नयी दिल्ली, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अबतक भारतीय शेयर बाजारों से 26,533 करोड़ रुपये निकाले हैं। कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों और घरेलू शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन की वजह से एफपीआई चीन के बाजार में निवेश कर रहे हैं। इसके चलते वे भारतीय बाजार में लगातार बिकवाल बने हुए हैं।
हालांकि, एफपीआई की बिकवाली जारी है, लेकिन अक्टूबर की तुलना में उनकी शुद्ध निकासी में काफी कमी आई है। एफपीआई ने अक्टूबर में भारतीय बाजार से शुद्ध रूप से 94,017 करोड़ रुपये (11.2 अरब डॉलर) निकाले थे।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस ताजा निकासी के बाद 2024 में अबतक विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 19,940 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आगे चलकर भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का प्रवाह अमेरिकी के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर निर्भर करेगा। इसके अलावा मुद्रास्फीति और नीतिगत दर भी विदेशी निवेशकों के रुख के लिए महत्वपूर्ण होगी।
श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की दिशा के लिए कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे और भू-राजनीतिक घटनाक्रम भी महत्वपूर्ण रहेंगे।
आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने अबतक यानी 22 नवंबर तक शेयरों से शुद्ध रूप से 26,533 करोड़ रुपये निकाले हैं। वहीं अक्टूबर में उन्होंने 94,017 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी, जो किसी एक माह में उनकी निकासी का सबसे ऊंचा आंकड़ा था। सितंबर में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में 57,724 करोड़ रुपये डाले थे, जो उनके निवेश का नौ माह का उच्चस्तर था।
श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन को लेकर चिंता बनी हुई है, जिससे एफपीआई अपना रुख अधिक आकर्षक मूल्यांकन वाले बाजारों की ओर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत की कीमत पर चीन विदेशी निवेशकों से अपने आकर्षक मूल्यांकन की वजह से प्रवाह प्राप्त कर रहा है। साथ ही चीन ने अपनी सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए हाल में कई प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजे भी उम्मीद के अनुकूल नहीं रहे हैं और मुद्रास्फीति भी ऊंचे स्तर पर बनी हुई है, जिसकी वजह से एफपीआई निकासी कर रहे हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि विदेशी निवेशक चालू वित्त वर्ष में कंपनियों की आमदनी को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि ‘भारत में बेचो और चीन में खरीदो’ वाला रुख अब समाप्त हो गया है। डोनाल्ड ट्रंप का ‘प्रभाव’ भी अपने अंतिम चरण में है क्योंकि अमेरिका में भी मूल्यांकन ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।
आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने अबतक बॉण्ड से सामान्य सीमा के तहत 1,110 करोड़ रुपये निकाले हैं। वहीं उन्होंने स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) से 872 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
कुल मिलाकर इस साल अबतक एफपीआई ने बॉण्ड बाजार में 1.05 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।