तुलसी के गुण अनेक

हमारे पूर्वजों ने चिरकालीन शोधों के उपरांत कुछ ऐसी वस्तुओं का पता लगाया था जो सर्वसाधारण के लिए अनेक दृष्टियों से बहुत  उपयोगी थीं। इन वस्तुओं में तुलसी का पौधा प्रमुख था। उसका समुचित आदर हो उसका प्रचार बढ़े उसके  लाभों से सब लोग लाभान्वित होंगे यह सोचकर शायद उसे धार्मिक महत्व दिया गया। तुलसी को चिकित्सा जगत ने एक आश्र्चयजनक बूटी के रूप में पाया है तुलसी न केवल चिकित्सा की दृष्टि से वरन अपने सूक्ष्म आध्यात्मिक तत्वों के कारण भी मानव जाति के लिए परम कल्याणकारी है।


पूज्यनीय वस्तुओं में तुलसी का स्थान महत्वपूर्ण है। पुराणों में तुलसी को भगवान विष्णु की धर्मपत्नी बनाया गया है। तुलसी को ‘वृंदाÓ के नाम से भी जाना जाता है। इसी से कृष्ण की भूमि का नाम वृंदावन रखा गया।


तुलसी की माला धारण करने से हृदय में दुर्भावनायें, अनिद्रा, बुरे स्वप्न तथा हृदय की धड़कन को लाभ पहुंचता है। तुलसी के पौधे को स्पर्श करके जो वायु बहती है उसके सांस द्वारा भीतर जाने पर पवित्र भावनाओं का संचार होता है अन्य प्रवाही पदार्थों मेंं मिलने से तुलसी की सूक्ष्म शक्ति प्रस्फुटित हो जाती है। जल में तुलसी डालकर चरणोदक लेने से कोमोत्तेजना का दमन होता है।


दूध दही मिश्रित पंचामृत में तुलसी डालकर पीने से स्वर मधुर होता है तथा पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।


तुलसी कटु रिक्त उष्म, कफ और वात के अतिरिक्त मदाग्नि को भी दूर करती है।
आधा शीशी , खांसी, दुर्गंध व विष विकारों में तथा नेत्र विकारों में तुलसी अमृत तुल्य लाभ देती है।


ज्वर में एक तोले तुलसी की पत्ती का रस एक माशा काली मिर्च के चूर्ण के साथ खाने से मलेरिया का ज्वर दूर होता है।


तुलसी का रस शहद के साथ खाने से जुकाम का ज्वर ठीक हो जाता है। 7 तुलसी की पत्ती, 3 बेल की पत्ती, 1 हरसिंगार की पत्ती, 3 काली मिर्च के दाने इन सबको 25 ग्राम में पानी में पीसकर पीने से नित्य आने वाला बुखार दूर होता है।


जला हुआ तुलसी का पंचाग, जली सुपाड़ी, जले हुए बादाम के छिलके 50 ग्राम काली मिर्च 6 माशे लौंग 6 माशे कपूर 6 माशे फिटकरी, 1 तोले पपरिया कत्था, 1 तोले मुहहटी, इन सबको  महीन पीसकर नित्य मंजन करने से पायरिया शीघ्र खत्म हो जाता है।


मुहांसों में:  तुलसी के पत्ते नीबू के साथ रस में मिलाकर चेहरे पर मलने से काले दाग, मुहांसे आदि खत्म हो जाते हैं।


मच्छर भगाने में:  तुलसी की डाली घर में चारपाई में लगाने से मच्छर भाग जाते हैं।
पीलिया रोग में: तीन माशे तुलसी को पत्ते पुनर्नवा की जड़ तीन माशे दोनों को 50 ग्राम जल में पीसकर पीने से पीलिया रोग दूर होता है।


मुख की दुर्गंध में:  प्रतिदिन तीन चार बार तुलसी के पत्ते चबाने से मुख की दुर्गंध दूर हो जाती है।


चेचक में:  6 माशे तुलसी के पत्ती 6 माशे केसर, 3 माशे जावित्री, 2 माशे लौंग, 20 काली मिर्च इन सबको गंगाजल में पीसकर ज्वार के बराबर गोलियां बनाकर एक गोली सुबह एक शाम को लेने से चेचक शीघ्र ठीक हो जाती है।