दवाओं के सेवन से संबंधित समस्याएं और उनके समाधान

पैथी कोई भी हो किंतु दवाओं का इस्तेमाल सही जरूरी है अन्यथा दवाएं इलाज की बजाए समस्या बन सकती हैं। दवा सेवन से संबंधित कुछ बातें अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। दुर्भाग्य यह है कि बहुत सी बातें हम बड़ी आसानी से अनदेखी कर जाते हैं। डाक्टर से परामर्श किये बगैर ही दवा की दुकान से दवा खरीदना और खाना आम बात हो गई है। केमिस्ट भी बिक्री की फिक्र करते हैं। वे भी डाक्टर की परची देखे बगैर दवा दे देते हैं।
डाक्टर नुस्खा लिखता है और केमिस्ट दवाएं देता है और हम दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। इलाज की इस कड़ी में भी भूल हो सकती है। भूल किसी से भी क्यों न हो, उसका खामियाजा दवा का इस्तेमाल करने वाले को भुगतना पड़ता है। ऐसी ही भूलां से हर वर्ष हजारों लोगों की जान जाती है। थोड़ी-सी सावधानी बरतकर इन भूलों से काफी हद तक बचा जा सकता है। प्रस्तुत हैं दवा सेवन से संबंधित कुछ प्रमुख समस्याएं और उनके समाधान।
समस्याएं


ऽ डाक्टर की परची समझ में न आना, अंदाज से दवा समझना और खरीदना, कोर्स अधूरा छोड़ देना।
ऽ डाक्टरी निर्देश का ठीक से पालन न करना।
ऽ अपनी मर्जी से दवा का कम-ज्यादा सेवन करना।
ऽ केमिस्ट से बीमारी बताकर दवा खरीदना व उनका सेवन करना।
ऽ दवाओं का रख-रखाव निर्देशानुसार न करना।
ऽ डाक्टर को अपनी बीमारी के संदर्भ में, दिनचर्या और खान-पान के बारे में सही जानकारी प्रदान न करना।
ऽ जरूरत से ज्यादा दवा का सेवन करना।


दुष्परिणाम
दवा के बारे में शंका रहते हुए भी डाक्टर से खुलासा न करवाना और दवाओं का सेवन करना कभी भी मुश्किलें पैदा कर सकता है। गलत दवा से साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं। कभी-कभी जान भी जा सकती है।


नुस्खा लिखते वक्त डाक्टर साफ-साफ बता देता है कि दवा कब और कैसे लेनी है। डाक्टरी निर्देश का सही ढंग से पालन न करना घातक सिद्ध हो सकता है। अधिकतर दवाएं खाली पेट नहीं ली जाती। दवा का समय भी सुनिश्चित होता है। समय पर दवा न लेना, एक साथ दोनों समय की दवाओं का इस्तेमाल करना भी प्रॉब्लम खड़ी कर सकता है। याद रहे कि निर्देशों की उपेक्षा करना अपनी सेहत के साथ जान बूझकर खिलवाड़ करना है।
दवा कितनी और कब-कब लेनी है, यह डाक्टर तय करता है। मर्ज के अनुरूप ही डाक्टर नुस्खे बताता है। डबल डोज की आदत न डालें। उसी तरह यदि किसी दवा का डाक्टर ने तीन दिन तक सेवन करने का निर्देश दिया है तो उसके अनुसार खाएं अन्यथा आगे नई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।


केमिस्ट से अपनी मर्जी से दवा न मांगें। पेट दर्द, सिर दर्द, छाती में दर्द, खांसी, बुखार की वजह जाने बगैर दवाओं का सेवन करना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ही कहा जाएगा।
दवाओं का निर्देशानुसार रख-रखाव न होना दवाओं के पावर को प्रभावित कर सकता है। गर्मी और नमी के प्रभाव से दवाएं खराब हो सकती हैं। प्रभावित दवाएं बीमारी बढ़ा सकती हैं। कई बार दवाएं बच्चों के हाथ भी लग जाती हैं और वे उनका सेवन भी कर सकते हैं, इसलिए दवा को बच्चों की पहुंच से दूर रखें।


डाक्टर को अपनी बीमारी ही नहीं, दिनचर्या की भी सही जानकारी दें ताकि वह सही दवाएं परची पर लिख सकें। डाक्टरी सलाह के बगैर कोई दवा चबाकर या पाउडर बनाकर न लें। देर तक असर करने वाली दवाओं को चूसने या पाउडर बनाकर लेने से तकलीफ बढ़ सकती है।


आपरेशन से पूर्व डाक्टर को दवाओं, जड़ी बूटियों, विटामिनों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी दें ताकि ब्लीडिंग तेज न हो जाए या फिर एनेस्थेसिया का असर कम-ज्यादा न हो जाए। यदि आप सिगरेट, शराब के आदी हैं तो वह भी जानकारी डाक्टर को दें। इससे आपरेशन के दौरान या बाद में अनावश्यक प्राब्लम खड़ी नहीं होगी।


डाक्टरों से आग्रह
डाक्टरों की हैंडराइटिंग बहुत खराब रहती है या वे जान-बूझकर खराब हैंडराइटिंग में परची लिखते हैं, एक अबूझ पहेली है। हमारा डाक्टरों से आग्रह है कि वे साफ-सुथरे अक्षरों में दवाओं के नाम लिखें। साथ ही यह भी लिखें कि उन्हें कब-कब और कैसे तथा कितने दिनों तक दवा लेनी है। मरीज को पकड़ाई जाने वाली परची को मरीज की पर्सनल फाइल में भी लिखें जो अस्पताल में उनके अपने पास रहती है। अच्छा होगा यदि डाक्टर दवा के नाम के साथ उसका ब्रांड नाम और जेनेरिक नाम भी लिख दें। मरीज की पूरी हेल्थ हिस्ट्री से वाकिफ होने के बाद ही दवा लिखें। इससे एलर्जिक रिएक्शन की कम ही संभावना रहेगी। संकेत अक्षरों का प्रयोग सावधानी पूर्वक करें ताकि अनावश्यक कनफ्यूजन पैदा न हो।


डाक्टर से यह जरूर पूछें
जब भी डाक्टर से आप परची लें तो पहले उसे वहीं पढ़ लें। जेब में परची रखने से पूर्व डाक्टर से निम्नलिखित खुलासा अवश्य करें।


बीमारी कौन सी है और इसकी वजह क्या है?


दवाओं के ब्रांड और जेनेरिक नाम क्या हैं?
दवा के साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं? किस दवा के साथ कौन-सी अन्य दवाएं नहीं ले सकते हैं? कोर्स की अवधि कितने दिनों की है? स्वयं हाय डोज की दवा न मांगे।
खान-पान में कौन से परहेज करने पड़ेंगे?


डाक्टर से परामर्श के बाद जब सभी शंकाओं का समाधान हो जाए, तभी दवाओं की परची जेब में रखिए। दवाएं खरीदकर लाकर उन्हें भी डाक्टर को दिखाएं और पूरी तसल्ली के बाद ही मर्ज का इलाज करें। यदि आपको किसी भी साइड इफेक्ट का संदेह हो तो दवाओं का सेवन रोक दें। डाक्टर से तत्काल मुलाकात करें और वस्तुस्थिति से उन्हें अवगत कराएं। डाक्टर के निर्देशानुसार ही दवाओं का सेवन करें।


कैमिस्ट से क्या पूछें
कैमिस्ट से दवाओं के संदर्भ में खुलासा कर लें। दवा किस मर्ज की है यह भी पूछ लें। पक्का बिल अवश्य मांगे। दवाओं का नाम पढ़ लें। एक्सपायरी डेट जरूर पढ़ें। यदि एक सरीखी दवा लगे तो उन्हें अलग-अलग पैकेट में रखें और उन पर दवा का नाम जरूर लिखवा लें।
….और अंत में आप सभी से आग्रह


मर्ज को छोटा न समझें। स्वयं अपने डाक्टर न बनें।
अपनी मर्जी से दवा न खाएं। केमिस्ट से इलाज न कराएं। दवाओं के रख-रखाव में तनिक भी लापरवाही न बरतें। अपनी इच्छा से दवा का कोर्स तय न करें। पूरी तसल्ली के बाद ही दवाखाने से और केमिस्ट के यहां से घर लौटें। शंकाओं के साथ दवाओं का सेवन हानिकारक सिद्ध हो सकता है। दवाओं के सेवन से संबंधित समस्याओं में स्वयं को दोषी न बनाएं। जागरूक बनें और जागरूकता रखें। डाक्टर के बताए अनुसार ही दवा लें।