क्यों फटते हैं बादल? क्या है भूस्खलन ?

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अभी पिछले दिनों उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर एवं उत्तरी पूर्वी भारत के विभिन्न राज्यों में अनेक प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिली है. आईए, आज जानकारी लेते हैं इन आपदाओं के आने के कारण एवं दूसरी बहुत सी उपयोगी बातों के बारे में ।

   हमारे चारों ओर की धरती लगातार बदल रही है। कभी तेज बारिश, कभी पहाड़ गिरने लगते हैं, तो कहीं अचानक पानी का सैलाब आ जाता है। ये सभी घटनाएं प्राकृतिक (प्रकृति से जुड़ी) होती हैं, और इन्हें समझना हमारे लिए जरूरी है। इन घटनाओं को सरल भाषा में समझते हैं।

 

 बादल फटना (Cloudburst)

बादल फटना तब होता है जब बहुत कम समय में किसी इलाके में अत्यधिक बारिश हो जाती है।

यह खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में होता है। जब हवा में बहुत अधिक नमी जमा हो जाती है और वह एक छोटे इलाके में अचानक गिर जाती है तो उसे बादल फटना कहते हैं।

परिणाम: अचानक बाढ़ आ जाती है। मकान, सड़कें और पुल बह जाते हैं, जान-माल का भारी नुकसान होता है जैसे अभी-अभी उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में अक्सर बादल फटने की घटनाएं घटित हुई हैं।

 

 अपरदन (Erosion)

अपरदन का अर्थ है – धरती की ऊपरी परत का किसी बाहरी ताकत द्वारा हट जाना।

यह हवा, पानी या बर्फ के कारण होता है।

कैसे होता है ? तेज बारिश से मिट्टी बह जाती है

नदियों का पानी तटों को काटता है तेज हवा मिट्टी उड़ाकर कहीं और जमा कर देती है

परिणाम: खेत बंजर हो जाते हैं। पहाड़ों की मिट्टी बह जाती है । नदियों में गाद जमा हो जाती है जिससे वह अधिक मात्रा में पानी धारण नहीं कर पाती हैं और बाद में इससे बाढ़ भी आने का खतरा होता है कई बार यह उपजाऊ खेतों को बंजारा भी बना देती है।

 

 अपक्षय (Weathering)

अपक्षय एक धीमी प्रक्रिया है जिसमें चट्टानें टूट-टूटकर मिट्टी में बदल जाती हैं। यह गर्मी, ठंड, पानी और पेड़-पौधों की जड़ों के कारण होता है। अपक्षय कई प्रकार का होता है जैसे  भौतिक अपक्षय इसमें तापमान के कारण चट्टान टूटती है जबकि रासायनिक अपक्षय में बारिश का पानी चट्टानों से रासायनिक क्रिया करता है और जैविक अपक्षय  में पेड़-पौधों की जड़ें चट्टानों को तोड़ती हैं.

परिणाम: मिट्टी बनती है जो खेती के लिए जरूरी होती है। लेकिन कई बार यही मिट्टी बारिश के पानी या हवा के साथ उड़कर दूसरे स्थान पर जाकर तबाही भी मचा देती है इससे धूल भरी आंधियां भी चलने की आशंका बनी रहती है।

 

 भूस्खलन (Landslide)

भूस्खलन तब होता है जब भारी बारिश या भूकंप के कारण पहाड़ों से मिट्टी, चट्टानें और पेड़ नीचे की ओर गिरने लगते हैं।

कारण: भूस्खलन के प्रमुख कारणों में तेज बारिश, पेड़ों की कटाई, सड़क या निर्माण कार्य मुख्य हैं।

परिणाम:  पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की वजह से कई बार रास्ते बंद हो जाते हैं, यातायात एवं संपर्क बाधित हो जाते हैं और गांव व शहर खतरे में आ जाते हैं, जान-माल की भी हानि होती है।

 

वलन और अपभ्रंश (Folding and Faulting)

वलन और अपभ्रंश की प्राकृतिक प्रक्रियाएं धरती की अंदरूनी हलचलों से जुड़ी होती हैं। जब दो टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो चट्टानें ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।  उसे ही वलन कहते हैं। इससे पहाड़ बनते हैं, जैसे – हिमालय। पृथ्वी की अंदरूनी चट्टानों में तनाव की वजह से अपभ्रंश होता है और धरती में दरारें बनती हैं और एक हिस्सा ऊपर या नीचे चला जाता है, तो उसे अपभ्रंश कहते हैं। इससे भूकंप आ सकते हैं। इससे नए स्थल रूप बनते हैं लेकिन ये खतरनाक भी हो सकते हैं।

 

 अतिवृष्टि (Heavy Rainfall) अतिवृष्टि का अर्थ है –

 सामान्य से कहीं अधिक बारिश होना। यह बाढ़, भूस्खलन और फसलों के नुकसान का कारण बनती है।

कारण: मानसून का असामान्य व्यवहार, जलवायु परिवर्तन, समुद्री तूफान आदि अतिवृष्टि के मुख्य कारण बनते हैं।

परिणाम: खेत जलमग्न हो जाते है, संक्रामक एवं पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां फैलती हैं, यातायात बाधित हो जाता है‌। इन प्राकृतिक घटनाओं के अलावा कभी-कभी बिजली गिरना भी घातक सिद्ध हुआ है।

   निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि प्राकृतिक घटनाएं हमें बताती हैं कि प्रकृति कितनी शक्तिशाली है लेकिन यदि हम सतर्क रहें, पेड़ लगाएं, अनावश्यक निर्माण कार्य न करें और मौसम की जानकारी समय से प्राप्त करें तो इन खतरों से काफी हद तक बचा जा सकता है। वैसे आजकल कृत्रिम उपग्रह यानी सैटेलाइट आदि की मदद से इन प्राकृतिक आपदाओं का पहले से ही पता भी लगाया जा सकता है जिसे जान माल की हानि को कम किया जा सकता है।