नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) सेवा, कंप्यूटर, दूरसंचार और फार्मा क्षेत्रों में अच्छे निवेश के कारण चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर अवधि में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सालाना आधार पर 45 प्रतिशत बढ़कर 29.79 अरब डॉलर हो गया। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में एफडीआई प्रवाह 20.5 अरब डॉलर था।
जुलाई-सितंबर तिमाही में, प्रवाह पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 9.52 अरब डॉलर के मुकाबले सालाना आधार पर लगभग 43 प्रतिशत बढ़कर 13.6 अरब डॉलर हो गया।
अप्रैल-जून तिमाही में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 47.8 प्रतिशत बढ़कर 16.17 अरब डॉलर हो गया।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों से पता चला है कि कुल एफडीआई, जिसमें इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी शामिल है, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान 28 प्रतिशत बढ़कर 42.1 अरब डॉलर हो गया, जो अप्रैल-सितंबर 2023-24 में 33.12 अरब डॉलर था।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान, प्रमुख देशों से एफडीआई इक्विटी प्रवाह में वृद्धि हुई। इनमें मॉरीशस (2.95 अरब डॉलर के मुकाबले 5.34 अरब डॉलर), सिंगापुर (5.22 अरब डॉलर के मुकाबले 7.53 अरब डॉलर), अमेरिका (दो अरब डॉलर के मुकाबले 2.57 अरब डॉलर), नीदरलैंड (1.92 अरब डॉलर के मुकाबले 3.58 अरब डॉलर), यूएई (1.1 अरब डॉलर के मुकाबले 3.47 अरब डॉलर), केमैन आइलैंड्स (14.5 करोड़ डॉलर के मुकाबले 23.5 करोड़ डॉलर) और साइप्रस (3.5 करोड़ डॉलर के मुकाबले 80.8 करोड़ डॉलर) शामिल हैं।
हालांकि, जापान और ब्रिटेन से प्रवाह में गिरावट आई।
क्षेत्रवार, सेवा, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, ट्रेडिंग, दूरसंचार, वाहन, फार्मा और रसायन क्षेत्र में निवेश बढ़ा है।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सेवाओं में एफडीआई बढ़कर 5.69 अरब डॉलर हो गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 3.85 अरब डॉलर था।
आंकड़ों के अनुसार, गैर-परंपरागत ऊर्जा में एफडीआई प्रवाह दो अरब डॉलर रहा।
आंकड़ों से पता चला कि अप्रैल-सितंबर 2024-25 के दौरान महाराष्ट्र को सबसे अधिक 13.55 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ। इसके बाद कर्नाटक (3.54 अरब डॉलर), तेलंगाना (1.54 अरब डॉलर) और गुजरात (लगभग चार अरब डॉलर) का स्थान रहा।