धनखड़ को पद से हटाने के प्रस्ताव संबंधी नोटिस पर राज्यसभा में हंगामा, कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित

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नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को सभापति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के प्रस्ताव संबंधी नोटिस और जार्ज सोरोस से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के संबंधों के आरोपों के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने भारी हंगामा किया, जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

पहली बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो आसन पर उपसभापति हरिवंश थे। उन्होंने प्रश्नकाल शुरु करने की कोशिश की लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से हंगामा शुरु हो गया।

हंगामे के बीच सदन के नेता जे पी नड्डा ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य पिछले दो दिनों से जार्ज सोरोस और कांग्रेस के वरिष्ठतम सदस्य के संबंधों का मुद्दा उठाने का प्रयास कर रहे हैं और इसीलिए इस मुद्दे को भटकाने के उद्देश्य से विपक्ष की ओर से आसन पर आक्षेप लगाने का ‘कुत्सित’ प्रयास किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘जार्ज सोरोस और सोनिया गांधी का क्या संबंध है? यह देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का सवाल है। और यह देश की संप्रभुता पर भी प्रश्नवाचक चिह्ल है। प्रमुख विपक्षी दल और जॉर्ज सोरोस के बीच संबंधों की चर्चा होनी चाहिए।’’

नड्डा ने कहा, ‘‘मुद्दे को भटकाने के लिए इन्होंने एक कुत्सित प्रयास किया है। इन्होंने आसन पर आक्षेप लगा कर अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास किया है।’’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष ने दावा किया कि देश की संप्रभुता और उसकी आंतरिक व बाह्य सुरक्षा पर जो खतरा है, उसमें कांग्रेस पार्टी का योगदान है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये औजार बन कर उनका साथ दे रहे हैं। इस पर चर्चा होनी चाहिए।’’

नड्डा ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के साथ ही आसन पर जिस तरीके का आक्षेप कांग्रेस ने लगाया है, वह भर्त्सना योग्य है और पूरे सदन को इसकी निंदा करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इन्होंने (विपक्ष ने) आसन का कभी सम्मान नहीं किया है, वह चाहे सदन के भीतर हो या सदन के बाहर हो। जिस तरीके की बयानबाजी इन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोगों और हमारे आसन के निर्णय पर की है, वह निंदनीय है। देश कभी इन्हें माफ नहीं करने वाला है।’’

नड्डा की बात पूरी होते ही उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले, सुबह इन्हीं मुद्दों पर हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी थी।

सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। उन्होंने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए पांच नोटिस मिले हैं।

सभापति ने नोटिस देने वाले सदस्यों में से एक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास का नाम लिया। उसी दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया।

हंगामे के बीच ही सभापति धनखड़ ने संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू को बोलने का अवसर दिया।

रीजीजू ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में 72 साल बाद एक किसान का बेटा देश का उपराष्ट्रपति बनकर देश की सेवा कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री अभी बोल ही रहे थे कि विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया तथा अदाणी मुद्दे का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

हंगामे के बीच, रीजीजू ने कहा कि पूरा देश देख रहा है कि सभापति के रूप में उन्होंने (धनखड़ ने) सदन की गरिमा को बनाए रखा है लेकिन विपक्षी सदस्य इस पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने में लगे हुए हैं।

सभापति को हटाने के प्रस्ताव संबंधी नोटिस को गंभीर विषय करार देते हुए रीजीजू ने कहा कि विपक्ष के लोग न लोकतंत्र को मानते हैं और ना ही आसन की गरिमा का सम्मान करते हैं।

उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने टेलीविजन पर उपराष्ट्रपति का नाम लेकर ‘बेमतलब’ के आरोप लगाए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आप लोग इस सदन का सदस्य होने के लायक नहीं हैं। अगर आप लोग आसन का सम्मान नहीं कर सकते तो आपको इस सदन का सदस्य होने का कोई अधिकार नहीं है।’’

रीजीजू ने कहा, ‘‘उपराष्ट्रपति के पद पर और उनकी गरिमा पर आप लोग हमला करेंगे तो हम बिल्कुल बचाव करेंगे। आप लोगों के इरादे को कामयाब नहीं होने देंगे।’’

केंद्रीय मंत्री ने अमेरिकी उद्योगपति और कांग्रेस की सदस्य सोनिया गांधी का नाम लेते हुए कहा कि दोनों के जो संबंध सामने आए हैं, इसकी रिपोर्ट दुनिया के सामने है।

उन्होंने कहा, ‘‘देश के विरोध में काम करने वालों के साथ, भारत के खिलाफ काम करने वालों के साथ आप लोग तालमेल में रहते हैं। जो जॉर्ज सोरोस बोलते हैं, आप लोग भारत में उसी भाषा में बात करते हैं।’’

रीजीजू ने कहा कि जिस सभापति के खिलाफ नोटिस दिया गया है, उनके जैसा सभापति मिलना मुश्किल है।

उन्होंने कहा, ‘‘वह ऐसे नेता हैं जिन्होंने पद पर रहते हुए और इससे बाहर भी… हमेशा किसानों और गरीबों के लिए बात की है। देश के संविधान की रक्षा करने की उपराष्ट्रपति ने पहल की है। हमें गर्व है कि वह इस कुर्सी पर आसीन हैं। हम लोग फ़ख्र महसूस करते हैं। आसन के खिलाफ आप लोग कोई भी काम करेंगे और इस तरह का नोटिस देने का नाटक करेंगे तो हम लोग इसे कामयाब होने नहीं देंगे।’’

रीजीजू ने कांग्रेस पार्टी और सोरोस के बीच रिश्ते पर विपक्षी दल से उसका रूख स्पष्ट करने की मांग करते हुए कहा कि उसे इस मुद्दे पर देश से माफी मांगनी चाहिए।

इसके बाद सभापति ने जनता दल (सेक्यूलर) के सदस्य और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा से अपनी बात रखने को कहा। हंगामे के कारण देवेगौड़ा की बात नहीं सुनी जा सकी।

इसी दौरान कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि विपक्ष की ओर बैठे सभी सदस्य संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं लेकिन सत्ता पक्ष की ओर बैठे लोग बाबा साहेब का संविधान बदलना चाहते हैं।

तिवारी अभी बोल ही रहे थे कि धनखड़ ने 11 बजकर 13 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

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