अब मिठाईयों में एसिड का भी प्रयोग

sdfdcXZ

सुभाष आनंद 
वैसे  मिठाईयों में घटिया रंग और मिलावटी खोए की चर्चा तो जरूर सुनी है लेकिन अब मिठाईयों में एसिड के प्रयोग की भी चर्चाएं सुनकर लोग दंग रह गए हैं। विश्व में बंगाल का रसगुल्ला प्रसिद्ध है और इसकी सप्लाई बंद डिब्बों में विदेशों तक जाती है परंतु कुछ दिनों पहले यह सूचना मिली है कि स्पंजी रस गुल्लों को तैयार करने के लिए हलवाई बड़े पैमाने पर एसिड का प्रयोग कर रहे हैं।  जिस कारण अब इसके स्वाद में पहले वाला स्वाद नहीं रहा । स्वाद-स्वाद में लोगों की सेहत के साथ बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एसिड के प्रयोग से स्पंजी रस गुल्ले जहां शीघ्र तैयार हो जाते हैं वहीं इन में चीनी की मात्रा उतनी कम नहीं होती जितनी होनी चाहिए। कुछ रोग से पीडि़त व्यक्ति स्पंजी रसगुल्ला को धोकर खाते थे जिससे चीनी सारी बाहर आ जाती थी। लेकिन अब ऐसा देखने को नहीं मिलता। देश में बड़ी-बड़ी कम्पनियों ने भी अब मिठाईयों पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश है वहीं कतली बर्फी में भी मिलावट की शिकायतें मिल रही हैं।  दुबई में बिकने वाली कतली बर्फी और भारतीय कतली बर्फी में जमीन-आसमान का आप को फर्क मिलेगा।  
एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल में बिकने वाले रसगुल्ले में एक ऐसे एसिड का प्रयोग किया जा रहा है जिसे शौचालय साफ करने के लिए घर-घर में प्रयोग में लाया जाता है। पश्चिम बंगाल के द्वारा करवाए गए एक सर्वेक्षण में राज्य में कई दुकानदार रसगुल्लों के निर्माण एक विशेष एसिड का प्रयोग करते हैं। निर्माण में साइट्रिक एसिड के इस्तेमाल की अनुमति है लेकिन  हलवाई और दूध सप्लाई करने वाले सस्ता और सुलभ उपलब्ध  एसिड का प्रयोग कर रहे हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। शौचालयों की सफाई इसी से होती है। स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों ने बताया है कि यह एक बड़ा संवेदनशील मामला है। एक और जहां यह लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा है दूसरी तरफ यह छेना उद्योग से भी जुड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में छेना की सप्लाई आम हलवाईयों को भी की जाती है। रसगुल्ला और मिठाई बनाने से पहले इसको विशेष रूप से धोया जाता है इसमें एसिड की मात्रा इतनी अधिक होती है बार-बार धोने से इसे अलग नहीं किया जा सकता।
यदि स्वचालित मशीनों से छेना का निर्माण किया जाए तो इस समस्या को हल किया जा सकता है। उधर हलवाई स्वयं को निर्दोष मान रहे हैं।  कम्पनियों द्वारा सप्लाई किए जा रहे स्पंजी रसगुल्लों में भी एसिड का प्रयोग खुलकर किया जा रहा है। पंजाब में भी बंद डिब्बों में सप्लाई होने वाले रसगुल्लों का स्वाद  बदल गया है।  पंजाब के हलवाई रसगुल्लों का रंग साफ करने के लिए बड़े पैमाने पर एसिड का प्रयोग कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में अब लोग रसगुल्लों को छोड़कर गुलाबजामुन खाने लगे हैं। वहीं डाक्टर लोगों का मत है कि जिस प्रकार रसगुल्लों को तैयार करने  बड़े स्तर पर एसिड का प्रयोग हो रहा है उसी के कारण लोगों के लीवर और किडनी पर बुरा असर पड़ रहा है।  वहीं कई हलवाईयों ने इस बात को लेकर चुनौती दी है परंतु आम रसगुल्लों को तैयार करने में बड़े पैमाने पर एसिड का प्रयोग होता है यह बात किसी से छिपी नहीं है।
पश्चिम बंगाल में इस तरह की अनेक शिकायतें मिली। एक बंगाली लेखक ने लिखा है कि पश्चिम बंगाल की सरकार ने लोगों को मरवाने के लिए सरकारी लाइसेंस जारी किए हैं। अब पश्चिम बंगाल में रसगुल्लों पर बैन लगाने पर सरकार सोच रही है और डिब्बा बंद कम्पनियों पर भी बैन लगाने की बात हो रही है