रंग-बिरंगी मिठाइयों से बचें

इंसान के जीवन में रंग खास अहमियत रखते हैं। रंग स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं। मिठाइयों को तरह-तरह के रंग देने के लिए बनावटी रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा चॉकलेट, मक्खन, शरबत, बिस्कुट और केक वगैरह को भी बनावटी रंगों से आकर्षक बनाने का चलन है।


1954 में नकली खाने वाले रंगों पर रोक लगाने के लिए कानून बना मगर उसका पालन नहीं हुआ। 1975 में आई.एस.आई. निशान वाले रंगों को ही मान्यता दी गई थी लेकिन व्यापारियों ने इन नियम कानूनों का पालन नहीं किया। वे आज भी नकली रंगों के खाने-पीने की चीजें धड़ल्ले से बेच रहे हैं।


भारत सरकार ने खाने की चीजों को रंगीन बनाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा जांच किए गए कुछ रसायनों को मान्यता दी है। ये रयासन महंगे हैं, इसलिए व्यापारी सस्ते के लालच में इनका इस्तेमाल नहीं करते।


भारत में खाने-पीने की चीजों में रंगों की स्वीकृत मात्रा 220 पी. पी. एम. (प्रति 10 लाख में हिस्सा) थी जिसे संशोधित करके 110 पी.पी.एम. कर दिया गया है।
जांच किए गए निम्न रसायनों को मान्यता दी गई है :-
 लाल रंग के लिए µ ईएमरेंथ
 पीले रंग के लिए µ ट्राइट्रजीन
 नीले रंग के लिए µ इंडिगोकारमाइन


इन मान्यता प्राप्त रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि इनकी जगह सस्ते रसायनों का इस्तेमाल हो रहा है। जो रसायन शरीर पर घातक असर दिखाते हैं, वे हैं शर्बत को नीला रंग देने के लिए ’ब्लू वीआरएस‘ और नारंगी रंग देने के लिए ’रोडामिन आरेंज‘। ये रसायन गुर्दे, दिमाग व  तिल्ली को नुकसान पहुंचाते हैं। इसी तरह जलेबी, लड्डू व शर्बत को पीला रंग देने के लिए ’मेटेनिल‘ नामक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है। ये रसायन गले में दर्द, दमा, पाचन क्रिया में गड़बड़ी व मुंह के छाले जैसी बीमारियों को न्यौता देते हैं। इसी तरह मक्खन और मिठाइयों को आकर्षक दिखने के लिए क्रीम रंग का रसायन इस्तेमाल में लाया जाता है जो लिवर को प्रभावित करता है।


चीनी को अधिक सफेद बनाने के लिए ’सोडियम साइक्लेमेट‘ नामक रसायन मिलाया जाता है। यह रसायन धीरे-धीरे हड्डियों के कैल्शियम को नुक्सान पहुंचाता है जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।


मिठाइयों व दूसरी मीठी चीजों में चीनी का इस्तेमाल होना जरूरी है। अधिक चाकलेट खाने वाले बच्चों के दांत इसी रसायन के असर से सड़ते हैं और लाल मिर्च के पाउडर में लालिमा के लिए ’लेड क्रोमेट‘ की मिलावट की जाती है। लेड क्रोमेट के कारण नींद न आना व पाचन संबंधी बीमारी पैदा होती है।


सुझाव :- घातक रसायन व बनावट रंगों वाली चीजों का इस्तेमाल बहुत कम करना चाहिए। मिठाइयों को खरीदते समय भी सावधानी बरतें। मिठाइयां अच्छी दुकान से ही खरीदें भले ही वे महंगी क्यों न हों। सस्ते के चक्कर में पड़कर अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ न करें।