पश्चिम एशिया में तत्काल युद्ध विराम लागू करने और द्वि-राष्ट्र समाधान का पक्षधर है भारत : जयशंकर

0

रोम, 25 नवंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत पश्चिम एशिया में तत्काल संघर्ष विराम लागू करने का समर्थन करता है और दीर्घकालिक रूप से द्वि-राष्ट्र समाधान का पक्षधर है।

उन्होंने आतंकवाद, लोगों को बंधक बनाने और सैन्य अभियानों में नागरिकों की मौत की निंदा भी की।

जयशंकर ने रोम में एमईडी मेडिटेरेनियन डायलॉग के 10वें संस्करण में अपने संबोधन में कहा कि भारत सैन्य अभियानों में बड़े पैमाने पर नागरिकों की मौत को अस्वीकार्य मानता है और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून की अवहेलना नहीं की जा सकती।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘तात्कालिक रूप से, हम सभी को युद्ध विराम का समर्थन करना चाहिए…दीर्घावधि में, यह आवश्यक है कि फलस्तीनी लोगों के भविष्य पर ध्यान दिया जाए। भारत द्वि-राष्ट्र समाधान का पक्षधर है।’’

जयशंकर ने पश्चिम एशिया में संघर्ष के बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत संयम बरतने तथा संवाद बढ़ाने के लिए इजराइल और ईरान दोनों के साथ शीर्ष स्तर पर नियमित संपर्क में है।

उन्होंने कहा कि इटली की तरह भारत का एक दल भी लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूनिफिल) के हिस्से के रूप में लेबनान में तैनात है। पिछले साल से ही भारतीय नौसेना के जहाज अदन की खाड़ी और उत्तरी अरब सागर में वाणिज्यिक नौवहन की सुरक्षा के लिए तैनात हैं।

दक्षिण लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूएनआईएफआईएल) में सैन्य योगदान देने वाले 50 देशों से लगभग 10,500 शांति सैनिक तैनात हैं। लेबनान में यूएनआईएफआईएल के हिस्से के रूप में भारत के 900 से अधिक सैनिक तैनात हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न पक्षों को शामिल करने की हमारी क्षमता को देखते हुए, हम किसी भी अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक प्रयास में सार्थक योगदान देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ’’

यूक्रेन-रूस युद्ध के बारे में उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के जारी रहने से भूमध्य सागर सहित अन्य क्षेत्रों में गंभीर एवं अस्थिरता पैदा करने वाले परिणाम सामने आ रहे हैं।

जयशंकर ने कहा, ‘‘यह बात तो स्पष्ट है कि युद्ध के मैदान से कोई समाधान नहीं निकलने वाला है। भारत का हमेशा से यह मानना ​​रहा है कि इस दौर में विवादों का समाधान युद्ध से नहीं हो सकता। हमें संवाद और कूटनीति की ओर लौटना होगा। यह जितनी जल्दी हो सके, उतना अच्छा है। आज दुनियाभर में यह एक व्यापक भावना है, खासकर ग्लोबल साउथ में।’’

उन्होंने कहा कि जून से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस संबंध में रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर रहे हैं, जिसमें मॉस्को और कीव का दौरा भी शामिल है।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमारा यह दृढ़ विश्वास है कि जो लोग समान आधार तलाशने की क्षमता रखते हैं, उन्हें यह जिम्मेदारी अवश्य निभानी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि इन दोनों संघर्षों के कारण आपूर्ति श्रृंखलाएं असुरक्षित हैं तथा सम्पर्क, विशेषकर समुद्री सम्पर्क बाधित है।

जयशंकर ने भारत और भूमध्यसागरीय देशों के बीच घनिष्ठ और मजबूत संबंधों की वकालत करते हुए कहा, ‘‘भूमध्यसागरीय देशों के साथ हमारा वार्षिक कारोबार लगभग 80 अरब अमेरिकी डॉलर का है। हमारे प्रवासी समुदाय में 4,60,000 लोग हैं, और उनमें से लगभग 40 प्रतिशत इटली में हैं। हमारी मुख्य रुचि उर्वरक, ऊर्जा, जल, प्रौद्योगिकी, हीरे, रक्षा और साइबर क्षेत्र में है। ’’

उन्होंने कहा कि भूमध्यसागरीय देशों के साथ भारत के राजनीतिक संबंध मजबूत हैं तथा उनका रक्षा सहयोग बढ़ रहा है, जिसमें अधिक अभ्यास और आदान-प्रदान शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *