. एस. शेट्टी ने छोटे व्यवसायों के उधार या शेयर के रूप में जुटाए गए धन के अंतिम इस्तेमाल पर नजर रखने के लिए बाजार बुनियादी ढांचा संस्थान के निर्माण की शुक्रवार को वकालत की।
शेट्टी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक ‘‘व्यवहार्य तंत्र’’ की आवश्यकता है कि धन का इस्तेमाल इच्छित उद्देश्यों के लिए किया जाए।
उनकी यह टिप्पणी धन के अंतिम उपयोग के विषय पर बढ़ती चिंताओं के बीच आई है।
शेट्टी ने कहा, ‘‘ हमें इन निधियों के वास्तविक उपयोग पर नजर रखने के लिए एक व्यवहार्य तंत्र की आवश्यकता होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निधियों का इस्तेमाल उन्हीं उद्देश्यों के लिए किया जाए जिनके लिए उन्हें जुटाया गया है। इसके लिए संभवतः एक अलग बाजार अवसंरचना संस्थान की स्थापना की जाएगी, जिसके पास उधार ली गई निधियों या शेयर के जरिये जुटाई गई निधियों के इस्तेमाल पर नजर रखने का अधिकार होगा।’’
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा प्रवर्तित एनआईएसएम द्वारा यहां आयोजित एक सम्मेलन में शेट्टी ने कहा कि इस तरह के मंच के निर्माण से ऋणदाताओं के साथ-साथ निवेशकों को भी सुविधा मिलेगी तथा मूल्य निर्धारण अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएगा।
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ऋणदाताओं पर धन के अंतिम इस्तेमाल की निगरानी करने का दबाव डाल बना रहा है, खासकर छोटे व्यवसायों द्वारा उधार लिए गए धन के इस्तेमाल पर…।
केंद्रीय बैंक ने पिछले साल मार्च में बिजनेस क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले ऋणदाताओं से निधि के अंतिम उपयोग की निगरानी करने को कहा था। ऐसी अटकलें हैं कि कुछ असुरक्षित उधारों का इस्तेमाल ‘डेरिवेटिव मार्केट’ के जोखिम भरे क्षेत्रों में दांव लगाने के लिए किया जा रहा है।
शेट्टी ने साथ ही कहा कि 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2036 तक आठ से नौ प्रतिशत होने की आवश्यकता होगी।