चीन में ऐसा गांव मौजूद है जहां बच्चे सारी उम्र अपनी मां के साथ रहते हैं। चीन के धुन्नान राज्य के गांवों में शाम ढलते ही कुंवारे लड़के अपनी प्रेमिकाओं के घरों की तरफ कूच करने लगते हैं सारी रात लड़के अपनी प्रेमिकाओं के साथ व्यतीत करते हैं लेकिन सूर्य की पहली किरण के साथ ही यह लड़के अपने घरों की तरफ वापसी करते हैं। यह लड़के और लड़कियां कोई गलत काम नहीं करते न ही वह अपने समुदाय को अनैतिकता की सीख सिखा रहे हैं। टिसीस प्रथा 2000 वर्षों से चीन के मोसुओं समुदाय का एक अभिन्न बन चुकी है। पहाडिय़ों में रहने वाले इन अल्पसंख्यकों का जीवन काफी विचित्र होता है क्योंकि उनके समाज में पिता, पत्नी, पति जैसे शब्द नहीं हैं। बच्चे उम्रभर अपनी माताओं के साथ रहते हैं। पूरा परिवार एक साथ इकट्ठा रहता है और घर की सबसे बूढ़ी औरत घर की मुखिया होती है एक ही छत के नीचे बच्चे पलते और जवान होते हैं लेकिन कोई भेदभाव नहीं होता। घर की मुखिया इस बात का विशेष ध्यान रखती है कि सभी बच्चों को एक समान प्यार सम्मान मिले। परिणाम स्वरूप मोसुमा समुदाय में नफरत जलन की भावनाएं पनप ही नहीं पाती। मोसुआ समुदाय चीन का इकलौता मातृ सात्तातमक है जहां घर की बुजुर्ग मुखिया कहलाती है, घरों के मामले निपटाने के लिए पुरूषों की भूमिका शून्य होती है, हां कभी-कभी छोटी-मोटी राय ली जा सकती है।
उनकी भाषा में कौमार्य और पवित्रता जैसे शब्द ही नहीं अधिकतर बच्चे अपने पिता का नाम नहीं जानते क्योंकि इस समुदाय में पिता जैसा कोई शब्द ही नहीं है न ही पति-पत्नी शब्द उपलब्ध है। महिलाओं के कई प्रेमी हो सकते हैं और वह सभी प्रेमियों के साथ लैगिंक सम्बंध बना सकती है। मोसुओ पुरुष भी कई प्रेमिकाओं के साथ संबंध बना सकते हैं लेकिन हैरानी की बात है कि अनेक पुरुषों के सम्बंधों के बाद भी इस समुदाय में एड्स जैसी भयानक बीमारियां नहीं फैल पाई। सैक्स संबंधों में व्यस्त यह समुदाय को 2000 वर्षों से एडस छू नहीं पाई। हांगकांग के कुछ डाक्टर इस पर शोध करने में लगे हुए हैं परंतु वह भी बड़े हैरान है कि इस समुदाय में सैक्स फ्री होने के बावजूद कोई भयानक बीमारी नहीं लग पाई। मातृ सत्तात्मक समुदाय होने के कारण बच्चे अनुशासन में रहते हैं। डाक्टर चो-वान शान का कहना है कि वह अमेरिकन शोधकर्ता के जरिए यहां पहुंचे। यह लोग पहाड़ो की ढलान पर खेती बाड़ी करके अपना गुजारा करते हैं उनका समुदाय काफी गरीब है आधुनिक समय में मोसुओं पर्यटकों का नाच गा कर मनोरंजन करते हैं इसी बहाने कमाई हो जाती है। यहां के लोगों की पोशाकें काफी सुंदर एवं आकर्षित करने वाली है यहां पर बच्चों की पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है। यद्यपि चीन ने बहुत तरक्की कर ली है परंतु यह समुदाय चीन की आधुनिकता से नहीं जुडऩा चाहते। यहां के लोग चीनी राजनीति से कोसों दूर है । यहां का कोई भी नौजवान चीन की सेना में भर्ती नहीं होता। यह शांति प्रिय लोग है जो युद्ध में भाग लेना नहीं चाहते। वह अपने धार्मिक समारोह में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं चाहते उनके धार्मिक समारोहों में बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता। यह लोग अपनी सुरक्षा स्वयं करते हैं। यहां लड़ाई झगड़े बहुत कम होते हैं यदि लड़ाई होती है तो गांव की बूढ़ी महिलाओं को ही निर्णय का अधिकार सौंपा गया है। वह जो निर्णय करती है वह सभी लोगों को स्वीकार्य होता है। पर्यटकों की संख्या बढऩे के कारण घरेलू सामान को बेचने का बढ़ावा मिल रहा है। वहीं चीनी सरकार भी सब्सिडी दे रही है। कोई समय था जब यहां पर कोई विवाह नहीं होता था अब धीरे-धीरे प्रथा बदल रही है अपने पसंद के लड़की-लड़के विवाह बंधन में बंध रहे हैं और उनकी संतानें भी अपने मां-बाप को पहचान रही हैं।