आरबीआई का प्रयास मुद्रास्फीति के ‘घोड़े’ पर लगाम लगाने पर केंद्रितः गवर्नर दास
Focus News 6 December 2024मुंबई, छह दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने नीतिगत ब्याज दर को लगातार 11वीं बार अपरिवर्तित रखने पर शुक्रवार को कहा कि उनका प्रयास मुद्रास्फीति रूपी घोड़े को काबू में रखने पर केंद्रित है।
दास ने आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मुद्रास्फीति और वृद्धि के बीच संतुलन ‘अस्थिर’ हो गया है लेकिन इसे दोबारा सही स्थिति में लाने के लिए सभी तरीके आजमाए जाएंगे।
उनका इशारा दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि के उम्मीद से कहीं कम 5.4 प्रतिशत रहने और अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से अधिक रहने की तरफ था।
आरबीआई गवर्नर के तौर पर अगले हफ्ते अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने जा रहे दास ने यह सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया कि लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण की ‘विश्वसनीयता’ भविष्य में भी बनी रहे।
दास ने कहा, “(मुद्रास्फीति) घोड़ा सरपट भागने की दिलेरी से कोशिश कर चुका है। हमारा प्रयास है कि इसकी लगाम खींच कर रखी जाए।”
केंद्रीय बैंक ने बढ़़ी हुई मुद्रास्फीति के बीच वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के अनुमान को काफी कम करके 6.6 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई ने पहले इसके 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक के लिए ‘आकस्मिक’ प्रतिक्रिया की कोई गुंजाइश नहीं होती है और कोई भी कार्रवाई उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के बाद समय पर की जाएगी।
उन्होंने कहा, “वृद्धि और मुद्रास्फीति की गतिशीलता के बीच संतुलित चरित्र कुछ हद तक अस्थिर हो गया है। हमारा प्रयास अब उस संतुलन को बहाल करने का है। इसका मतलब है कि हम मुद्रास्फीति अपने लक्ष्य (चार प्रतिशत) के करीब आ जाए। हम वृद्धि को भी तेज होते हुए देखना चाहते हैं।”
इसके साथ ही दास ने उम्मीद जताई कि दूसरी छमाही में वृद्धि दर पहली छमाही के मुकाबले काफी बेहतर रहेगी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में छह प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा, “आने वाले समय में दूसरी छमाही चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही से बेहतर दिख रही है। दूसरी छमाही के बेहतर अनुमान बेहतर खरीफ उत्पादन, उच्च जलाशय स्तर और बेहतर रबी बुवाई पर आधारित है।”
इसके अलावा आने वाले समय में औद्योगिक गतिविधि सामान्य होने और पिछली तिमाही के निचले स्तर से उबरने की भी उम्मीद है। मानसून से संबंधित व्यवधानों के बाद खनन और बिजली के भी सामान्य होने की उम्मीद है।
दास ने कहा कि एमपीसी मुद्रास्फीति और वृद्धि के बीच संतुलन लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए विभिन्न नीतिगत साधनों का उपयोग किया जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या वृद्धि के रुझाने में गिरावट आ रही है, उन्होंने कहा कि ऐसे नतीजे पर पहुंचना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मौजूद दौर खत्म होते ही वृद्धि पिछले रुझान पर वापस आ जाएगी।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या मांग पक्ष में निवेश की कमी और आपूर्ति के मोर्चे पर विनिर्माण है।
पात्रा ने कहा, “विनिर्माण में सबसे बड़ी समस्या बिक्री वृद्धि में गिरावट है और यह शहरी उपभोक्ताओं पर मुद्रास्फीति की मार के रूप में परिलक्षित होती है। जब बिक्री वृद्धि घटती है, तो कंपनियां नई परिसंपत्तियों में निवेश नहीं करना चाहती हैं।”
डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा कि अनिवासी भारतीयों की विदेशी मुद्रा जमा पर ब्याज दर सीमा बढ़ाने का मकसद अधिक पूंजी प्रवाह को आकर्षित करना है।