राजकोषीय-मौद्रिक समन्वय पिछले छह वर्षों में अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर: आरबीआई गवर्नर दास

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मुंबई, 10 दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने केंद्रीय बैंक का नेतृत्व करने का अवसर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मंगलवार को धन्यवाद दिया और कहा कि पिछले छह साल में राजकोषीय-मौद्रिक समन्वय अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर रहा।

दास ने बतौर आरबीआई गवर्नर अपने छह वर्ष के कार्यकाल के अंतिम दिन सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व नाम ट्विटर) पर सिलसिलेवार कई ‘पोस्ट’ किए जिसमें उन्होंने वित्त मंत्री, विभिन्न हितधारकों और केंद्रीय बैंक के अपने सहकर्मियों का शुक्रिया अदा किया।

उन्होंने ‘एक्स’ पर अपने निजी खाते पर लिखा, ‘‘आरबीआई गवर्नर के तौर पर देश की सेवा करने का अवसर देने तथा मार्गदर्शन व प्रोत्साहन के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बहुत-बहुत आभार। उनके विचारों और समझ से हमेशा फायदा मिला।’’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के निरंतर समर्थन और सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त करते हुए दास ने कहा कि राजकोषीय-मौद्रिक समन्वय अपने सर्वोत्तम स्तर पर रहा और इससे पिछले छह वर्षों के दौरान कई चुनौतियों से निपटने में मदद मिली।

उन्होंने वित्तीय क्षेत्र तथा अर्थव्यवस्था के सभी हितधारकों, विशेषज्ञों व अर्थशास्त्रियों, उद्योग निकायों तथा संघों, कृषि, सहकारी तथा सेवा क्षेत्र के संगठनों को उनके विचारों और नीतिगत सुझावों के लिए धन्यवाद दिया।

अन्य एक ‘पोस्ट’ में उन्होंने लिखा, ‘‘ आरबीआई के पूरे दल का बहुत-बहुत धन्यवाद। साथ मिलकर हमने अभूतपूर्व वैश्विक झटकों के असाधारण रूप से कठिन दौर को सफलतापूर्वक पार किया। आरबीआई का एक भरोसेमंद तथा विश्वसनीय संस्थान के रूप में कद और बढ़े। आप सभी को मेरी शुभकामनाएं।’’

अधिशेष हस्तांतरण तथा नियामक की स्वायत्तता के मुद्दे पर आरबीआई और सरकार के बीच खींचतान के बीच उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे के बाद दिसंबर 2018 में दास को आरबीआई का 25वां गवर्नर नियुक्त किया गया था।

पदभार संभालने के तुरंत बाद, उन्होंने न केवल अधिशेष हस्तांतरण से संबंधित विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया, बल्कि बाजारों की चिंताओं को भी दूर किया। उनके पदभार संभालने के बाद से कभी भी आरबीआई की स्वायत्तता का मुद्दा सुर्खियों में नहीं आया। उनके कार्यकाल में आरबीआई ने सरकार को रिकॉर्ड लाभांश दिया। इस साल की शुरुआत में केंद्रीय बैंक ने 2.11 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक लाभांश दिया था।

दास का कार्यकाल हमेशा से ही, नरेन्द्र मोदी सरकार की आरबीआई प्रमुख से अपेक्षा के अनुरूप रहा, जबकि रघुराम राजन तथा उर्जित पटेल के कार्यकाल आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच लगातार टकराव से प्रभावित रहे थे।

दास ने कोविड-19 वैश्विक महामारी की चुनौतीपूर्ण अवधि में भारत की मौद्रिक नीति प्रतिक्रिया को भी कुशलतापूर्वक संचालित किया।

इससे पहले आर्थिक मामलों के सचिव और राजस्व सचिव के तौर पर दास ने नोटबंदी अभियान की योजना व क्रियान्वयन और ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने में अहम भूमिका निभाई।

तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी दास मई 2018 में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें 15वें वित्त आयोग का सदस्य और भारत का जी20 शेरपा नियुक्त किया गया।

वित्त मंत्रालय में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान वह आठ केंद्रीय बजटों की तैयारी से सीधे तौर पर जुड़े रहे।

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