रोहित और कोहली ने फिर किया निराश, ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 10 विकेट से रौंदा

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एडिलेड, आठ दिसंबर (भाषा) रोहित शर्मा और विराट कोहली की तेज और स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ तकनीकी समस्या से निजात पाने की नाकामी ने खतरे की घंटी बजा दी है जिससे भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (बीजीटी) में ‘गुलाबी गेंद’ से खेले गए दूसरे टेस्ट मैच को 10 विकेट की करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।

ऑस्ट्रेलिया ने दिन-रात्रि टेस्ट में अपना दबदबा जारी रखते हुए रविवार को तीसरे दिन के पहले सत्र में मैच को अपने नाम कर पांच मैचों की श्रृंखला 1-1 से बराबर कर ली। ऑस्ट्रेलिया ने इसके साथ ही पर्थ में मिली 295 रन की निराशाजनक हार को पीछे छोड़ दिया।

ऑस्ट्रेलिया के लिए यह दिन-रात्रि के 13 टेस्ट में 12वीं जीत है। टीम को गुलाबी गेंद से एकमात्र हार वेस्टइंडीज से मिली है। एडिलेड में खेले गये दिन-रात्रि टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने सभी आठ मैच जीते हैं।

भारतीय बल्लेबाज इस मैच की दोनों पारियों में सिर्फ 81 ओवर ही बल्लेबाजी कर सके। ऑस्ट्रेलिया ने महज सात सत्र के अंदर जीत दर्ज की जो गेंदों के हिसाब से भारत के खिलाफ उसका सबसे छोटा टेस्ट मैच है। इस मैच में संभावित 2700 गेंदों में से महज 1031 गेंदें डाली गयी।

भारत ने दिन की शुरुआत पांच विकेट पर 128 रन से करते हुए पहले ओवर में ही ऋषभ पंत (28) का विकेट गंवा दिया। नीतीश कुमार रेड्डी (42) के पहली पारी की तरह दूसरी पारी में शानदार जज्बा दिखकर टीम का स्कोर 175 रन पहुंचाया। उनकी बल्लेबाजी से भारत पारी की हार टालने में सफल रहा।

ऑस्ट्रेलिया ने इसके बाद जीत के लिए 19 रन के लक्ष्य को हासिल करने की औपचारिकता सिर्फ 3.2 ओवर में पूरी कर यादगार जीत दर्ज की।

        भारत की दूसरी पारी केवल 36.5 ओवर तक चली। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान कप्तान पैट कमिंस ने शॉर्ट बॉल का प्रभावी ढंग से उपयोग करते हुए 57 रन देकर पांच विकेट लिए। स्कॉट बोलैंड (51 रन पर तीन विकेट) ने पारी की शुरुआती में विकेट झटके जबकि मिशेल स्टार्क (60 रन पर दो विकेट) ने महत्वपूर्ण विकेट चटकाये।

ऑस्ट्रेलिया के तीन प्रमुख तेज गेंदबाजों का दबदबा ऐसा था कि कमिंस को दूसरी पारी में मिशेल मार्श और नाथन लियोन की भी जरूरत नहीं पड़ी। टीम के विशेषज्ञ स्पिनर और हरफनमौला ने पूरे मैच में केवल पांच ओवर फेंके।

        टेस्ट मैच में एक दिन में आधिकारिक तौर पर 90 ओवर गेंदबाजी करने का प्रावधान है। ऐसे में भारत अपनी दोनों पारी को मिलाकर एक दिन भी नहीं टिक पाया।

भारत को इस मैच की दोनों पारियों में सबसे ज्यादा निराशा अनुभवी विराट कोहली और कप्तान रोहित शर्मा की बल्लेबाजी से हुई। यह दोनों बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों का सामना करने में विफल रहे।

गेंदबाजी में जसप्रीत बुमराह ने पूरा प्रयास किया लेकिन उन्हें दूसरे छोर से अच्छा साथ नहीं मिला।

रोहित के लिए चीजें लगातार मुश्किल होती जा रही हैं क्योंकि अब वह अपनी कप्तानी के पिछले चार टेस्ट हार चुके हैं।

अपने पिछले छह टेस्ट मैचों में उन्होंने 12 पारियों में सिर्फ एक अर्धशतक (बेंगलुरु) लगाया है। इसके अलावा वह सिर्फ एक पारी में 20 रन का आंकड़ा पार कर सके हैं। उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ कानपुर में 11 गेंदों में 23 रन बनाये थे।

सैंतीस साल के रोहित के आउट होने के तरीके पर गौर करें तो यह कृष्णमाचारी श्रीकांत और वीरेंद्र सहवाग के करियर के आखिरी चरण में आउट होने के तरीके से काफी मिलता-जुलता है।

इन तीनों बल्लेबाजों को आखों और हाथों के शानदार समन्वय के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने चरम के दौरान आराम से गेंद की लंबाई को भाप कर बल्लेबाजी की।

 रिफ्लेक्स (शारीरिक प्रतिक्रिया) धीमी होने के साथ रोहित की गेंद पर प्रतिक्रिया भी धीमी हो गयी है। जिस तरह से नाहिद राणा, तस्कीन अहमद, टिम साउदी और अब पैट कमिंस ने उन्हें चकमा दिया उससे यह बताना मुश्किल नहीं है कि वह कहा गलती कर रहे हैं।

रोहित गेंद की लाइन में आकर खेलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन गेंद की लंबाई को लेकर गलत निर्णय उनकी परेशानी का कारण बन रहा है। भारतीय कप्तान को फिर से शीर्ष तीन में बल्लेबाजी करनी होगी जहां यह समस्या उन्हें और ज्यादा परेशान करेगी।

कोहली ने पर्थ में शतक जरूर लगाया लेकिन उनकी यह पारी लोकेश राहुल और यशस्वी जायसवाल की 201 रन की साझेदारी के बाद आयी। इससे चीजें आसान हो गयी थी और जब वह बल्लेबाजी के लिए आये थे तब भारत लगभग 300 रन की बढ़त बना चुका था।

उनके खाते में शतक जरुर जुड़ा लेकिन उस समय ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज थम चुके थे और परिस्थितियां भी बल्लेबाजी के अनुकूल थी।

कोहली के ऑफ स्टंप के बाहर की कमजोरी का खुलासा 2014 में जेम्स एंडरसन ने किया और तब से चौथी स्टंप के पास रहने वाली गेंद समस्या बनी हुई है।

उस समय 26 साल के कोहली ने कड़ी मेहनत कर इस समस्या पर काबू पा लिया था लेकिन अब 36 साल के हो चुके इस खिलाड़ी के लिए इस तरह की गेंदों को आंकना परेशान कर रहा है।

भारत को अगर इस श्रृंखला के बाकी बचे मैचों में मजबूत वापसी करनी है तो इन दोनों दिग्गजों को अपनी खराब लय से बाहर निकलने का तरीका ढूंढना होगा।’’

भारत को इस मैच में वापसी लाने का दारोमदार पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे के नायक पंत पर था। दिन के पहले ओवर में भी गुलाबी गेंद के बेताज बादशाह माने जाने वाले स्टार्क ने ऑफ स्टंप की बाहर वाली गेंद पर पंत को चकमा दिया और गेंद उनके बल्ले का बाहरी किनारा लेकर दूसरे स्लिप में खड़े स्टीव स्मिथ के हाथों में चली गयी। स्टार्क के नाम दिन-रात्रि टेस्ट में सबसे ज्यादा 74 विकेट हैं।    

रेड्डी ने एक बार फिर तकनीक और आक्रमण का अच्छा मिश्रण दिखाया। पंत के आउट होने के बाद उन्होंने कुछ बड़े शॉट खेलकर टीम को पारी की हार से बचा लिया।

शुरुआती दो टेस्ट मैच में रेड्डी भारत के सबसे अच्छे बल्लेबाजों में से एक के तौर पर उभरे हैं। वह करियर की शुरुआती चार पारियों में अच्छी शुरुआत को अर्धशतक में बदलने में नाकाम रहे लेकिन उन्होंने 41, 37 नाबाद, 42 और 42 रन स्कोर के साथ प्रभावित किया। वह अगर गेंदबाजी में थोड़ी गति हासिल कर सुधार कर सकें तो टीम के लिए तेज गेंदबाजी हरफमौला की कमी को पूरा कर सकते हैं।

रविचंद्रन अश्विन ने कमिंस की बाउंसर पर एक ही गलती लगातार तीन बार दोहराई। शुरुआती दो बार वह बच गए लेकिन तीसरी बार गेंद उनके ग्लव्स को छूकर विकेटकीपर के दस्ताने में चली गयी।

कमिंस ने एक और शॉट गेंद पर हर्षित राणा को खाता खोले बगैर चलता किया।  

स्टार्क ने इसके बाद रेड्डी तो वही बोलैंड ने मोहम्मद सिराज को आउट कर भारतीय पारी को खत्म किया।