अनिद्रा रोग नहीं है

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कहते हैं कि नींद और भूख जितनी बढ़ाओ, बढ़ जाती है और घटाओ तो घट जाती है। दोनों का एक जैसा स्वभाव है। यह हमारी प्राचीन काल से चली आ रही धारणा है और लोग इस बात पर विश्वास करते हैं कि उन्हें पूरे छः घण्टे सोना चाहिए, इसकी उन्हें जरूरत हो या न हो।
सच तो यह है कि नींद ऐसी चीज है जो कभी तो पत्थर के बिछौने पर आ जाती है और कभी मखमली बिस्तर भी बेकार हो जाती है।
एक बार अकबर ने बीरबल से कहा था कि ’दुनिया में सबसे प्यारी चीज क्या है?‘ तो बीरबल ने उत्तर दिया था, ’नींद‘। यह सच है कि नींद केवल प्यारी ही चीज नहीं है बल्कि बहुत आवश्यक भी है।
लेकिन यह प्यारी सी चीज नींद सबके हाथ लगती कहां है? भारत ही नहीं, पूरे संसार में ऐसे अनेक लोग मिल जायेंगे जो नींद के लिए तरसते हैं। सैंकड़ों उपाय करेंगे, फिर भी वह उनसे कोसों दूर रहेगी। नींद ने तो लोगों को शायर तक बना दिया है। अनेक कवितायें नींद के ऊपर लिखी गई हैं। अनेक फिल्मी गाने गाए गये हैं।
अब सवाल यह उठता है कि सामान्य व्यक्ति को कितनी नींद लेनी चाहिए। इस पर लोगों के अलग-अलग विचार हैं।
चिकित्सकों के अनुसार 18 से 40 वर्ष तक आठ घंटे की नींद और 40 से 50 वर्ष तक स्वस्थ मनुष्य के लिए 6 घंटे की नींद चिकित्सक आवश्यक मानते हैं। 50 वर्ष से अधिक उम्र होने पर नींद कम आने लगती है और आदमी किश्तों में नींद पूरी करता है।
ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्रा मार्गरेट थैचर के अनुसार एक स्वस्थ और सामान्य व्यक्ति के लिए चार घण्टे की नींद काफी है।
बल्बों के आविष्कारक ’थामस एडिसन‘ के अनुसार एक व्यक्ति को केवल दो घण्टे ही सोना चाहिए।
जो लोग आठ या दस घण्टे तक सोते हैं, वे न तो पूरी नींद में होते हैं और न ही जागृत अवस्था में। वे केवल अपना कीमती समय बिस्तर में पड़े-पड़े ही, आलस्य में नष्ट कर देते हैं।
बहुत से लोग ऐसे मिल जायेंगे जो इसी चिन्ता में डूबे रहते हैं कि उन्हें नींद नहीं आती। रात में सोने से पहले उन्हें यही भय रहता है। इसी को अंग्रेजी में ’इनसोमेनिया‘ कहते हैं।
डॉक्टरों के पास ऐसे बहुत से मरीज आते हैं जो कहते हैं कि उन्हें नींद नहीं आती। अनिद्रा रोग है और ऐसे लोग हजारों रुपये की नींद की गोलियां और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन कर लेते हैं।
वैसे नींद लाने के लिए कई उपाय बताये गये हैं। भारत में योग उनमें से एक उपाय है। पश्चिमी देशों में संगीत को महत्त्व दिया गया है। सोने से पहले व्यायाम करके भोजन करें। कोई उबाऊ कहानी या उपन्यास पढ़ें। सोने से पहले हाथ, पैर धोयें या स्नान कर लें।
कुछ धार्मिक लोगों के अनुसार भगवान का भजन कर लें या कोई मंत्रा जैसे-गायत्रा मंत्रा का जपकर लें तो नींद आ जाती है। नया बिस्तर खरीदें या बिस्तर बदल डालें, सोने का स्थान बदल दें। कमरे को एयरकंडीशन युक्त करा लें और इस पर भी नींद न आये तो चिन्ता किस बात की क्योंकि ’कैथ एलिस‘ के अनुसार-’अनिद्रा एक वरदान है, क्योंकि यह देखने में आया है कि अनिद्रा के शिकार व्यक्ति प्रतिभाशाली एवं तीव्र बुद्धि के होते हैं। उनमें सृजन की भरपूर क्षमता होती है।‘ शेक्सपीयर, कालिदास और तुलसीदास के बारे में कहा जाता है कि वे बहुत कम सोया करते थे, इसलिये उन्होंने इतनी महान रचनायें की।
हमें अनिद्रा की स्थिति पर ग्लानि, नहीं होनी चाहिए और न ही उसे किसी बीमारी या पागलपन का लक्षण समझना चाहिए। बस अनिद्रा का भरपूर फायदा उठाइये। आज के बदलते परिवेश में हमें नींद नहीं आती तो हमें सृजन कार्य में समय खर्च करना चाहिए। संसार के जितने भी महान व्यक्ति हैं बहुत कम सो पाये हैं। रचनात्मक प्रवृत्ति के लोगों हेतु तो अनिद्रा एक वरदान है।

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