महिलाओं का स्वास्थ्य पुरूषों से अधिक नाजुक होता है। उन्हें प्रकृति ने पुरूष की अपेक्षा नाजुक और कमनीय बनाया है। उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी पुरूषों से अधिक होती हैं। यूं भी उन पर घर और परिवार चलाने की जिम्मेदारी होती है, अतः उनको अपनी देखभाल की ओर विशेष ध्यान देना चाहिएः- अपने भोजन में पौष्टिकता पर अधिक ध्यान देना चाहिए। ताजी सब्जियां और फलों की मात्रा अपने भोजन में बढ़ा दें। ताज़े फलों और सब्जियों का जूस शरीर को बीमारियों से बचाने में सहायक होते हैं और शरीर को कई आवश्यक विटामिन्स इनसे मिलते हैं। सिर्फ अपने लिए भी कुछ समय रखें जिसमें आप अपनी पसंद से अपने स्वास्थ्य हेतु सैर, योग और ध्यान कर सकती हैं। लगातार व्यायाम, ध्यान और सैर से आप अपनी शक्ति पुनः प्राप्त कर सकती हैं और तनावमुक्त रह सकती हैं। 35 वर्ष की आयु के बाद अपना मेडिकल चेकअप करवाते रहना चाहिए। इस आयु में बरती गई लापरवाही आगे चलकर बड़ी बीमारी का रूप भी ले सकती है। साल में एक बार कम से कम डॉक्टरी जांच अवश्य करवायें। इस आयु से ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि बीमारियां शुरू होने के संकेत मिलने शुरू हो जाते हैं। समय पर पता चलने पर आप अपनी जीवन शैली में बदलाव ला सकती हैं। 40 साल की आयु तक पहुंचते पहुंचते दो साल में एक बार स्तनों की मेमोग्राफी अवश्य करवायें। बीच में जब कभी स्तनों में किसी प्रकार का दर्द, गांठ या रिसाव महसूस हो तुरन्त जांच करवायें। भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर ग्रस्त महिलाओं की संख्या बहुत अधिक है। गर्भाशय का कैंसर भारतीय महिलाओं में सबसे अधिक प्रचलित है। इसके लिए पैप स्मीअर टेस्ट सब से आदर्श है। किसी भी प्रकार की योनि मार्ग में जलन, स्राव या मासिक संबंधी किसी भी गड़बड़ी होने पर महिला डॉक्टर से इसकी जांच शीघ्र करवाएं। वैसे शादी के बाद हर दो वर्षों में एक बार पैप स्मीअर टेस्ट अवश्य करवाएं। डॉक्टर से कुछ पूछने और जांच करवाने में किसी प्रकार का संकोच न करें। घर परिवार की जिम्मेदारी निभाते निभाते स्वयं को न भूल जाएं। समय पर अपना भोजन लें, भोजन में दाल, हरी सब्जी, सलाद, दही का उचित ध्यान रखें। यदि किसी कारणवश परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भोजन न बनाना हो तो भी अपने भोजन को महत्ता दें।