महाराष्ट्र चुनाव को बीजेपी ने विशाल बहुमत से जीता,इस जीत का सबसे ज्यादा श्रेय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी दिया जा रहा है,यदि यही सच है तो योगी भगवान श्री राम के बाद दूसरे उत्तर भारतीय हैं जिन्होंने दक्षिण को जीता है वरना कोई भी उत्तर भारतीय शासक महाराष्ट्र की दीवार तोड़ नहीं पाया। आखिर योगी यह इतिहास रचने में क्यों और कैसे सफल हुए इसकी चर्चा करते हैं।
असल में योगी आदित्यनाथ ने सिर्फ महाराष्ट्र नहीं जिताया बल्कि इसके पहले हरियाणा में भी हारी हुई बाजी को योगी ने ही पलटा था और उसके भी पहले वे उत्तर प्रदेश के एकमात्र मुख्यमंत्री बने जिन्होंने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की हो। यूपी की डबल जीत आजाद भारत का एक इतिहास है। आखिर योगी आदित्यनाथ में ऐसा क्या है कि जहां जाते हैं वहां से जीतकर ही लौटते हैं,इसका सही जवाब यह है कि योगीजी भगवान श्रीराम के पदचिन्हों पर चल रहे हैं। उनमें वो सारे गुण हैं जो श्री राम के अनुसार एक व्यक्ति में होना चाहिए। योगी आदित्यनाथ के आदर्श राम हैं इसलिए योगी अजेय हैं।
महाभारत में शकुनि एक बार कहते हैं कि” योद्धा और महायोद्धा को युद्ध से जीता जा सकता है लेकिन जो सर्व शक्तिमान होता है उसको सिर्फ धर्म से ही जीता जा सकता है।” श्रीराम के जीवन में धर्म ही उनकी सबसे बड़ी ताकत रही है यही कारण है कि वो त्रिलोक विजेता रावण को हरा सके। रावण को युद्ध में कोई नहीं हरा सकता था लेकिन सत्य और धर्म के आगे रावण विवश हो गया। रावण कितना विवश हो गया होगा इसका अंदाज इस बात से लगा सकते हैं कि लंका की जनता भी श्री राम की महानता का गुणगान करती थी। राजतंत्र में भी जनता जिसका गुणगान करे वही विजेता बनता है फिर आज तो प्रजातंत्र है,यहां तो जनता ही सब कुछ है । आज जो जनता का भरोसा जीत लेता है वही चुनाव जीत लेता है । योगी की सबसे बड़ी ताकत यही है कि वे जनता का भरोसा जीत चुके हैं और जनता का भरोसा उन्होंने ताकत ,पैसे या पुलिस की दम पर नहीं जीता है बल्कि नैतिकता और ईमानदारी के दम पर जीता है ,यही कारण है कि योगी जी के मुंह से निकला एक एक वाक्य जनता के लिए ब्रह्म वाक्य हो जाता है और वह इस पर आंख मूंदकर भरोसा कर लेती है । योगीजी ने अपनी ईमानदारी साबित की है, देशभक्ति साबित की है और अपनी रामभक्ति साबित की है,जबकि अन्य नेता कहीं न कहीं इस मामले में योगी जी से पीछे हैं यहां तक कि उनकी खुद की पार्टी के बड़े बड़े नेता भी योगी जी जितने भरोसेमंद नहीं लगते फिर विपक्ष की तो बात ही क्या करना।
तो आते हैं महाराष्ट्र ,यहां महा विकास अघाड़ी के नेताओं ने बीजेपी के बड़े बड़े नेताओं पर बड़े बड़े आरोप लगाए लेकिन अकेले योगी ऐसे नेता थे जिनके ऊपर कोई आरोप ही नहीं लग सकता था। यही कारण है कि संजय राउत जैसे बड़बोले नेता भी योगीजी के बारे में सिर्फ इतना ही कह सके कि “अपने बाबाजी हैं।” संजय राउत तो मोदीजी पर भी बड़े बड़े आरोप लगाते रहे हैं लेकिन योगी का सामना करने की हिम्मत उनकी भी नहीं हुई । वे भी योगी पर ऐसा कोई आरोप लगा नहीं सकते जिस पर जनता यकीन करे क्योंकि भ्रष्ट वे हैं नहीं, सिर्फ चुनावी हिंदू वे हैं नहीं, कैरेक्टर में कोई लोचा है नहीं और उनके लॉ एंड ऑर्डर में कोई लूस पोल है नहीं,कोई क्रिमिनल केस उन पर है नहीं,झूठ वो आज तक बोले नहीं,छुपाकर कोई काम करते नहीं । जो करते हैं डंके की चोट पर करते हैं,एक बात के धनी हैं। यही सारे गुण श्री राम में थे जिनका वर्णन हनुमान जी ने सीता जी से तब किया था जब अशोक वाटिका में सीता जी हनुमान से श्रीराम के गुण अवगुण पूछती हैं। तब हनुमान जी श्रीराम के गुण इस प्रकार बताते हैं कि श्रीराम ईमानदार,चरित्रवान,सत्यनिष्ठ,एक ही तरह की बात कहने वाले,एक मार्ग पर चलने वाले, युद्ध में शेर की भांति बर्ताव करने वाले,युद्धनीति में निपुण और धर्म शास्त्रों के ज्ञाता,कला पारखी,सन्यासी जीवन जीने वाले और शत्रुओं का विनाश करने वाले हैं। यह गुण श्री राम में थे,अब हम यदि गंभीरता से सोचें तो लगभग यही सब गुण हमें योगी आदित्यनाथ में दिखाई नहीं देते क्या ? लगभग यही सारे गुण योगीजी में भी हैं इसलिए उन्हें श्रीराम के पदचिन्हों पर चलने वाला योद्धा कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी । नियति भी योगी के साथ है तभी तो योगीजी अभी तक अजेय भी साबित हुए हैं । अन्य विपक्षियों से योगी जी के गुणों की तुलना करें तो उनमें अकेले में ही वो गुण हैं जो सारे विपक्षियों पर भारी पड़ सकें क्योंकि ईमानदारी के मामले में योगीजी शरद पंवार से कहीं अधिक बेहतर हैं, तो नीति निपुणता में कांग्रेस से बेहतर हैं और धर्मनिष्ठा में उद्धव से बेहतर हैं इसलिए जितनी जनता पूरे विपक्ष पर भरोसा करती उससे ज्यादा अकेले योगी पर करने लगी,इस बात का सबूत है उनकी सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ । जिसमें सभी वर्ग के लोग शामिल होते थे और खासकर महिलाएं बहुत बड़ी संख्या में आती थीं । आज महिलाएं ही सबसे सशक्त वोट बैंक हैं । आज महिलाएं भी एकतरफा वोट करती हैं इसलिए किसी की सत्ता बनाना या उखाड़ना अब महिलाओं के हाथ में है । यही कारण है कि जो महिलाओं में पॉपुलर होता है आजकल वही विजेता होता है। ऐसा ही नजारा लंका में था जब वहां के पुरुष श्रीराम के विरुद्ध लड़ रहे थे लेकिन वहां की महिलाएं श्रीराम का गुणगान करती थीं । खासकर जब श्री राम ने मेघनाद का शव सम्मानपूर्वक लंका में पहुंचाया तब लंका की साधारण महिलाएं भी श्री राम को एक भला आदमी बताने लगी थीं और जब श्री राम युद्धभूमि में मंदोदरी का सम्मान करते हैं तब राजपरिवार की महिलाएं भी श्री राम की उपासक बन जाती हैं।श्री राम लंका की महिलाओं के मन में यह बात बैठाने में सफल होते हैं कि रावण महिलाओं की इज्जत नहीं करता था इसलिए उसका वध किया,यही बात योगीजी ने भी साबित की है कि उनका बुलडोजर सिर्फ अपराधियों के घर तोड़ता है आम लोगों के नहीं। योगी जी ने ऑपरेशन मजनू शुरू किया तो महिलाएं सुरक्षित महसूस करने लगीं और इसका असर सिर्फ यूपी में नहीं बल्कि पूरे देश में हुआ ,महाराष्ट्र में भी यही देखने को मिला। महिलाएं भले ही बीजेपी के अन्य नेताओं के खिलाफ बोली भी हों लेकिन कोई भी महिला योगी जी के खिलाफ बोलती हुई नहीं दिखी इसीलिए योगीजी ने जब महिला सुरक्षा पर सवाल खड़े किए तो महिलाओं ने पूरी तरह योगी का समर्थन किया। इसलिए बाबाजी ने आखिरी के सिर्फ तीन दिनों में ही एकतरफा जीत की कहानी लिख दी और परिणाम एकतरफा आए। आज महाराष्ट्र की जीत पर कई तरह की टीका टिप्पणी हो रही हैं । ईवीएम को भी क्रेडिट दिया जा रहा है लेकिन इस जीत को हरियाणा और यूपी की जीत से जोड़कर देखा जाये तो यह जीत नैतिकता और सुशासन की जीत प्रतीत होती है । जैसा कि गीता के आखिर में संजय कहते हैं कि जहां धर्म है वहां श्रीकृष्ण हैं और जहां श्रीकृष्ण हैं वहां विजय है। सच बात तो यह है कि नेताओं को एक दूसरे की आलोचना करने के बजाए योगीजी के रास्ते पर चलना चाहिए,जो नेता योगीजी जैसे नैतिक ईमानदार,चरित्रवान,राष्ट्रभक्त और रामभक्त होंगे विजय भी उनको ही मिलेगी क्योंकि जनता हमेशा बेहतर भविष्य का चुनाव करती है अतीत का नहीं। आज योगी आदित्यनाथ में भी भारत का भविष्य देखा जा रहा है,इसलिए उनको इतना समर्थन हासिल हो रहा है।शुभकामनाएं।