फ़िल्म मनोरंजन के साथ साथ समाज का एक दर्पण भी है।हर भारतीय के जीवन में फ़िल्म एक विशेष स्थान रखता है।टेलीविजन के आने के पहले मनोरंजन का एकमात्र साधन फ़िल्म ही था जिसका लोग बेसब्री से इंतजार किया करते थे।आज भी अच्छी फिल्मों के लिए लोगों का यही जज़्बा है। जब भी कोई अच्छी फिल्म आती है तो लोगों का प्रतिसाद उसे जरूर मिलता है।दरअसल लोग फ़िल्म के पात्रों से अपने आप को जोड़कर देखते हैं।फ़िल्म का नायक जो कुछ भी पर्दे पर करता है उससे आम आदमी अपने आप को जोड़ने की कोशिश करता है।बहुत सी बातें हम करने को सोचते हैं लेकिन कर नही पाते हैं । अगर वही चीज नायक अगर फिल्मी पर्दे पर करता है तो लोग उसको अपनी कल्पनाशीलता में अपनाने लगते हैं। आज के डेट में गदर 2 फिल्म अपार सफलता अर्जित कर रहा है। इसके पीछे लोगों की देशभक्ति की भावना जुड़ी हुई है।
आज हर हिंदुस्तानी पाकिस्तान से नफरत करता है , और उसे ऐसा अवसर मिले जिसमें उसे पाकिस्तान को अपमानित करने का अवसर मिले तो वह उससे चूकना नही चाहता है। गदर 2 के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। गदर 2 का नायक तारासिंह हर भारतीय का प्रतिनिधित्व करता है , जो पाकिस्तान के खिलाफ जो आम भारतीयों की भावना है उसे दर्शाता है।देश के विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान का रवैया हमेशा कट्टर दुश्मनों की तरह रहा है।देश का विभाजन दुर्भाग्यपूर्ण घटना था , जो मोहम्मद अली जिन्ना और नेहरू जी के अत्यंत महत्वकांक्षी होने के फलस्वरूप हुआ था।आज हम भले ये सोचें कि देश का विभाजन नही होना चाहिए था लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए लगता है कि देश का विभाजन उचित था क्योंकि मुस्लिमों की उतनी जनसंख्या के साथ हिन्दुओं का इस देश में रहना दुर्भर था। आज देश में आये दिन कहीं ना कहीं साम्प्रदायिक दंगे – फसाद होते रहते हैं।दरअसल ये हमारे धर्म की कट्टरता एवं खामी है । आज हमारे धर्मगुरुओं के द्वारा शांति या भाईचारा का पाठ नही पढ़ाया जाता है। कुछेक धर्म दूसरे धर्म के मानने वालों को काफ़िर कहता है और उन काफिरों के खात्मे की बात कहता है और इसी से आतंकवाद का उदय होता है।
आज आम पाकिस्तानी हिंदुस्तान के प्रति नफ़रत का भाव रखता है। रोज़ वहाँ भारत के प्रति घृणा फैलाकर जेहादी तैयार करते हैं जो धर्म के नाम पर इस देश में घुसकर आतंक फैलाने की चेष्टा करते हैं।वहाँ के राजनीतिक दलों का वजूद भारत विरोधी बातों पर ही टिका हुआ रहता है।जब से देश का विभाजन हुआ कश्मीर में अस्थिरता फैलाना वहाँ के शासन का मूलभूत सिद्धान्त रहा है।कश्मीर के नाम पर वहाँ की सेना, आई एस आई, और राजनीतिक दल अपनी स्वार्थ की रोटी सेकते रहे हैं और वहाँ की आम जनता को गुमराह करते रहे हैं।पाकिस्तान की खुद की समस्या अधिक है लेकिन वेवजह कश्मीर को लेकर भारत से उलझे रहते हैं। धारा 370 हटने के बाद कश्मीर धीरे – धीरे अपने पुराने दौर की तरफ लौट रहा है।वहाँ बेरोजगारी धीरे – धीरे समाप्त हो रही है और वहाँ की जनता अब आतंकवादियों को समर्थन देना कम कर दिया है। यही कारण है कि आतंकवादियों के छुपे रहने की जानकारी आसानी से सेना को प्राप्त हो जाती है , और उनका खात्मा हो जा रहा है लेकिन पाकिस्तान से मिलने वाले पैसे से वहाँ के कुछेक स्थानीय नेता वहाँ स्थिरता की स्थिति बहाल नही होने देना चाहते हैं। वैसे इसपर कुछ हद तक लगाम जरूर लगा हुआ है लेकिन फिर भी कुछ तत्व अभी भी घाटी में मौजूद हैं।
दरअसल जब तक पाकिस्तान वजूद में है वहाँ से भारत में अस्थिरता फैलाने का कार्य चलता ही रहेगा।आज हमारे देश में कुछेक जनप्रतिनिधि पाकिस्तान की भाषा बोलती है और इनका भी यही मकसद रहता है कि भारत को कैसे कमजोर किया जाए।ये सारे के सारे लोग चीन और पाकिस्तान के गुपचुप तरीके से दिए गए फंड पर चलते हैं। देश में हो रहे प्रगति को रोकना ही इन नेताओं का मकसद है। भ्रष्टाचार इनके रग – रग में बसा हुआ है।अभी केंद्र में इनकी दाल नही गल रही है इसलिए इनको बेचैनी है। इनकी भाषा चीन और पाकिस्तान के समर्थन जैसी होती है, और यही कारण है कि ग़दर 2 का नायक पाकिस्तानियों को पीटता है तो हर भारतीय को खुशी प्राप्त होती है क्योंकि हर भारतीय जनता पाकिस्तान के लोगों को इसी तरह पीटना चाहती है। इस फिल्म के नायक में हर भारतीय अपनी छवि देखता है और वह भी वही करना चाहता है जो तारा सिंह करता है।ऐसी फिल्म जिसमें पाकिस्तानियों को सबक सिखाने की बात हो वह जनता को बहुत अपील करती है और ऐसी फिल्में हिट होने की गारंटी बन जाती है। ग़दर और ग़दर 2 में फ़िल्म के निर्माता निर्देशक ने इसी बात का फायदा उठाया है । फ़िल्म पूरी तरह अतिश्योक्ति से भरी हुई है , लेकिन फिर भी जनता को इसमें भी मजा आ रहा है। कल्पना में ही सही, कम से कम पाकिस्तान से दो चार हाथ करने का अवसर तो मिल रहा है। हमारी सेना 1965 और 1971 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तानियों को बुरी तरह धूल चटा चुके हैं , लेकिन उससे उन बेशर्मों पर उसका असर नगण्य है।दरअसल पाकिस्तान को हर दो चार साल में बुरी तरह पीटना जरूरी है ताकि भारत में भी शांति रह सके। वैसे भारत में रहने वाले मुसलमानों का अधिकतर तबका ऐसा भी है जो भारतीयता को स्वीकार करता है लेकिन कट्टरपंथियों के आगे वे अपनी बात खुलकर नही रख पाते हैं।आज जरूरत है ऐसे लोगों को आगे लाने की जो मुसलमान होते हुए भी नफरत फैलाने का कार्य नही करते हैं।आरिफ़ मोहम्मद खान जैसे लोगों को आगे लाने की जरूरत है लेकिन आज के राजनीतिक दलों से आप कतई कोई उम्मीद नहीं रख सकते।इसके लिए देश के बुद्धिजीवियों को आगे आना होगा और पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर पानी फेरना होगा।
आने वाले समय में ग़दर 3 आ जाये तो इसमें अतिशयोक्ति नही होगी क्योंकि देशभक्ति से ओतप्रोत फिल्में हमेशा से दर्शकों की पसंद रही है।चंद्रयान 3 की सफलता भी भारतीय फिल्मकारों के लिए फ़िल्म बनाने का एक विषय अवश्य होगा और आने वाले समय में इसपर भी फिल्में अवश्य बनेगी क्योंकि चंद्रयान 2 की विफलता के बाद चंद्रयान 3 की सफलता एक रोमांचक सफर रहा है और चंद्रयान 3 से जुड़े सभी वैज्ञानिक इसके बधाई के पात्र हैं लेकिन उन्होंने इसके लिए जो संघर्ष किया है, उसपर एक अच्छी फिल्म जरूर बन सकती है। आज भारत के वैज्ञानिकों ने पूरे विश्व में भारत का सीना चौड़ा कर दिया है और वे सब बधाई के पात्र हैं। अच्छी फिल्में हमारी जिंदगी को अधिक प्रभावित करती है । इसलिए हमें अच्छी फिल्मों का स्वागत करना लाजिमी है ।