ट्रम्प की जीत के कई अर्थ हैं, कई आयाम हैं। यदि ट्रम्प पिछले चुनावों में बाइडेन को हरा कर आए होते तो उनकी यह स्वीकार्यता और वैधता नहीं होती जो आज है।
पिछले चुनावों के बाद से पूरा ईकोसिस्टम जिस तरह ट्रम्प को विलेनाइज और विक्टिमाइज करने में जुट गया था, वह पूरी दुनिया ने देखा। ट्रम्प को सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से बाहर कर दिया गया, ट्रम्प के सभी बिजनेस को सारे बैंकिंग प्लेटफॉर्म से बैन कर दिया गया और ज्यूडिशियरी की पूरी ताकत ट्रम्प के विरुद्ध खड़ी हो गई।
उन्हें तरह तरह के क्रिमिनल केसेज में फंसा कर हर तरह से खत्म करने का प्रयास किया गया। उन्हें लगभग चुका और हारा हुआ मान लिया गया।
लेकिन फीनिक्स की कहानी की तरह ट्रम्प अपनी राख से उठ खड़े हुए और फिर उड़ान भरी। इसने यह सिद्ध कर दिया कि ग्लोबल इकोसिस्टम शक्तिशाली है, पर अजेय नहीं है। और जिस अमेरिकी स्पिरिट की मै बात करता हूं और प्रशंसा करता हूं वह दिखाई दिया… अदम्य और अजेय. पिछले 80 वर्षों के वामपंथी इंडॉक्टरिनेशन ने उसे क्षति तो पहुंचाई है पर नष्ट नहीं कर सका है।
लेकिन इस पूरी लड़ाई में जो एक सुपरस्टार रहा, वह था एलोन मस्क। मस्क ने पश्चिमी समाज का एक बड़ा टैबू तोड़ा और खुल कर ट्रम्प के साथ खड़े हुए। उसके पहले अमेरिका में ट्रम्प का समर्थन करने में एक हिचक थी। ट्रम्प समर्थक और सिम्पैथाइजर इस बात को लेकर एक गिल्ट में और डिफेंसिव रहते थे। एलोन ने खुल कर इस बात को चैलेंज किया और लोगों के भीतर स्थापित इस शर्म और गिल्ट को धो दिया कि ट्रम्प समर्थक कम पढ़े लिखे और इंटेलेक्चुअली कमजोर होते हैं। एलोन मस्क ने सिर्फ ट्विटर नहीं खरीदा, अमेरिका के लिए आजादी, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति का अधिकार खरीदा। एलोन और ट्रम्प, इन दो लोगों ने अपना सबकुछ, पूरी आर्थिक शक्ति और प्रतिष्ठा दांव पर लगा कर यह लड़ाई लड़ी और जीत कर दी।
ट्रम्प की यह जीत 2014 की मोदी की जीत की तरह एक युग प्रवर्तक घटना है।
समझें, एक दैवी आपदा टल गई, एक विशाल उल्कापिंड हमारी ओर, धरती से टकराने आ रहा था, उसने दिशा बदल दो और लौट गया। सभ्यताओं का असभ्यताओं से यह युद्ध, यह देवासुर संग्राम सतत है, अनंत है लेकिन इस गाथा में ट्रम्प और एलोन, इन दो योद्धाओं के पदचिन्ह अमर रहेंगे।