नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिव सेना (एकनाथ शिंदे) की महायुति की भारी जीत से अरबपति गौतम अदाणी के नेतृत्व वाले समूह की तीन अरब डॉलर की धारावी परियोजना को राहत मिली है। इसके तहत मुंबई की झुग्गी बस्ती धारावी को ‘विश्वस्तरीय’ जिले के रूप में पुनर्विकसित किया जा रहा है।
विपक्षी दल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने सत्ता में आने पर एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के पुनर्विकास के लिए अदाणी समूह को दी गई सारी जमीन वापस लेने और इस परियोजना को पूरी तरह से रद्द करने का वादा किया था।
अमेरिकी अदालत में रिश्वतखोरी के आरोपों का सामना कर रहे अदाणी के लिए उनकी पसंदीदा धारावी परियोजना को रद्द करना एक बड़ा झटका होता।
चुनाव परिणामों के अनुसार, भाजपा और उसके सहयोगी दल शिवसेना और एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गुटों ने महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों में से तीन-चौथाई से अधिक सीटें जीत ली हैं तो अब ये चिंताएं शांत हो गई हैं।
अदाणी की योजना 620 एकड़ की शानदार ज़मीन को एक शानदार शहरी केंद्र में बदलने की है। यह जमीन न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क के आकार का लगभग तीन चौथाई है। मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नज़दीक घनी आबादी वाली झुग्गियों में खुले सीवर और साझा शौचालयों वाली जर्जर झुग्गियों में रहने वाले लगभग सात लाख लोगों को 350 वर्ग फुट तक के फ़्लैट मुफ़्त दिए जाने हैं।
पुनर्विकास का मामला राजनीतिक रूप से गरमा गया था, क्योंकि विपक्ष ने आरोप लगाया था कि इस समूह को अनुबंध देने में राज्य सरकार से अनुचित लाभ मिला। समूह ने सरकार के पक्षपात से लाभ उठाने से इनकार किया है।
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बार-बार धारावी पुनर्विकास परियोजना के मुद्दे को उठाया तथा ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा पर अदाणी जैसे मित्रों को समृद्ध करने का’ आरोप लगाया है।
सत्तारूढ़ दल में परियोजना के समर्थकों का कहना है कि यह परियोजना झुग्गी पुनर्विकास के लिए एक वैश्विक मॉडल बनने के लिए तैयार है।
धारावी में लगभग 10 लाख लोग रहते हैं, लेकिन लगभग सात लाख लोगों को पात्र माना गया। निवासी परिभाषा के अनुसार, एक जनवरी, 2000 से पहले इस क्षेत्र में रहने का प्रमाण होना चाहिए।
बाकी लोगों को शहर के दूसरे इलाकों में घर मिलेंगे। इस प्रस्ताव का कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया क्योंकि वे चाहते हैं कि किसी भी निवासी या व्यवसाय के मालिक को बेघर न किया जाए।