पृथ्वी का मूल धर्म – सनातन धर्म

सनातन क्या है, आइये इसे समझते हैं. अगर हम डिक्शनरी में जाएं तो सनातन का अर्थ है चिरकालिक, सार्वकालिक, नश्वर,अक्षय, अनंत, अनादि, अविनाशी, शाश्वत, सतत, पुनर्चक्रीकरण आदि आदि. अगर हम इसका इंग्लिश देखें तो इसे Eternal कहते हैं. मैं भी जब सनातन का अर्थ सोचता हूं तो यही पाता हूं.


 अब आते हैं चूंकि धर्म के परिप्रेक्ष्य में इसकी चर्चा हो रही है तो धर्म क्या होता है. धर्म की जो सबसे महत्वपूर्ण परिभाषा है वह है मूल चरित्र जैसे अग्नि का धर्म क्या है, जलना. जल का मूल चरित्र क्या है, शीतलता. उसी प्रकार इस पृथ्वी का मूल चरित्र क्या है? उत्तर है सनातन। पृथ्वी अपनी व्यवस्थाओं के माध्यम से अपनी  चिरकालिकता, सार्वकालिकता, नश्वरता,अक्षयपन, अनंत , अनादि, अविनाशी, शाश्वत चरित्र और सततता बनाये रखती है. इसलिए मेरा मानना है कि पृथ्वी का मूल चरित्र जिसे आप पृथ्वी का मूल धर्म भी कहिये सनातन है, जो ऊपर बताया गया है. पृथ्वी अपने इस धर्म का पालन अपनी व्यवस्थाओं के माध्यम से करती रहती है.


इसलिए मेरा मानना है कि  पृथ्वी यानि दुनिया का मूल धर्म सनातन है. बाकी जिस धर्म की चर्चा लोक प्रचलित रूप में समझ रहा है वह उसे समुदाय की दृष्टि से देख रहा है. जबकि समुदाय धर्म नहीं है. वह एक पंथ है जो एक दृष्टिकोण को अपनाते हुये अपने और अपने समूह के जीवन की सततता पृथ्वी पर बनाये हुए है. जिसकी और जिसके समूह की प्रकृति या चरित्र पृथ्वी के मूल चरित्र “सनातन” से संगत होगा, वह लंबा चलेगा नहीं तो वह बीच रास्ते  में दम तोड़ देगा.


इसलिये अगर योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि  भारत का राष्ट्रीय धर्म सनातन है तो इसे इसी दर्शन में लेना चाहिये। भारत ही नहीं दुनिया का धर्म सनातन है. जो भी लोक द्वारा परिभाषित धर्म अपनी व्यवस्थाओं के माध्यम से अपनी  चिरकालिकता, सार्वकालिकता, नश्वरता,अक्षयपन, अनंत , अनादि, अविनाशी, शाश्वत चरित्र और सततता बनाये रखती है, पुनर्चक्रीकरण का पालन कर पृथ्वी की व्यवस्थाओं से संगत रहता, वह उस हद तक पृथ्वी के सनातन धर्म का पालन करती है.


 सनातन शब्द को आज के समय के प्रचलित धर्म या किसी अन्य समुदाय के सन्दर्भ में नहीं देखना चाहिये। आज जिसे हिन्दू कहा जाता है वह कोई धर्म नहीं है. सिंधु नदी के इस पार सभी हिन्दू हैं जिसे कालांतर में वैयक्तिक करते हुए इस सिंधु इस पार की धरा से जो सामुदायिक व्यवस्थाएं शुरू हुई, वहीँ तक सीमित कर के देखा जाने लगा. दुनिया के जो जो समुदाय पुनर्चक्रीकरण नियम का पालन कर जिस हद तक अपने आपको पृथ्वी के सनातन धर्म के अनुकूल करते हैं, वह उस सीमा तक सनातन हैं. इसलिए सनातन को आज के सामुदायिक धर्म के चश्मे से नहीं देखना चाहिए. यह सनातन धर्म के परिभाषा को सीमित कर देता है. सनातन धर्म को पृथ्वी के धर्म के सन्दर्भ में देखना चाहिए. जो पुनर्चक्रीकरण नियम का पालन करता है, जो प्रकृति के प्रति आदर व्यक्त करता है, जो सर्कुलर इकॉनमी की बात करता है, वह सनातन धर्म है.