अगर जीवन को गहराई से, पूरी शिद्दत से जीना चाहते हैं तो ‘इमोशन ब्लॉक्स को हटाना जरूरी है। भावुक प्रवृति के लोग स्नेह करने योग्य होते हैं। भावुक होना मानव होने की पहचान है।
साइना पांच बहनों में सबसे बड़ी थी। सब बहनों पर उसका खूब रौब चलता था। अपनी कठोर इमेज बनाए रखने के लिये वह बड़ी सफाई से अपनी कोमल भावनाओं को छुपा जाती। ऐसा बार-बार करते रहने से अब यह उसकी आदत बन गई थी, लेकिन अपनी कोमल भावनाओं को दबाने से वह बेहद रूखी और चिड़चिड़ी हो गई थी। हंसना तो मानो वह भूल ही गई थी।
अमेरिकन मनोवैज्ञानिक जेम्स मेसन के मतानुसार भावनात्मक दुर्बलता से कोई व्यक्ति अछूता नहीं रह सकता। बाहरी मुखौटे पर मत जाइए। अक्सर होता यही है कि हम बाहरी रूप को ही सच समझ लेते हैं। जब कोई भी शख्स अपने प्यार, भय या किसी भावनात्मक सदमे या चोट को भीतर दबाकर सबसे छुपाए रखता है तब इस तरह ओढ़े हुए मुखौटे से परिचितों मित्रों को यह गलतफहमी हो सकती है कि यह शख्स संवेदनहीन है, मगरूर है, इसके पास भावनाएं हैं ही नहीं। यह किसी के सुख-दु:ख को क्या समझेगा।
अपनी भावनाओं को प्रगट करते रहने से मानसिक संतुलन बना रहता है। अपनी इमेज बनाए रखने के फेर में अगर आप बनावटी जिंदगी जीते रहेंगे, सुपर वुमन या सुपरमैन की छवि में कैद होकर रहेंगे तो आप न सिर्फ जिन्दगी के लुत्फ से महरूम रह जाएंगे, बल्कि कई मानसिक रोगों की चपेट में आ जाएंगे। अपने साथ अपनों का जीवन भी मुश्किल कर देंगे।
जो मजा सरल स्वाभाविक रूप से जीने में है उसकी तुलना नहीं। इसके लिए न आपको ऊंची डिग्रियों की आवश्यकता है न धन-दौलत की। धरती से जुड़े (डाउन टू अर्थ) लोग ही सच्चे मायने में मानवीय हैं, क्योंकि वे कुदरती है, स्वाभाविक हैं। मुझमें भी मानवीय कमजोरियां हैं, मेरी भावनाओं को भी ठेस लगती है, डर मुझे भी लगता है, मौत का ख्याल मुझमें भी दहशत जगाता है। ये सब बातें आपको तुरंत औरों से जोड़ देती हैं। औरों को लगता है आप भी उन्हीं की तरह हैं। आप दिल खोलकर बात कर रहे हैं आपके दुराव-छुपाव में अपने को खास दिखाने जैसा भाव नहीं है। आप उन पर विश्वास कर उन्हें समान समझते हैं। भावनात्मक सरलता से उत्पन्न विश्वास दूसरों को भी मुखर करता है उनमें सहानुभूति का जज्बा पैदा कर आपके बीच तादात्म्य स्थापित करता है, रेपो बनाता है।
आपको जो ‘एट ईजÓ महसूस कराता है जिसकी कंपनी में आप कंफर्टेबल महसूस करते हैं, आप उन्हीं का साथ पसंद करते हैं। यहां विश्वास है, सहानुभूति है। यहां आपको न भावनाओं को छुपाने की मजबूरी है न किसी डिप्लोमेसी की जरूरत। यहां सकारात्मक वाइव्स होती है हवाओं में। यहां आप निडर, बेखौफ होकर अपने मन का बोझ हल्का कर सकते हैं अपनी भावनात्मक कमजोरियों को अभिव्यक्ति दे सकते हैं।
यह एक कटुसत्य है कि दुनिया में हमेशा मनचाहा नहीं होता। रंग-बिरंगी दुनिया में लोग भी रंग-बिरंगे मिलते हैं। अगर ईमानदार सच्चे निश्छल उसूल वाले लोग हैं तो बेईमान झूठे अवसरवादी, मतलबी, सेडिस्ट खलनायकी की प्रवृत्ति वाले लोगों की भी कमी नहीं। इनसे बचने के लिए ही सीधे सरल लोगों को भी कभी-कभी सुरक्षा कवच धारण करना पड़ता है, जिसमें छेद करने में दुष्टï प्रवृत्ति के लोग अक्सर कामयाब हो भी जाते हैं। कमजोर कड़ी हाथ में आते ही दुष्टï प्रवृत्ति के सेडिस्ट, सीधे सरल लोगों की निजता पर धावा बोलते हुए कभी उनके रिश्तों को टटोलते हैं, कभी उनके सुख दु:ख-सुख से जलते हैं और दु:ख का मजा लेते हैं। रिश्तों में कुछ दु:ख नाराजगी जानकर संबंधित व्यक्ति के पास जाकर लगाई बुझाई कर सरल व्यक्ति की मुश्किलें बढ़ा देते हैं।
पहले की भारतीय स्त्रियां ज्यादातर अतिभावुक हुआ करती थीं। इसमें कुछ उनकी परवरिश का भी हाथ था कि उन्हें दब्बू बनाकर रखा जाता था, इससे अक्सर विवाहोपरांत पति भी उन पर हावी होकर तंग करते थे, लेकिन अब स्थिति ऐसी नहीं है, लेकिन फिर भी नारी आखिर नारी ही है।
आज हर क्षेत्र में सफलता की बुलंदियों को छू लेने के बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि वह हाड़-मांस के बजाय लोहे की मशीन जैसी निस्पृह बन गई है। भीतर से वह आज भी कहीं न कहीं असुरक्षित, सशंंकित है।
जो कुटिलता में निपुण होते हैं वे अपने कमजोरी भी बड़ी सफाई से छिपाकर किसी सरल भावुक व्यक्ति से अपना मनोरंजन कर लेते हैं।
मुसीबतों को झेलने के लिए उसे आगे धकेल देते हैं। ऐसे लोग सतही जीवन जीते हैं, जिसमें सच्ची खुशी तथा उन्मुक्त हंसी शामिल नहीं होती।
आप दुनिया से भावनात्मक संबंध तभी स्थापित कर पाते हैं, जब आप उसे अपनी वास्तविक भावना तक पहुंचने देते हैं। दुराव-छिपाव नहीं रखते। भावनाओं को दबाकर नहीं रखते।