भाजपा सांसदों ने यह नहीं बताया कि 44वें संशोधन के पक्ष में इंदिरा ने खुद मतदान किया था: रमेश

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नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके सहयोगियों ने 42वें संशोधन को लेकर इंदिरा गांधी पर ‘‘तीखा हमला’’ तो किया लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्होंने (इंदिरा गांधी ने) अन्य कांग्रेस सांसदों के साथ मिलकर 44वें संशोधन के पक्ष में मतदान किया था। 44वें संशोधन के जरिए 42वें संशोधन के माध्यम से लाए गए कई प्रावधानों को हटा दिया गया था।

रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों ने इस तथ्य का भी जिक्र नहीं किया कि 42वें संशोधन के कई प्रावधानों के लागू होने के करीब आधी सदी के बाद भी उन्हें बरकरार रखा गया है।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘संविधान पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों ने दिसंबर 1976 में संसद द्वारा पारित 42वें संशोधन के लिए इंदिरा गांधी पर तीखा हमला बोला। लेकिन उन्होंने यह क्यों नहीं बताया कि उन्होंने (इंदिरा गांधी ने) अन्य कांग्रेस सांसदों के साथ मिलकर दिसंबर 1978 में 44वें संशोधन के पक्ष में मतदान किया था और उस वक्त मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे।’’

उन्होंने कहा कि 1976 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा पेश किए गए 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़े गए।

संशोधन ने प्रस्तावना में भारत के वर्णन को ‘‘संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य” से बदलकर ‘‘संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य’’ कर दिया।

रमेश ने कहा कि 44वें संशोधन ने 42वें संशोधन के माध्यम से लाए गए कई प्रावधानों को हटा दिया।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों ने इस तथ्य का भी उल्लेख नहीं किया कि 42वें संशोधन के कई प्रावधानों को तब से बरकरार रखा गया है जब इसे लगभग आधी सदी पहले अधिनियमित किया गया था।’’

रमेश ने बताया कि 42वें संशोधन के प्रावधानों में प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द शामिल हैं, जिन्हें हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा माना था।

कांग्रेस नेता ने कहा कि इसमें अनुच्छेद 39-ए शामिल है जो समान न्याय और मुफ़्त कानूनी सहायता के लिए है तथा अनुच्छेद 43-ए है जिसमें उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि बरकरार रखे गए प्रावधानों में अनुच्छेद 48-ए भी शामिल है जो पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार तथा वनों और वन्य जीवों की सुरक्षा का प्रावधान करता है।

इसमें अनुच्छेद 51-ए भी शामिल है जिसमें नागरिकों के 11 मौलिक कर्तव्यों की सूची है और साथ ही अनुच्छेद 323-ए तथा 323-बी है जो प्रशासनिक और अन्य अधिकरणों का प्रावधान करते हैं।

रमेश ने कहा कि शिक्षा, जनसंख्या नियोजन, पर्यावरण और वनों को सातवीं अनुसूची में शामिल किया गया जो कि समवर्ती सूची है जिससे केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को इनकी ज़िम्मेदारी मिली।

इस महीने की शुरुआत में लोकसभा और राज्यसभा में ‘भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर दो दिवसीय चर्चा हुई थी जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।

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