महायुति की जीत के बाद नागपुर पहुंचे फडणवीस का भव्य स्वागत

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नागपुर, 15 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में महायुति की जीत का जश्न मनाने के लिए रविवार को अपने गृहनगर नागपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित एक रैली का नेतृत्व किया।

नागपुर दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक फडणवीस ने लोगों की 24 घंटे सेवा करने की महायुति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

फडणवीस का नागपुर पहुंचने पर पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों ने भव्य स्वागत किया। रैली नागपुर हवाई अड्डे से शुरू हुई और धरमपेठ में फडणवीस के आवास पर समाप्त हुई।

फडणवीस ने हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा, “यह खुशी का क्षण है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मैं अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि पर आया हूं। नागपुर मेरा परिवार है और मेरा परिवार मेरा स्वागत कर रहा है।”

उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए उन पर संविधान में विश्वास न करने का आरोप लगाया। फडणवीस अपनी पत्नी अमृता फडणवीस, भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले और अन्य लोगों के साथ नागपुर हवाई अड्डे पर एक सजे-धजे खुले वाहन में सवार हुए। रैली के मार्ग पर जगह-जगह फडणवीस के स्वागत लगे बैनर दिखाई दे रहे थे।

फडणवीस ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए ‘एक हैं तो सेफ हैं’ और ‘मोदी हैं तो मुमकिन हैं’ के नारे लगाए।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में महायुति (गठबंधन) को गरीबों, आदिवासियों, किसानों, दलितों और ओबीसी तथा अन्य लोगों से (विधानसभा चुनावों में) आशीर्वाद मिला। यह चुनावी जीत लाडकी बहिन (महिलाओं के लिए एक योजना), लाडके शेतकरी (किसान), लाडके युवा (युवाओं), धनगर, मराठा और अन्य वर्गों द्वारा महायुति पर दिखाए गए भरोसे के कारण संभव हुई।”

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने 288 में से 230 सीट जीती थीं।

केवल 46 सीट जीतने वाला विपक्षी दलों का गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में अनियमितताओं का आरोप लगा रहा है।

विपक्ष द्वारा ईवीएम के मुद्दे को आक्रामक तरीके से उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा, “ये लोग (विपक्षी) निराश हैं। उन्हें लोकतंत्र और निर्वाचन आयोग पर भरोसा नहीं है। उन्हें उच्चतम न्यायालय, भारतीय रिजर्व बैंक और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक पर भरोसा नहीं है। इसलिए, वे डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर विश्वास नहीं करते।”

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