श्रीनगर, 15 अगस्त (भाषा) मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर एक बड़े हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत करेंगे और इन हस्ताक्षरों को उच्चतम न्यायालय में पेश करेंगे।
जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय की पहलगाम हमले को लेकर टिप्पणियों का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि क्षेत्र के लोगों को ऐसे अपराध के लिए सजा दी जा रही है, जिसमें उनका कोई हाथ नहीं है।
यहां बख्शी स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सरकार को जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज से, हम इन आठ सप्ताह का उपयोग सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में घर-घर जाकर राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाने में करेंगे। अगर लोग दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं हैं, तो मैं अपनी हार मान लूंगा।’’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमें इन आवाज़ों को अपने दफ्तरों से उन दरवाजों तक ले जाना होगा, जहां फैसले लिए जाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि हस्ताक्षर अभियान के दस्तावेज उच्चतम न्यायालय को सौंपे जाएंगे।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान पहलगाम आतंकवादी हमले का जिक्र करना दुर्भाग्यपूर्ण था।
मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘‘उच्चतम न्यायालय में दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी की गई कि राज्य का दर्जा बहाल करने का फैसला लेते समय पहलगाम हमले को भी ध्यान में रखा जाए। क्या पहलगाम के हत्यारे और पड़ोसी मुल्क में बैठे उनके आका तय करेंगे कि हमें राज्य का दर्जा मिलेगा या नहीं? जब भी हम राज्य के दर्जे के करीब होंगे, वे कुछ न कुछ करेंगे ताकि उसे नाकाम किया जा सके। क्या यह न्याय है? हमें उस अपराध की सजा क्यों दी जा रही है, जिसमें हमारा कोई हाथ नहीं है?’’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘कठुआ से कुपवाड़ा तक लोग खुद पहलगाम हमले के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरे। दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज हमें पहलगाम हमले के लिए सजा दी जा रही है।’’
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम की बैसारन घाटी में आतंकवादियों ने 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।